आत्मनिर्भरता: लोगों के सामने हाथ फैलाकर नहीं प्रतिभा के बल पर रोजगार चाहते हैं ट्रांसजेंडर

लोगों के सामने हाथ फैलाकर नहीं प्रतिभा के बल पर रोजगार चाहते हैं ट्रांसजेंडर
  • गौरव ट्रस्ट दे रहा कंप्यूटर
  • पर्सनालिटी डेवलपमेंट और लॉजिस्टिक्स का प्रशिक्षण
  • स्वास्थ्य जांच से आत्मनिर्भर बनाने तक का सफर

डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र. लोगों के सामने जाकर हाथ फैलाना, बंधाई देकर पैसे मांगना मुझे पसंद नहीं है। इसलिए मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। मैं बारहवीं तक पढ़ाई कर चुकी हूं। फिलहाल गौरव ट्रस्ट के जरिए मुफ्त में कंप्यूटर का प्रशिक्षण मिलने से बहुत खुश हूं। सरकार ने भी उच्च शिक्षा संस्थानों में ट्रांसजेंडर के लिए उच्च शिक्षा मुफ्त कर दी है इसलिए मैं स्नातक की पढ़ाई करने की भी तैयारी कर रही हूं। यह कहना है बेबो जाधव का जो ट्रांसजेंडर हैं। बेबो अकेली नहीं हैं उनके जैसे 25 ट्रांसजेंडर हैं जिन्हें मुंबई के कांजुरमार्ग इलाके में स्थित केंद्र में कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अपने पैरों पर खड़े होने को लेकर ट्रांसजेंडर किस कदर उत्सुक हैं इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अब तक 123 ट्रांसजेंडर प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर चुके हैं जिनमें से 25 का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है।

स्वास्थ्य जांच से आत्मनिर्भर बनाने तक का सफर

गौरव ट्रस्ट एलजीबीटी समुदाय की संस्था है और इसके बोर्ड के सदस्य भी इसी समुदाय के हैं। करीब 13 साल पहले ट्रस्ट की शुरुआत कुमार शेट्टी और जैनब पटेल ने की थी। पहले संस्था ने एलजीबीटी समुदाय के एचआईवी और दूसरी बीमारियों की जांच आदि से जुड़े काम से शुरूआत की थी। इस दौरान समुदाय के लोगों की ओर से लगातार मांग उठने लगी कि उन्हें आम लोगों की तरह सामान्य जिंदगी जीनी है और वे पारंपरिक तरीके ले मांग कर गुजारा नहीं करना चाहते। शुरूआत में कई समस्याएं थी। ट्रांसजेंडर आम तौर पर ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाते इसलिए उन्हें ऐसे काम सिखाने का फैसला किया गया जिससे उनके अंदर सामान्य रोजगार हासिल करने की योग्यता आ जाए जिससे बाद कंपनियों से बात कर उन्हें काम पर लगाया जाए।

कंपनी की मदद से राह हुई आसान

जैनब पटेल ने कहा कि ट्रांसजेंडर्स की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वे खुद पढ़ाई का खर्च उठा सके इसलिए मदद के लिए हमने फ्रैंकलिन टेंपलटन कंपनी के सामने प्रस्ताव भेजा। कंपनी ने भी इसे स्वीकार किया जिसके बाद समुदाय के लोगों के लिए कंप्यूटर और पर्सनालिटी डेवलपमेंट के क्लासेस शुरू किए गए हैं। सीखने के बाद योग्यता के मुताबिक कंपनियों नौकरी के लिए संपर्क किया जाएगा। शुक्रवार को ट्रांसजेंडर के पहले बैच ने प्रशिक्षण लेना शुरू किया है। जिनमें बेबो जाधव भी शामिल हैं।

लॉजिस्टिक के प्रशिक्षण के बाद मिला रोजगार

गौरव ट्रस्ट में काम करने वाली अदा खान ने बताया कि इससे पहले 15 ट्रांसजेंडर्स को लॉजिस्टिक का प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की गई थी। उन्हें पैकिंग, बारकोड स्कैनिंग, जोनल कोड के मुताबिक सामान बांटने जैसे काम सिखाए गए। इनमें से 5 को एक निजी कंपनी में नौकरी मिल चुकी है। इस सफलता से उत्साहित होकर हमने ट्रांसजेंडर्स को कंप्यूटर का भी प्रशिक्षण देने की शुरूआत की है।

‘समानता के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी’

जैनब पटेल ने कहा कि मैं खुद ट्रांसजेंडर हूं लेकिन एमबीए तक पढ़ाई की और फिर 11 साल संयुक्त राष्ट्र के साथ काम किया जिनमें चार साल विदेश में रही अब मैं निजी क्षेत्र में काम करने के साथ ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए लड़ती हूं। इस लड़ाई के दौरान मैंने महसूस किया कि जब तक ट्रांसजेंडर आत्मनिर्भर नहीं होंगे उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिलेगा। इसीलिए मैंने सबसे पहले प्रशिक्षण देकर ट्रांसजेंडर्स को आत्मनिर्भर बनाने की पहल शुरू की। हमसे सवाल किया जाता है कि आप दूसरे काम क्यों नहीं करते लेकिन हमारे पास मौके कहां हैं। आत्मनिर्भरता की यह लड़ाई यही नहीं रुकेगी हम चाहते हैं कि ट्रांसजेडर्स नौकरी मांगने वाले नहीं नौकरी देने वाले बनें।

Created On :   11 March 2024 10:18 AM GMT

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