नागपुर: अंतरराष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन विरोधियों पर बोला हमला

अंतरराष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन विरोधियों पर बोला हमला
  • बेटियों को शस्त्र देने की वकालत
  • जो हमारा है वह मिलना चाहिए
  • राजनीति को धर्म की जरूरत

डिजिटल डेस्क, नागपुर. अंतरराष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन विरोधियों पर हमला बोलते हुए कहा कि डिब्बे का दूध पीने वाले रामायण और सनातन धर्म का विरोध करते हैं। शिवमहापुराण कथा के सिलसिले में पधारे पं. मिश्रा शुक्रवारों से पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि जो माता का दूध पीकर बड़े हुए वह सनातन धर्म और रामायण या महाभारत का विरोध नहीं करते। जिन्होंने डिब्बे का दूध पिया है वह सनातन धर्म पर अंगुली उठाते हैं। रामायण के पन्ने फाड़ना, सनातन धर्म की आलोचना करना डिब्बे का दूध पीने वालों का काम है। माता के दूध से संस्कार आता है और यही व्यवहार में झलकता है। बाहर जाते समय माता-पिता के चरण स्पर्श करते हैं और बच्चों के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हैं।

बेटियों को शस्त्र देने की वकालत

बेटियों को शास्त्र के साथ शस्त्र देने की वकालत करते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि आत्मरक्षा, स्वयं या अपने धर्म और सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना चाहिए। जहां शास्त्र की जरूरत है वहां शास्त्र और जहां शस्त्र की जरूरत है वहां शस्त्र का उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि हर नारी में शिव और हर पुरुष में शक्ति है। जब नारी शस्त्र उठाती है तो वह वेदमाता कहलाती है और जब शस्त्र उठाती है तो दुर्गा बन जाती है।

भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है : भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के सवाल पर पं. मिश्रा ने कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है। आवश्यकता बच्चों को सनातन धर्म से जोड़ने की है, ताकि वह न भटके। जैसे मां बच्चों को कुछ काम निकालने के लिए लालच देती है उसी प्रकार बच्चों को सनातन धर्म से जोड़ना जरूरी है।

जो हमारा है वह मिलना चाहिए

धार्मिक स्थलों के विवाद के मुद्दे पर पं. मिश्रा ने कहा कि जो हमारा है वह हमें मिल जाना चाहिए। शिलालेख में मंदिर के संकेत मिलने पर हम पहले परखते हैं और फिर दावा करते हैं। इसी तरह का मामला ज्ञानव्यापी मस्जिद का है।

राजनीति को धर्म की जरूरत

धर्म और राजनीति के गठबंधन पर उन्होंने कहा कि राजनीति और धर्म राजा जनक, विक्रमादित्य के समय से साथ-साथ चले आ रहे हैं। राजनीति को धर्म की बहुत जरूरत है, क्योंकि राजनीति में अहम, कामवश डोलने का भय रहता है।

Created On :   21 Oct 2023 5:12 PM IST

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