कोर्ट में सेंध: हाईकोर्ट ने माना, जगदीश जैस्वाल ने निचली अदालत में धोखाधड़ी कर आदेश हासिल किया

हाईकोर्ट ने माना, जगदीश जैस्वाल ने निचली अदालत में धोखाधड़ी कर आदेश हासिल किया
  • 5 करोड़ की जमीन हड़पने के लिए किया था फर्जीवाड़ा
  • कोर्ट ने यह भी कहा- निचली अदालत से तथ्य छिपाए
  • असली मालिक तक केस की जानकारी भी नहीं पहुंची और न ही उन्हें पार्टी बनाया गया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जगदीश जैस्वाल गैंग द्वारा लोगों की जमीन हड़पने के लिए कई तरह के नकली दस्तावेज, एग्रीमेंट, शपथ-पत्र बनाकर कोर्ट में पेश कर फर्जीवाड़ा किया गया। जिससे एक तरफा फैसले जगदीश के हित में हो गए और कई गरीबों की जमीन जगदीश जैस्वाल और उसकी पत्नी ममता जैस्वाल के नाम हो गई। ऐसे कई केसों में फर्जीवाड़े का खुलासा भास्कर ने किया था। ऐसे ही एक मामले में हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले में माना कि, जगदीश जैस्वाल ने निचली अदालत के साथ धोखाधड़ी कर आदेश लिया। जो जमीन का असली मालिक का था उसको इसकी जानकारी तक नहीं लगी। यहां तक कि, उसको पार्टी भी नहीं बनाया। धारुरक परिवार के साथ हुई फर्जीवाड़े का खुलासा ‘दैनिक भास्कर’ ने 16 जनवरी के अंक में किया था। हाईकोर्ट के इस आदेश से खबर पर मोहर लग गई। जो तथ्य प्रकाशित किए थे, हाईकोर्ट के आदेश में उन तथ्यों को सही माना।

गलत केस दायर कर आदेश ले आया : जगदीश जैस्वाल गैंग कई लोगों के साथ फर्जीवाड़ा कर उनकी जमीन हथिया चुका है। इसमें वह जिला कोर्ट में गलत केस दायर कर आदेश ले आया है। ऐसे 55 केस हाईकोर्ट और पुलिस के सामने आ चुके हैं। ‘दैनिक भास्कर’ ने ऐसे कई केसों का खुलासा किया है। इसी श्रृंखला में 16 जनवरी 2024 को खेमाजी धारुरक के साथ हुए धोखाधड़ी का भी मामला प्रकाशित किया गया था। हाल ही में हाई कोर्ट के आए एक फैसले में माना कि, जगदीश जैस्वाल ने गलत तथ्यों और दस्तावेजों को बनाकर निचली कोर्ट के साथ धोखधड़ी कर धारुरक की जमीन पर मालिकाना हक का आदेश ले लिया। उल्लेखनीय है कि, इस केस में भी जगदीश के वकील रंजीत सारडे ही थे।

जो जमीन के मालिक ही नहीं थे उन पर केस लगाया और फिर समझौता होना बता दिया : इस केस में जगदीश जैस्वाल ने प्रभाकर मोदी के वारिसों पर केस लगाकर जमीन का कब्जा देने की याचिका जिला कोर्ट में दाखिल की। इसमें खास बात यह है कि, उस समय जमीन के मालिक धारुरक परिवार था, जिसे उन्होंने पार्टी तक नहीं बनाया और उन्हें भनक तक नहीं लगे दी। उल्लेखनीय है कि, जगदीश की तरफ से यह केस रंजीत सारडे लड़ रहे थे। पीड़ित धारुरक परिवार का आरोप है कि, सारडे ने अपने ही जूनियर वकील दिलीप अरमरकर को दूसरे पक्ष की तरफ से खड़ा किया और दोनों ही वकीलों ने कोर्ट को बताया कि, दोनों पार्टियों का समझौता हो गया और केस में जमीन पर कब्जे का आदेश ले लिया। इसी मामले में धारुरक परिवार हाई कोर्ट गया था, जहां कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए, इसे निचली अदालत के साथ धोखाधड़ी बताया।

पीड़ित अब पुलिस और कोर्ट से एसआईटी जांच की मांग कर रहे हैं : मामले में जगदीश जैस्वाल गैंग से पीड़ित सीपी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र भेजकर जैस्वाल से संबंधित 55 केसों में कोर्ट की निगरानी में एसआईटी गठित कर जांच करने की मांग कर चुके हैं। शिकायतों में जैस्वाल के साथ रंजीत सारडे का भी नाम है।

यह था मामला : छबिबाई बिलसे ने 1980 और 1982 के बीच पांचनवरी, बाजारगांव में 26 एकड़ जमीन प्रभाकर मोदी से खरीदी। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई और खेमाजी और उनके परिवार का नाम भी 7/12 में चढ़ गया। 2003 में इसी जमीन को छबिबाई ने अपने भाई श्याम धारुरक, मां कसाबाई धारुरक और बेटा खेमाजी धारुरक के नाम कर दी। उनकी भी रजिस्टी हुई और सभी सरकारी दस्तावजों पर नाम भी चढ़ गया। जगदीश जैस्वाल गैंग की नजर इस जमीन पर 2016 में पड़ी। उन्हाेंने इसे हड़पने के लिए योजना बनाई। जो जमीन 1980-82 में बिक चुकी थी, उसे बेचने वाले प्रभाकर मोदी के वारिसों से एक पॉवर ऑफ अटर्नी बनाई और उसके आधार पर 7.50 लाख में जगदीश जैस्वाल और उनकी पत्नी ममता जैस्वाल ने जमीन खरीदना बता दी।

Created On :   23 Jan 2024 11:06 AM GMT

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