कोरोना के बाद युवाओं की आंखाें को सीवीएस ने घेरा, 40 फीसदी युवाओं को हो रही आंखों की बीमारी

कोरोना के बाद युवाओं की आंखाें को सीवीएस ने घेरा, 40 फीसदी युवाओं को हो रही आंखों की बीमारी
  • अधिक स्क्रीन टाइम के चलते साल दर साल बढ़ रहे आंकड़े
  • वर्क फ्रॉम होम शुरु होने का साइड इफेक्ट

Nagpur News कोरोनाकाल के दौरान लोगों को घर में ही रहना पड़ा था। उस समय कोई काम नहीं होने, बाहर नहीं निकलने से ज्यादा समय तक स्क्रीन देखने की आदत लग गई है। बाद में बड़ी कंपनियों और आईटी सेक्टर समेत अनेक संस्थानों ने वर्क फ्रॉम होम शुरु कर दिया है। इस कारण लगातार कम्प्यूटर के सामने बैठना पड़ता है। इस कारण बीमारी का प्रमाण साल दर साल बढ़ रहा है। कोरोना से पहले बीमारी का प्रमाण 10 फीसदी था। इसके बाद यह प्रमाण लगातार बढ़ रहा है।

मेयाे मेडिकल की ओपीडी में हर दिन 140 युवा मरीज : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) और इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) के नेत्र रोग विभाग में इन दिनों भीड़ बढ़ी है। दोनों अस्पतालों के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी औसत से 5 फीसदी से बढ़ चुकी है। पहले यहां बुजूर्ग मरीजों की संख्या अधिक हुआ करती थी। अब युवा वर्ग भी बड़ी संख्या में आने लगे है। दोनों अस्पतालों के नेत्ररोग विभाग की कुल ओपीड़ी संख्या 350 है। इनमें 40 फीसदी यानि 140 युवा मरीजों में नई बीमारी सीवीएस (कंम्प्यूटर विजन सिंड्रोम) नामक बीमारी पायी जा रही है।

मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर का हो रहा असर : मेडिकल के नेत्र रोग विभाग की हर रोज की औसत ओपीडी संख्या 200 है। इनमें 40 फीसदी यानि 80 मरीज सीवीएस पीड़ित होते हैं। वहीं मेयो की ओपीडी 150 की है। यहां भी हर रोज 60 मरीज सीवीएस ग्रस्त होते हैं। कम्प्यूटर विजन सिंड्राेम यानी सीवीएस नामक नई बीमारी अधिक स्क्रीन टाइम के कारण होती है। मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर आदि से होनेवाली आंखों की बीमारी को भी सीवीएस श्रेणी में ही रखा जाता है। लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर पर काम करनेवालों को सीवीएस का खतरा होता है। एसी में बैठकर काम करनेवालों को इसका खतरा सर्वाधिक होता है।

आंखे सूख जाती, नमीं खोने से होती खुजली : सीवीएस बीमारी होने के पिछे प्रमुख कारण लगातार स्क्रीन देखना है। अाजकल युवा वर्ग लंबे समय तक मोबाइल से चिपके रहते हैं। वहीं लैपटॉप या कम्प्यूटर के बिना कोई काम नहीं होता। कार्यालयों में भी लंबे समय तक कम्प्यूटर पर ही काम होता है। कई स्थानों पर एसी में रहकर काम करना पड़ता है। इससे सीवीएस का असर होता है। वहीं एसी से निकलनेवाली सूखी हवा आंखों की नमी को सोख लेती है। अधिक दुधिया प्रकाश में काम करने से भी आंखों पर असर होता है। उपर से दिन ब दिन बढ़ता वायु प्रदूषण सीवीएस बीमारी में सहायक बनता जा रहा है। सीवीएस में आंखों की नमी खत्म होना, आंखे सूखना, खुजली, आंखों में जलन, भारी पन, लाल आंखें, धुंधलाहट, सिरदर्द, गर्दन व पीठ में दर्द, मांसपेशियों में थकान, मस्तिष्क में भारीपन आदि शामिल है। हालांकि सीवीएस के कारण आंखों को स्थायी नुकसान हाेने का मामला सामने नहीं आया है। लेकिन यह बीमारी आंखों की सामान्य शैली को प्रभावित करती है। इसका समय रहते उपचार, चश्मा आदि नहीं लेने पर भविष्य में धुंधलेपन का शिकार होना पड़ सकता है।

एसी की हवा घातक, स्क्रीन का कंट्रास्ट भी करता प्रभावित : सीवीएस से बचने के लिए सबसे पहले तो कमरे की प्रकाश व्यवस्था में सुधार करना जरुरी बताया गया है। एसी की हवा में कम रहना जरुरी है। इस हवा से आंखे सूखती है। स्क्रीन का कंट्रास्ट या चमक कम कर रखना चाहिए। ताकि रोशनी आंखों के लिए चूभन का काम न करें। स्कीन को 20 से 26 इंच दूर रखना जरुरी हैै। झूककर स्क्रीन देखने से गर्दन व पीठ की तकलीफ होती है, इसलिए स्क्रीन को सीधे रखकर देखे। मॉनिटर 4 से 8 इंच दूर होना चाहिए। आंखों व मांसपेशियों की थकान कम करने के लिए आंखों को थोडे-थोडे समय बाद कुछ पल के लिए आराम देना चाहिए। बार बार पलकें झपकने से भी आंखों को आराम मिलता है। कमरे में कम नमी या धुआं भी आंखों की नमी कम कर देता है। इसके लिए डॉक्टरों की सलाह से आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा पहनने से आंखों को सीवीएस से बचाया जा सकता है। 20 मिनट के बाद 20 सेकंद तक कम्प्यूटर से नजरें हटाकर दूर देखना अौर बार-बार पलकें झपकाने की आदत लगाना जरुरी बताया गया है।

समुपदेशन, उपचार व चश्मे की सलाह देते हैं : स्क्रीन टाइम अधिक होने से 40 फीसदी युवाओं को आंखों की सीवीएस बीमारी होने लगी है। ओपीडी आनेवाले युवाओं का समुपदेशन कर उन्हें आंखों को बचाने के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। आंखों को राहत दिलाने दवा दी जाती है। नजदीकी विजन प्रभावित हो रही है। इसलिए उन्हें सुरक्षा के लिए ब्ल्यू एआरसी कोटिंग ग्लास के चश्मे उपयोग में लेने की सलाह दी जाती है। ताकि आंखों पर पड़नेवाली किरणों से बचाव हो सके। वर्तमान हालात में आंखों को सुरक्षित रखना जरुरी है। - डॉ. पियूष मदान, नेत्र रोग विशेषज्ञ, मेडिकल, नागपुर



Created On :   7 Jun 2025 5:33 PM IST

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