राहत: शिशुओं के सेहत पर ध्यान, मेडिकल में 1.50 करोड़ की लागत से तैयार होगा मदर मिल्क बैंक

शिशुओं के सेहत पर ध्यान, मेडिकल में 1.50 करोड़ की लागत से तैयार होगा मदर मिल्क बैंक
  • मां के दूध से वंचित नहीं होंगे शिशु
  • नियोजन समिति से मिलेगी निधि
  • मेयो अस्पताल भी भेजेगा प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में वर्तमान व भविष्य की स्वास्थ्य यंत्रणा को देखते हुए इसे देशभर में मेडिकल हब के रूप में देखा जा रहा है। बावजूद यहां कुछ मामलों में मूलभूत व्यवस्थाओं की दरकार है। करीब 15 साल पहले से यहां के सरकारी अस्पतालों में मदर मिल्क बैंक बनाने पर चर्चाएं हो रही हैं, जिसमें केवल डागा अस्पताल में ही यह सुविधा उपलब्ध हो पाई है। छह महीने पहले मेडिकल ने इसके लिए प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब प्रशासकीय मंजूरी मिली है। 1.50 करोड़ की लागत से यहां मिल्क बैैंक तैयार किया जाएगा, वहीं मेयो अस्पताल द्वारा नया प्रस्ताव भेजा जाने वाला है।

एनआईसीयू से सटकर तैयार होगा : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में अगले दो महीने में मदर मिल्क बैंक तैयार किया जाएगा। मेडिकल के एनआईसीयू (निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) नवजात गहन देखभाल विभाग से सटकर इसका निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जरूरी उपकरण व अन्य सहायक सामग्री के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है। सूत्रों ने बताया कि छह महीने पहले भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार अनुमानित खर्च 1.50 करोड़ रुपए आएगा। इस प्रस्ताव को प्रशासकीय मान्यता मिली है। जिला नियोजन समिति द्वारा निधि उपलब्ध कराई जाएगी। जिला कार्यालय की तरफ से यह प्रक्रिया पूरी की जा रही है। बाल रोग विभाग प्रमुख डॉ. मनीष तिवारी ने बताया कि मदर मिल्क बैंक तैयार कर देने वाली एजेंसी द्वारा दो साल तक इसका संचालन किया जाएगा। इस दौरान मेडिकल के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे मिल्क बैंक को चलाने में सक्षम हो सकें।

60 में 15 बच्चे होते हैं दूध से वंचित : शहर के तीन बड़े अस्पताल मेडिकल, मेयो व डागा अस्पताल में मिलाकर औसतन 60 से अधिक बच्चों का हर रोज जन्म होता है। इनमें से करीब 15 बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें किसी कारणवश मां के दूध से वंचित रहना पड़ता है। ऐसे बच्चों को मां का दूध मिल सके, इसलिए दूसरी माताओं का दूध संग्रहण करना पड़ता है, ताकि यह दूध वंचित बच्चों को दिया जा सके। 2018 में शीतसत्र के दौरान उपराजधानी के सरकारी अस्पतालों में मदर मिल्क बैंक तैयार करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया था। इसके लिए जिला नियोजन समिति से निधि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कोरोना आने से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। नागपुर में पहली बार मदर मिल्क बैंक की पहल बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति जैन ने की थी।

डागा में शुरू हुआ पहला मिल्क बैंक : अगस्त 2019 में शासकीय डागा स्मृति महिला अस्पताल में उपराजधानी का पहला मदर मिल्क बैंक शुरू हुआ। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा पारवेकर ने इसके लिए प्रयास किए थे। यहां जिन बच्चों को मां के दूध से वंचित रहना पड़ता है, उन्हें मां का दूध मदर मिल्क बैंक से मिलता है। बच्चों के लिए यह दूध जीवन अमृत होता है। यदि बच्चों को समय पर मां का दूध नहीं मिल पाया तो कुपोषण का शिकार होने का खतरा बना रहता है। दान किया गया दूध मिल्क बैंक में विशेष तकनीक से सुरक्षा के साथ फ्रीज किया जाता है। दूध को पॉश्चराइज्ड करके माइनस 20 डिग्री तापमान में कमसे कम तीन और अधिकतम छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जो माताएं शिशुआें को स्तनपान नहीं करवा सकतीं, उन्हें मदर मिल्क बैंक से दूसरी माताओं द्वारा दान किया गया दूध उपलब्ध होता है। जिन माताओं के आंचल में अधिक दूध होता है, वे भी मिल्क बैंक में जाकर दूध दान कर सकती हैं।


Created On :   30 March 2024 11:00 AM GMT

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