Nagpur News: बने रहेंगे चिट्ठियों के लाल डिब्बे , सोशल मीडिया की अफवाह को विभाग ने किया खारिज

बने रहेंगे चिट्ठियों के लाल डिब्बे , सोशल मीडिया की अफवाह को विभाग ने किया खारिज
  • पिछले कुछ दिन से सोशल मीडिया पर पत्र-पेटियां हटाने की खबर
  • डाक विभाग ने साफ किया ,नहीं हटेगा लाल डिब्बा

Nagpur News पिछले कुछ दिन से सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है कि 1 सितंबर से सड़क किनारे लगी डाकघर की पत्र-पेटियां हमेशा के लिए हट जाएंगी। इस अफवाह को विराम देते हुए डाक विभाग ने साफ किया है कि पत्र-पेटियां पहले की तरह ही रहेंगी।

यादों का पहरेदार : कभी यह लाल डिब्बा घर-घर की कहानी कहता था। परीक्षा पास होने की खुशी, नौकरी मिलने का गर्व, नए जीवन की शुरुआत या किसी अपने के बिछड़ने की सूचना। सब कुछ इन्हीं पत्रों में लिखा जाता और यही पत्र इस पत्र-पेटी से होकर मंज़िल तक पहुँचते। आज भले ही व्हाट्सएप और ई-मेल ने जगह बना ली हो, लेकिन गांवों और पहाड़ी इलाकों में पत्र-पेटी अब भी लोगों की आस है।

डाक विभाग का भरोसा : नागपुर रीजन में इस समय लगभग 4,500 पत्र-पेटियां हैं। किसी भी पत्रपेटी को हटाने का निर्णय नहीं हुआ है। न ही हमें इस तरह का कोई आदेश मिला है। सरकार की नई अधिसूचना आई है। 1 अक्टूबर से स्पीड पोस्ट को मूलभूत सेवा का दर्जा मिलेगा, जबकि रजिस्ट्रेशन सुविधा केवल स्पीड पोस्ट वस्तुओं के लिए ही उपलब्ध रहेगी। दरों की घोषणा जल्द की जाएगी। - शोभा मधाले, पोस्टमास्टर जनरल

यहां से शुरू हुई थी कहानी? : भारत में पत्र-पेटियों की यात्रा ब्रिटिश दौर में शुरू हुई। { 1766 : ईस्ट इंडिया कंपनी ने औपचारिक डाक व्यवस्था आरंभ की। { 1854 : लॉर्ड डलहौजी ने भारतीय डाक विभाग की नींव रखी। { 1856 : कोलकाता, मुंबई और मद्रास की सड़कों पर पहली बार पत्र-पेटियां दिखाई दीं। { लाल रंग इसकी पहचान बना, तो कुछ ग्रामीण इलाकों में हरी पत्र-पेटियां भी नजर आईं। आज़ादी के बाद पूरे देश में इसका जाल और फैल गया।


Created On :   3 Sept 2025 12:03 PM IST

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