Nagpur News: भारतीय रेल को नीरी ने दिखायी हरित भविष्य की राह, रेलवे स्टेशनों पर होगा बदलाव

भारतीय रेल को नीरी ने दिखायी हरित भविष्य की राह, रेलवे स्टेशनों पर होगा बदलाव
  • अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विज्ञान आधारित मॉडल प्रस्तुत
  • सर्कुलर इकोनॉमी को लागू करने से लागत में कमी

Nagpur News. रेलवे के हरित भविष्य की दिशा में नागपुर ने एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित रेल इंडिया कॉन्फ्रेंस एंड एक्सपो 2025 में नागपुर की अनुसंधान संस्था सीएसआईआर-नीरी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. देबिश्री खान ने ‘भारतीय रेलवे में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन’ विषय पर विज्ञान आधारित मॉडल प्रस्तुत किया।

अपशिष्ट का निपटारा व पुन: उपयोग करना जरूरी

डॉ. खान ने बताया कि सीएसआईआर-नीरी नागपुर द्वारा रेलवे परिसरों के लिए टिकाऊ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समाधान विकसित किए जा रहे हैं, जिससे रेलवे नेटवर्क को स्वच्छ और हरित बनाने में मदद मिलेगी। विज्ञान आधारित और व्यवहारिक मॉडल का प्रस्तुतीकरण करते हुए कहा कि वर्तमान में अपशिष्ट प्रबंधन में स्थानीय स्तर पर निपटारा और संसाधन का पुन: उपयोग करना बेहद जरूरी है।

सर्कुलर इकोनॉमी को लागू करने से लागत में कमी

डॉ. खान के अनुसार, नीरी का अनुसंधान भारतीय रेलवे को एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल भविष्य की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। डॉ. खान द्वारा प्रस्तुत विचारों की रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों, नीति निर्माताओं और तकनीकी विशेषज्ञों ने दखल ली है। उनके मॉडल से रेलवे के भविष्य को स्वच्छ, मजबूत और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना गया।

सुझाव कुछ तरह हैं...

  • रेलवे कोचेस के अंदर मेट्रो की तर्ज पर ऑडियो वीडियो विजुअल चलते रहना चाहिए, ताकि कचरा न फेंकने, डस्टबीन में कचरा डालने, वॉशरूम, बाथरूम आदि के उपयोग के प्रति लोगों को जागरुक किया जा सके।
  • डॉ. देबिश्री खान ने डिजिटाइजेशन पर लक्ष्य केंद्रित किया। उन्होंने डिजिटल के दौर में ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करने की सलाह दी। एआई के उपयोग पर भी ध्यानाकर्षित किया। स्टेशन व प्लेटफॉर्म की कनेक्टिविटी हो ताकि इस बात का पता चल सके कि कहां कितनी कचरा जमा हो रहा है।
  • बायो-टॉयलेट पर कहा कि नीरी में सैनिटेशन पर काफी काम हो रहा है। उस तर्ज पर काम किया जाए तो वेस्ट का जहां के तहां निस्तारण हो सकता है। बोतलें व अन्य कुछ सामग्री रिसायकलिंग की जानी चाहिए। यह सुविधा हरेक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होनी चाहिए।

अपशिष्ट प्रबंधन व विशेषताएं

"ठोस अपशिष्ट प्रबंधन’ का अर्थ रेलवे परिसरों, ट्रेनों और प्लेटफॉर्म्स के कचरे का संकलन, उसका उचित तरीके से निपटान व पुन: उपयोग करना होता है। इसका उद्देश्य स्वच्छता बनाए रखना, पर्यावरण को सुरक्षित रखता व कचरे से पैदा होनेवाली समस्याआें को रोकना होता है।

कचरे का वर्गीकरण : रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में गीले और सूखे कचरे के वर्गीकरण के लिए अलग-अलग डस्टबिन लगाए जाते हैं।

संग्रहण और परिवहन : कचरे को एकत्रित कर उसे सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है।

पुन: उपयोग और रिसाइक्लिंग : प्लास्टिक, कागज़, धातु आदि को छांटकर रिसाइकल किया जाता है।

कंपोस्टिंग : जैविक कचरे से खाद तैयार की जाती है।

बायो-डाइजेस्टर्स का उपयोग : ट्रेनों के शौचालयों में बायो-डाइजेस्टर लगाए जाते हैं, जो मानव अपशिष्ट को जैविक तरीके से निष्प्रभावी करते हैं।


Created On :   5 May 2025 6:31 PM IST

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