Nagpur News: पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता ही सेवा अभियान, कृषि महाविद्यालय 18 विभागों में कार्यक्रम

पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता ही सेवा अभियान, कृषि महाविद्यालय 18 विभागों में कार्यक्रम
  • बदलाव की शुरुआत स्वयं से करें
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छता ही सेवा अभियान

Nagpur News.‘स्वच्छता ही सेवा है' अभियान अंतर्गत नागपुर कृषि महाविद्यालय में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है। महाविद्यालय के लगभग 18 विभागों में प्रति सप्ताह गुरुवार को यह अभियान नियमित रूप से चलाया जाता है। गर्मी के मौसम में शाम 5 से 6 बजे तक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जबकि अन्य दिनों में यह समय 4 से 5 बजे निर्धारित है। इस अभियान में महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। पशु संवर्धन एवं दुग्ध शास्त्र विभाग तथा कृषि महाविद्यालय इस पहल के मुख्य केंद्र हैं, जहां स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जा रही है। यह अभियान विद्यार्थियों को भविष्य में एक जिम्मेदार कृषक और नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है।

पशु संवर्धन विभाग : इस विभाग में अब तक 250 से 300 पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें आम के 40, जामुन के 15 तथा फूलों की विभिन्न प्रजातियों के पौधे शामिल हैं। इन सभी पौधों का नियमित रूप से संरक्षण किया जा रहा है। पौधों से प्राप्त होने वाले फल-फूलों का उपयोग विद्यार्थी अनुसंधान एवं शैक्षणिक प्रयोगों में करते हैं। शुक्रवार को अभियान का 441वां सत्र आयोजित किया गया, जिसमें विभाग के समस्त अधिकारी, कर्मचारी, सफाई कर्मचारी तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।

नितीन साबले, फार्म मैनेजर, पशुसंवर्धन व दुग्ध शास्त्र विभाग कृषि महाविद्यालय के मुताबिक हम जिस परिसर में रहते हैं, उसे स्वच्छ और सुंदर बनाना हमारा उद्देश्य है। इस अभियान के माध्यम से ‘ग्रीन एंड क्लीन कैंपस' की अवधारणा को हम विद्यार्थियों में प्रोत्साहित कर रहे हैं।

कृषि महाविद्यालय : कृषि महाविद्यालय के परिसर में पिछले 6 महीनों से प्रत्येक गुरुवार स्वच्छता अभियान के साथ-साथ जैविक कचरे के निपटान की प्रक्रिया भी की जा रही है। यदि गुरुवार को अवकाश होता है, तो यह अभियान बुधवार या शुक्रवार को संपन्न किया जाता है। अभियान के दौरान एकत्रित कचरे में से प्लास्टिक अलग किया जाता है और शेष जैविक कचरे को विशेष गड्ढों में सड़ाकर उससे कम्पोस्ट खाद तैयार की जाती है। यह खाद महाविद्यालय परिसर के उद्यानों एवं पौधों में प्रयोग की जाती है।

बदलाव की शुरुआत स्वयं से करें

डॉ. मिलिंद राठोड, प्राध्यापक, प्रभारी स्वच्छता अभियान, कृषि महाविद्यालय के मुताबिक किसी भी सकारात्मक बदलाव की शुरुआत स्वयं से होनी चाहिए। हम कृषि विभाग से ही जैविक कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया आरंभ करते हैं, ताकि विद्यार्थी इस अभियान से सीख लेकर अपने जीवन में उसका अनुकरण करें। इस माध्यम से हम उन्हें यह भी सिखा रहे हैं कि कृषि में बेसिक टेक्नोलॉजी के ज़रिये किस प्रकार घर पर भी खाद तैयार की जा सकती है।


Created On :   25 May 2025 7:03 PM IST

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