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Nagpur News: वेकोलि में कार्यरत था पति, 24 वर्षों से विधवा पत्नी को मुआवजा नहीं

- हाईकोर्ट ने मामले की जांच के आदेश दिए
- विधवा पत्नी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
Nagpur News वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) में कार्यरत पति की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को पिछले 24 वर्षों से मुआवजा नहीं दिया गया। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वेकोलि के इस असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना कृत्य पर तीव्र नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले की जांच करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने, आठ सप्ताह के भीतर तीन लाख रुपये का मुआवजा तथा बेटे को नौकरी देने के निर्देश दिए। न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी की खंडपीठ ने यह फैसला दिया।
यह है मामला : नागपुर के रामब्रिच निशाद वेकोलि में पूर्णकालिक लोडर के पद पर कार्यरत थे। 8 जून 2000 को उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी विधवा पत्नी धनपती निशाद ने मुआवजे और बड़े बेटे को नौकरी देने के लिए वेकोलि में आवेदन किया। 16 अक्टूबर 2003 को धनपती ने छोटे बेटे को नौकरी देने के लिए नया आवेदन किया। इस मामले में बार-बार पत्राचार के बावजूद वेकोलि की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। अंततः 8 मई 2017 को वेकोलि ने इस आवेदन को अस्वीकार करने वाला पत्र विधवा पत्नी को भेजा। पिता की मृत्यु के समय छोटे बेटे की उम्र 12 वर्ष से कम होने का कारण देकर वेकोलि ने आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद विधवा पत्नी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
वेकोलि का लापरवाही पूर्ण रवैया : वेकोलि भारत सरकार के अधीन कार्यरत संस्था है। पिछले 24 वर्षों से विधवा पत्नी को मुआवजा न देना वेकोलि का लापरवाही पूर्ण रवैया दर्शाता है। विशेष बात यह है कि 2012 में वेकोलि की तीन सदस्यीय समिति ने छोटे बेटे को नौकरी देने की सिफारिश की थी, लेकिन वेकोलि ने इसे स्वीकार नहीं किया। 2017 में उच्च न्यायालय में मामला दर्ज होने के बाद भी वेकोलि ने सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। अब हाईकोर्ट ने इस मामले फैसला देते हुए आठ सप्ताह के भीतर बेटे को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी और विधवा पत्नी को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता विधवा पत्नी की ओर से एड. एस.एस. गुप्ता ने पक्ष रखा।
न्यायालयीन खर्च वेतन से वसूल करना चाहिए : विधवा पत्नी को समय पर मुआवजे की राशि न देना अमानवीय और असंवेदनशील है। न्यायालय में मुकदमा लड़ते समय वेकोलि का कुछ नहीं जाता, क्योंकि वे जनता के पैसे से खटला लड़ते हैं। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर विधवा पत्नी को यह खर्च स्वयं वहन करना पड़ता है। इसलिए विधवा पत्नी के मुआवजे के आवेदन को अस्वीकार करने वाले संबंधित अधिकारियों के वेतन से न्यायालयीन खर्च वसूल करना चाहिए, यह राय न्यायालय ने निर्णय देते समय व्यक्त की।
Created On :   28 May 2025 4:24 PM IST