- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- उस दौर में झिलमिल सितारों का आंगन...
काव्य कुंज: उस दौर में झिलमिल सितारों का आंगन था, रिमझिम बरसता सावन था, कवि सत्येंद्र प्रसाद सिंह बोले - अब आती है नानी याद

- बारिश के बाद पैदा होनो वाले हालातों का काव्य में जिक्र
- रिमझिम बरसता सावन होगा....
- बदले दौर में आ गई नानी याद
Nagpur News. कवि और लेखक सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने अपनी रचना में बारिश के बाद पैदा होनो वाले हालातों का काव्य में जिक्र किया है। साथ ही बीते दौर को याद करते हुए कहा कि कभी सावन के आगाज में बॉलीवुड के सदाबहार गाने याद आते थे, जैसे - झिलमिल सितारों का आंगन होगा, रिमझिम बरसता सावन होगा.... ओ बरखा रानी ज़रा जम के बरसो, मेरा दिलबर जा न पाए झूम के बरसों ...लेकिन अब जो दौर है, उसमें इस सदाबहार गीतों को महसूस करना दुर्लभ है, क्योंकि बरखा रानी के मिजाज अब बदले बदले से हैं और शायद हालात बदले बदले गए हैं।
यह भी पढ़े -एलिमेंट्री, इंटरमीडिएट परीक्षा शुल्क हुए दोगुने, छात्रों में तीव्र नाराजगी का माहौल
जुलाई 2025 की बारिश याद आती है
तो वाकई सबको नानी याद आ जाती है
याद आ जाता है 2023 का सितम्बर
बिन बुलाया बवंडर
जब संतरा नगरी की सीमेंट रोड पर
चलने लगी थी SDRF NDRF की नाव
पानी -पानी था पूरा शहर
नहीं मिल रहा था कोई ठांव
महंगी गाड़ियां पानी में हिचकोले खाते तैरने लगीं
लेकिन उसमें कोई सवार नहीं था.
परेशान थे लोग बेहद
बीमा कंपनियों ने मुआवज़ा नकार दिया था
झोपड़ी वालों की तो बात ही नहीं
बड़े - बड़े आलीशान बंगले भी नहीं थे महफूज़
अपनी सुविधा से सब भूल कर
उसकी अनदेखी करते हम लोग
फ़िर इस दफ़ा भी फंसे उसी तबाही में
कुछ रातें कटीं खौफ़नाक सियाही में
अतिक्रमण का लालच और प्लास्टिक-प्रेम
ले डूबेगा हमें
तबाह बर्बाद कर डालेगा
और हम मॉडर्न लोग
सोशल मीडिया
पर उसकी फ़ोटो और वीडियो पोस्ट कर
खुद की पीठ थपथपाते फिरेंगे
उस पर मिले लाइक्स और कमेंट्स
को अपनी उपलब्धि बतायेंगे
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को
खंड - खंड होते देखना हमारी मज़बूरी है
गुरुग्राम में भी न कोई गुरु बचा, न ग्राम
प्रकृति से पंगा,
क्यों है यह संग्राम
हर साल हम झेलते हैं
उसका कोप और दुष्परिणाम
नैसर्गिक जंगल काट कर हम रोज़
खड़े कर रहे हैं कंक्रीट के नये जंगल
विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमरीका के टेक्सास का नजारा ताज़ा है
यह और कुछ नहीं सो कॉल्ड आधुनिकता की अंधी दौड़ की सज़ा और महंगा खामियाजा है
इसलिए, हे भले लोगो
अब भी संभलो
प्रकृति की शरण में जाओ
प्रकृति का आवरण है पर्यावरण
कम-से-कम अगली पीढ़ी के लिए तो उसे बचाओ
जग की बारिश सबने देखी
मन की ख्वाहिश देखे कौन !!
Created On :   22 July 2025 9:58 PM IST