Nagpur News: लाल चंदन का लिया मुआवजा और निकला बीजासाल का पेड़, अब ब्याज सहित लौटानी होगी रकम

लाल चंदन का लिया मुआवजा और निकला बीजासाल का पेड़, अब ब्याज सहित लौटानी होगी रकम
  • किसान ने रेल्वे से 11 हजार के बदले एेंठे 50 लाख
  • मूल्यांकन रिपोर्ट से चौंकाने वाला खुलासा

Nagpur News यवतमाल जिले में लाल चंदन के पेड़ के मुआवजे को लेकर अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां के एक किसान ने सौ वर्ष पुराने पेड़ के मुआवजे के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे लाल चंदन का पेड़ बताया जा रहा था। हाई कोर्ट के आदेश पर रेल्वे ने कथित लाल चंदन के पेड़ के मुआवजे के तौर पर 1 करोड़ रुपये जमा किए थे। इसमें से 50 लाख रुपए याचिकाकर्ता को देने का आदेश हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार को दिया था। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को पेड़ के मूल्यांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था। हालांकि, अब ` हुआ है कि यह पेड़ लाल चंदन का नहीं, बल्कि बीजासाल का है।

अदालत से फरियाद : बता दें कि, यवतमाल जिले के पुसद तहसील के खर्शी गांव के याचिकाकर्ता किसान केशव शिंदे की भूमि वर्धा-यवतमाल-पुसद-नांदेड़ रेल्वे परियोजना के लिए अधिगृहीत की गई। प्रभावित किसानों को मुआवजा भी दिया गया, लेकिन लाल चंदन पेड़ सहित अन्य पेड़ों और पाइप लाइन के दावे को खारिज कर दिया गया था। इसलिए केशव शिंदे और उसके परिवार के सदस्यों ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि, 8 फरवरी 2018 को पारित विवादित अवार्ड रद्द किया जाए तथा लाल चंदन सहित अन्य पेड़ और भूमिगत पाइप लाइन के मूल्यांकन के अनुसार मुआवजा देने के निर्देश राज्य सरकार और रेल्वे प्रशासन को दिए जाएं।

कोर्ट ने चेतावनी दी थी : पिछली सुनवाई में कोर्ट के आदेश के अनुसार मध्य रेलवे नागपुर ने चंदन पेड़ के मुआवजे के तौर पर हाई कोर्ट रजिस्ट्रार के पास 1 करोड़ रुपये की राशि जमा करने की जानकारी दी थी। इसमें से 50 लाख रुपए का मुआवजा याचिकाकर्ता को देने का कोर्ट ने हाई कोर्ट रजिस्ट्रार को आदेश दिया था। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को लाल चंदन के पेड़ का मूल्यांकन की िरपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया था। अन्यथा शेष 50 लाख भी याचिकाकर्ता को दिए जाने की कोर्ट ने चेतावनी दी थी। कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत मूल्यांकन रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि यह पेड़ लाल चंदन नहीं, बल्कि बीजासाल का है। इस मामले में रेल्वे प्रशासन की ओर एड. निरजा चौबे ने पैरवी की।

पेड़ की कीमत महज 11 हजार : पुसद वन विभाग द्वारा प्रस्तुत मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु स्थित प्रसिद्ध काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान ने पेड़ का मूल्यांकन किया। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि यह पेड़ लाल चंदन का नहीं, बल्कि बीजासाल का है। इसके साथ ही, इस बीजासाल पेड़ की कीमत मात्र 11 हजार रुपये आंकी गई है। अब रेलवे ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर किसान को दिए गए 50 लाख रुपए मुआवजे को ब्याज सहित वापस करने की मांग की है।


Created On :   3 Sept 2025 11:36 AM IST

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