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Nagpur News: न ट्रेनिंग, न उपाधि, अपनी ही जान से खिलवाड़ कर रहे स्वयंभू सर्प मित्र

- शहर में 500 से अधिक लोग पकड़ रहे हैं सांप
- अनियंत्रित गतिविधियाें को लेकर भारी चिंता
Nagpur News जहां एक ओर देश भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कार्यक्रम और रैलियां आयोजित की जा रही हैं, वहीं नागपुर में सर्पों की रक्षा के नाम पर चल रही एक ‘स्वैच्छिक मुहिम’ अब चिंता का विषय बन गई है। पर्यावरण दिवस के मौके पर यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सच में प्रकृति की रक्षा के नाम पर की जा रही हर गतिविधि सुरक्षित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित है? बीते सोमवार को नागपुर में एक और सर्पमित्र को सांप ने डस लिया। यह घटना पिछले 15 दिन में ऐसी दूसरी बड़ी ‘दुर्घटना’ है, जिसमें एक सर्पमित्र की जान भी चली गई थी। इन हादसों ने सर्पमित्रों की कार्यप्रणाली और सुरक्षा मानकों की गम्भीरता से समीक्षा की मांग खड़ी कर दी है।
कोई नियम नहीं : नागपुर में सक्रिय लगभग 500 से अधिक सर्पमित्रों में से अधिकांश ‘स्वयंभू’ हैं, यानि किसी भी सरकारी संस्था या वन विभाग से मान्यता प्राप्त नहीं। न तो उन्हें साँपों को पहचानने की वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्राप्त है और न ही उन्हें सर्पदंश के बाद त्वरित प्राथमिक उपचार की जानकारी है। अधिकतर लोग यू-ट्यूब वीडियो देखकर, दूसरों को देखकर या अनुभव के आधार पर सांप पकड़ने का कार्य करते हैं।
प्रशासन की चुप्पी : पर्यावरण दिवस पर यह चिंतन आवश्यक है कि सिर्फ वनों, पौधों और जल स्रोतों को बचाना ही पर्यावरण संरक्षण नहीं है, बल्कि वन्यजीवों और उनसे जुड़े मानव गतिविधियों को सुरक्षित एवं वैज्ञानिक बनाना भी उतना ही ज़रूरी है। नागपुर के सर्पमित्रों की भूमिका यदि सकारात्मक है, तो उन्हें उचित प्रशिक्षण, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, सुरक्षा उपकरण और वनविभाग के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत लाना अनिवार्य है।
सुरक्षा का अभाव : सांप पकड़ने के लिए उपयोग की जाने वाली लोहे की स्टिक, जो सर्पमित्रों की सुरक्षा में सहायक होती है, अब शायद ही कोई उपयोग करता है। अधिकांश सर्पमित्र हाथों से ही साँप पकड़ते हैं, जो अत्यंत खतरनाक है। विशेषकर जब वे जहरीले साँपों को पहचान नहीं पाते।
नियमावली भी नहीं : वनविभाग के पास उन सर्पमित्रों की सूची जरूर है, जो पकड़े गए साँपों को विभाग के पास जमा कराते हैं, लेकिन इसके अलावा विभाग के पास इनके प्रशिक्षण, रजिस्ट्रेशन या सुरक्षा से संबंधित कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। वन विभाग का एकमात्र स्पष्ट नियम यह है कि -"साँपों का प्रदर्शन या खेल दिखाना पूर्णतः अवैध है-", पर साँपों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने को लेकर कोई नियमावली नहीं है।
‘सेवा’ या ‘व्यवसाय’? : कुछ सर्पमित्र पेट्रोल खर्च के नाम पर पीड़ितों से 100 रुपए लेते हैं, जबकि कई इस सेवा को अब एक व्यवस्थित व्यवसाय बना चुके हैं। वे 500 से 1000 रुपए तक की मांग करते हैं। यह न केवल नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा करता है, बल्कि यह उन गरीब ग्रामीणों और शहरी परिवारों के लिए आर्थिक बोझ भी है, जो पहले से ही संकट में होते हैं।
Created On :   4 Jun 2025 3:51 PM IST