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Nagpur News: पीएचडी छात्र को राहत, एक साल अतिरिक्त मिला , विश्वविद्यालय का फैसला रद्द

- विश्वविद्यालय ने पहले भी अन्य छात्रों को छूट दी
- यह समयावधि फैसले की तारीख से शुरू होगी
Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के एक पीएचडी छात्र को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें छात्र की पीएचडी समयावधि बढ़ाने की मांग को खारिज किया गया था। अब विश्वविद्यालय को छात्र को एक साल का अतिरिक्त समय देना होगा।
पांच दिन की देरी : सुनीलदत्त तलवारे नामक इस छात्र ने 2011 में विश्वविद्यालय के कॉमर्स (मैनेजमेंट) संकाय में पीएचडी के लिए पंजीकरण कराया था। उनकी पंजीकरण तिथि 15 जुलाई 2011 थी। नियमों के अनुसार, उन्हें पांच साल के भीतर अपनी थीसिस जमा करनी थी। यानी 14 जुलाई 2016 तक। लेकिन सुनील दत्त तलवारे समय पर थीसिस पूरी नहीं कर पाए। उन्होंने एक साल की मोहलत के लिए आवेदन किया। उनका यह आवेदन पांच दिन की देरी से 19 अप्रैल 2016 को जमा हुआ, जिसे विश्वविद्यालय ने खारिज कर दिया। सुनील दत्त ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
शैक्षणिक अनुशासन का हवाला : इस याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील भानूदास कुलकर्णी ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय ने पंजीकरण की तारीख की जानकारी देने में नौ महीने की देरी की थी। साथ ही, नियमों में समयावधि बढ़ाने का प्रावधान अनिवार्य नहीं, बल्कि सुझावात्मक है। उन्होंने एक अन्य मामले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने ऐसे ही नियम को सुझावात्मक माना था। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने अन्य छात्रों को समयावधि बढ़ाने की अनुमति दी थी। वहीं, विश्वविद्यालय के वकील एन. एस. देशपांडे ने इसका विरोध करते हुए कहा कि शैक्षणिक अनुशासन के लिए समय सीमा का पालन जरूरी है और देरी को माफ करने का कोई प्रावधान नहीं है।
छात्र के पक्ष में फैसला : हालांकि, कोर्ट ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि समयावधि बढ़ाने का नियम अनिवार्य नहीं है और विश्वविद्यालय ने पहले भी अन्य छात्रों को छूट दी है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के 18 मई 2016 के पत्र को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि सुनील दत्त को 1 वर्ष का अतिरिक्त समय दिया जाए। यह समयावधि फैसले की तारीख से शुरू होगी, यह भी कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया।
Created On :   4 July 2025 12:51 PM IST