Nagpur News: रीडिंग हैबिट नहीं, रीडिंग कल्चर है आवश्यक

रीडिंग हैबिट नहीं, रीडिंग कल्चर है आवश्यक
दैनिक भास्कर के संपादकीय सहयोगियों की एनबीटी डायरेक्टर युवराज मलिक से विशेष चर्चा

Nagpur News लोगों में पढ़ने की आदत विकसित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पढ़ने को जीवन शैली का हिस्सा बनाना आवश्यक है। ऐसा कहना है नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया के डायरेक्टर युवराज मलिक का। उन्होंने शुक्रवार को दैनिक भास्कर के संपादकीय सहयोगियों से बातचीत के दौरान यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी सूचना तो पढ़ती है, लेकिन उसका विश्लेषण और संदर्भ समझने की क्षमता उनमें कम है, इसलिए किताबें सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बौद्धिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक विकास का माध्यम हैं। मालिक शनिवार 22 नवंबर से शुरू होने वाले "नागपुर पुस्तक महोत्सव" में भाग लेने आए हैं।

अच्छे साहित्य में आकर्षण : चर्चा के दौरान मालिक ने बताया कि बुक फेयर के दौरान एनबीटी की टीम देशभर से लाखों बच्चों को स्टोरी टेलिंग और क्रिएटिव एक्टिविटी से जोड़ती है। उनका मानना है कि यह भारतीय ज्ञान परंपरा का आधुनिक रूप है, जिससे बच्चे किताबों की दुनिया में प्रवेश करते हैं और स्वयं समझते हैं कि ज्ञान कितना विशाल है। ऐसे कार्यक्रमों के बाद लगभग 20-30 प्रतिशत बच्चे पढ़ने को आदत में बदल देते हैं। संस्था द्वारा संचालित राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय में उपलब्ध 5 हजार मुफ्त पुस्तकें शामिल हैं, जिसमें "गोदान' और "रामचरितमानस' सबसे अधिक पढ़ी गईं। यह बताता है कि अच्छा साहित्य हमेशा पाठकों को आकर्षित करता है।

किताबें ठहरने का अवसर : मलिक ने कहा कि बी-टाउन और सब-अर्बन इलाकों में आज भी पढ़ने वालों की संख्या बेहतर है। यहां पढ़ना अभी भी लोगों की आदत और जरूरत दोनों बनी हुई है। शायद इसकी वजह धीमी जीवनशैली, सामाजिक जुड़ाव और स्क्रीन पर कम निर्भरता है। इसके चलते लोग अब भी किताबों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। किताबें आपको ठहरने का अवसर देती हैं और पढ़ने की यह आदत खुद में एक निवेश है। अगर रीडिंग कल्चर को और मजबूत करना है, तो एक छोटी दिनचर्या अपनाई जा सकती है। रोज दस पेज पढ़िए, एक पेज लिखिए और एक मिनट बोलने की प्रैक्टिस कीजिए।

किताबों का रूप बदला : उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पढ़ने की शैली और माध्यम व्यापक रूप से बदलेंगे। पहले पॉकेट बुक्स हुआ करते थे। वहां से शुरू हुआ सफर अब कॉफी टेबल बुक, ई-बुक्स, ऑडियो बुक्स, ग्राफिक नॉवेल्स और एनीमेशन आधारित डिजिटल पुस्तकों तक पहुंच चुका है। बच्चे आज पहले वीडियो देखते हैं, फिर कॉमिक्स, फिर टेक्स्ट पढ़ते हैं और यही नया मॉडल उनकी समझ को विस्तार दे रहा है। मुझे लगता है कि आज कल के बच्चे ई-बुक्स, ऑडियो बुक्स, ग्राफिक्स बुक्स पढ़ते हैं, लेकिन आखिर में मेन टेक्स्ट में ही आएंगे।

अत्याधुनिक लाइब्रेरी जल्द : मलिक ने बताया कि नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा देशभर में आयोजित बुक फेयर को अलग-अलग शहरों में मिली प्रतिक्रिया बेहद उल्लेखनीय रही है। अहमदाबाद, पुणे, नागपुर, उज्जैन, गोरखपुर, श्रीनगर और लखनऊ जैसे शहरों में बुक फेयर आयोजित किए गए, जिनमें गोरखपुर में अप्रत्याशित रूप से शानदार रिस्पॉन्स मिला, जबकि लखनऊ में अपेक्षा के विपरीत कम पाठक और कम बिक्री दर्ज हुई। श्रीनगर में हुई प्रदर्शनी में ढाई लाख लोग आए, जिनमें 70% महिला पाठकों की उपस्थिति एक सकारात्मक संकेत रही। इन आयोजनों के जरिए बच्चों और युवाओं में पढ़ने की रुचि बढ़ रही है। भविष्य में पुणे की जिजाऊ परंपरा पर आधारित जिस स्टोरी टेलिंग लाइब्रेरी की नींव रखी गई है, उसी मॉडल पर जल्द ही नागपुर में भी अत्याधुनिक लाइब्रेरी स्थापित की जाएगी।


Created On :   22 Nov 2025 7:06 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story