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Nagpur News: सेटिंग वाली बैटिंग, सीधे जेल में पहुंच रहीं हैं गेंदें, मादक पदार्थों को पहुंचाने का नया तरीका

- आए दिन बाहर से अंदर गिर रहे हैं बॉल
- जेल के अधिकारी कर्मचारी भी अनजान
Nagpur News नागपुर सेंट्रल जेल फिर चर्चा में है। जेल के अंदर हर रोज 8 से 10 गेंदें आकर गिर रही हैं। आप सोच रहे होंगे कि इसमें क्या खास है, लेकिन खास है। ये सामान्य गेंद नहीं। मादक पदार्थों से भरे गेंद हैं, जो सुनियोजित तरीके से जेल में पहुंचाए जा रहे हैं। वांछित स्थानों तक गेंदें इस प्रकार पहुंचती हैं, मानों कोई बल्लेबाज जोरदार फार्म में है और गेंद को जेल की दीवार के पार पहुंचा रहा हो। वह है कौन? इस बारे में पूछे जाने पर जेल अधीक्षक वैभव आगे ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
चप्पल में मिला गांजा : मंगलवार की ही बात है। दुष्कर्म व पोक्सो के आरोपी सोनू उर्फ सरफराज आलम नामक विचाराधीन कैदी को चप्पल में 201 ग्राम गांजा छिपाकर ले जाते पकड़ा गया। जेल में कैदियों द्वारा मादक पदार्थ ले जाने का यह कोई नया मामला नहीं है। एक लंबी कड़ी है, जो एक-दूसरे से जुड़कर काम करती है। यह काफी गंभीर मुद्दा है।
यहां से आती हैं गेंदें : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन गेंदों को जेल के टेलरिंग और फेब्रिकेशन विभाग की ओर से अंदर भेजा जाता है। सुबह से दोपहर तक जिन कैदियों को यह मादक पदार्थ चाहिए, वे उस दिशा में जाकर माल ले लेते हैं और रात को सुकून के साथ अपने बैरक में सेवन करते हैं। इससे जेल के अंदर मादक पदार्थ की लत बढ़ रही है और कैदियों के स्वास्थ्य और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जेल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। पिछले दिनों कुछ गेंद मिले जरूर थे। उनके अंदर मादक पदार्थनुमा सामग्री थी। उसकी जानकारी वरिष्ठों तक पहुंची थी, आगे क्या हुआ पता नहीं है।
जेल के लिए बड़ी चुनौती : सूत्रों के अनुसार, कई बार जेल प्रशासन पड़ी हुई गेंद को जब्त कर लेता है, लेकिन उनके पास कोई सबूत नहीं हैं कि इसे कौन भेजता है। नागपुर के नागरिकों और जेल सुधारक संगठनों ने जेल प्रशासन से मांग की है कि जेल के अंदर मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। हालांकि जेल के अंदर गेंदें गिरने के मामले को लेकर कोई भी वरिष्ठ अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
सुरक्षा की मजबूती जरूरी : जेल प्रशासन को चाहिए कि जेल के अंदर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे। मादक पदार्थ की तस्करी के खिलाफ कड़े कदम उठाए। और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए और मादक पदार्थ की तस्करी के खिलाफ अभियान चलाया जाए, ताकि जेल वॉश आउट अभियान के तहत मादक पदार्थों के इस खेल को रोका जा सके।
सागवन वन परिसर से गेंद आने की आशंका : सूत्रों के अनुसार, गेंद के अंदर का खेल भले आम नागरिक को न समझ में आए, लेकिन जेल के अंदर गई गेंद में छिपा माल संबंधित तक पहुंच रहा है। यह गेंद जेल के टेलरिंग और फेब्रिकेशन विभाग के पीछे बड़ी दीवार के बाहर से सटे हुए फेब्रिकेशन विभाग के आस-पास में गिरती है। जेल के गलियारे में चर्चा है कि गेंद जेल के पास खुली जगह में गिरती है और फिर गायब हो जाती है।
आशंका है कि सागवन वन की ओर से गेंद फेंकने वाला अज्ञात व्यक्ति का आना-जाना हो सकता है। जेल के टेलरिंग, कारपेंटिंग (बढ़ई कारखाना) के पीछे बड़ी दीवार के बाहर से सटा हुआ फेब्रिकेशन विभाग है, इसी के आस- पास गेंद गिरने का खेल शुरू है। इस ओर पेड़ और झाड़ियां हैं। पास में ही छोटी गोल है, जिसमें 10 बैरक हैं। गेंद बैरक नंबर 4, 5 और 6 के आस-पास गिरते हैं। कैदियों को सुबह करीब 6.30 छोड़ा जाता है। सुबह चाय-नाश्ता के बाद मजदूरी करने वाले कैदी काम पर सुबह 8 से 9 बजे निकल जाते हैं। इसके बाद दोपहर करीब 12 बजे सभी कैदियों को उनके बैरक में बंद कर दिया जाता है। 12 से 3 बजे तक सभी कैदी बैरक में बंद रहते हैं। इसके बाद संभवत: 3 से 5 बजे तक जेल के अंदर बैरक में चले जाते हैं।
Created On :   19 Jun 2025 4:55 PM IST