Nagpur News: श्री जागृतेश्वर मंदिर को ब तीर्थक्षेत्र दर्जा दिलाने की मांग तेज

श्री जागृतेश्वर मंदिर को ब तीर्थक्षेत्र दर्जा दिलाने की मांग तेज
  • 520 वर्ष पुराना मंदिर, नागपुर में काशी विश्वनाथ जैसा पुण्य लाभ
  • योग्य दर्जा दिलाने के लिए वर्षों संघर्ष जारी

Nagpur News नागपुर शहर के मध्य में जागनाथ बुधवारी क्षेत्र में स्थित श्री जागृतेश्वर मंदिर है। इसे नगर देवता के रूप में पूजा जाता है। अब इस मंदिर को ‘ब’ तीर्थक्षेत्र का दर्जा दिलाने के लिए नागरिकों ने कदम उठाए है। इस ऐतिहासिक मंदिर को ब तीर्थक्षेत्र का दर्जा दिलाने मध्य नागपुर विकास आघाडी और सामाजिक कार्यकर्ता भूषण दडवे पिछले आठ वर्षों से निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

मंदिर का गौरवशाली इतिहास : यह मंदिर करीब 520 वर्ष पुराना है। प्राचीन मंदिर भोसले कालीन स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से काशी विश्वनाथ मंदिर के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस मंदिर को 14 नवंबर 2011 को ‘क’ तीर्थक्षेत्र का दर्जा मिला है। यह दर्जा दिलाने में भूषण दडवे की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

जिलाधिकारी से भेंट कर दिलायी याद : 11 जून 2025 को भूषण दडवे ने नागपुर जिलाधिकारी डॉ. बिपिन इटनकर से मुलाकात कर मंदिर को ‘ब तीर्थक्षेत्र का दर्जा दिलाने संबंधी एक लेखी निवेदन सौंपा। इस दौरान उन्होंने पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा पूर्व में जनता दरबार में दिए गए निर्देशों का भी हवाला दिया। इस पत्र में जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया था कि इस प्रस्ताव को डीपीसी (जिला नियोजन समिति) की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाए।

धार्मिक पर्यटन को बल मिलेगा : इस पवित्र मंदिर को उसका योग्य दर्जा दिलाने के लिए वर्षों संघर्ष जारी है। पहले 'क' तीर्थक्षेत्र का दर्जा मिला, अब 'ब' दर्जा भी मिलेगा, ताकि इसके पुनरुत्थान और विकास कार्य को गति मिले, ऐसा भूषण दडवे ने कहा। उन्होंने बताया कि श्री जागृतेश्वर मंदिर को लेकर भक्तों में गहरी आस्था है। क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों, सामाजिक संगठनों और राजनैतिक प्रतिनिधियों का मानना है कि मंदिर को ‘ब’ तीर्थक्षेत्र का दर्जा मिलने से धार्मिक पर्यटन को भी बल मिलेगा। नागपुर की सांस्कृतिक पहचान और समृद्ध होगी।

इसलिए महत्वपूर्ण है तीर्थक्षेत्र दर्जा : महाराष्ट्र शासन द्वारा धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को क, ख, ग श्रेणी में तीर्थक्षेत्र का दर्जा दिया जाता है। 'क' श्रेणी वाले तीर्थों को बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं, जबकि 'ब' श्रेणी में आने से वहां राज्य अनुदान, बुनियादी ढांचा विकास, धार्मिक उत्सवों का समर्थन आदि अधिक प्रभावी रूप से संभव होता है। आगामी डीपीसी की बैठक में अब देखना यह है कि डीपीसी की आगामी बैठक में जिलाधिकारी इस प्रस्ताव को मंजूरी हेतु कैसे रखते हैं। यदि हरी झंडी मिलती है, तो यह मंदिर नागपुर का ऐसा पहला भोसलेकालीन मंदिर बन जाएगा, जिसे ‘क’ के बाद ‘ब’ तीर्थक्षेत्र का दर्जा प्राप्त हुआ हो।


Created On :   12 Jun 2025 4:37 PM IST

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