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Nagpur News: सुप्रीम कोर्ट ने अंबाझरी गार्डन मामले में एमटीडीसी को सुनवाई से रोका

- गरुड़ा एम्यूजमेंट सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस
- विकास कार्यों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला
Nagpur News सुप्रीम कोर्ट ने अंबाझरी गार्डन में विकास कार्यों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। न्या. विक्रम नाथ और न्या. संदीप मेहता की पीठ ने व्यंकट राव चौधरी, अशोक डोंगरे और भारत जावड़े की विशेष अनुमति याचिका स्वीकार करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने निजी ठेकेदार मेसर्स गरुड़ा एम्यूजमेंट पार्क प्राइवेट लिमिटेड को 19 जून 2023 के "कार्य रोक आदेश' को रद्द करने के लिए महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) के समक्ष सुनवाई की अनुमति दी थी। साथ ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार, एमटीडीसी और गरुड़ा कंपनी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए।
याचिकाकर्ताओं का तर्क : याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि गरुड़ा कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट, बॉम्बे में याचिका हारने के बाद नागपुर खंडपीठ में उसी आधार पर दोबारा याचिका दायर की, जो "रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि रियायती समझौते के खंड 38.1 के अनुसार, नागपुर खंडपीठ को इस मामले में क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि क्षेत्राधिकार बॉम्बे में है। साथ ही याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि प्रतिवादियों ने जनहित याचिका के लंबित होने की जानकारी छुपाई, जिसमें अंबाझरी गार्डन के उपयोग परिवर्तन और 44 एकड़ भूमि के अवैध आवंटन को चुनौती दी गई है। गरुड़ा कंपनी ने 2021 में डॉ. आंबेडकर सांस्कृतिक भवन को अवैध रूप से ध्वस्त किया था, जिसके बाद जांच समिति की सिफारिश पर कार्य रोक आदेश जारी हुआ। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. तुषार मंडलेकर, एड. आस्था शर्मा और एड. अंजू थॉमस ने पैरवी की।
"रेस ज्यूडिकाटा' का मतलब? : "रेस ज्यूडिकाटा" का अर्थ है "एक तय की गई बात।" यह एक कानूनी सिद्धांत है जो बताता है कि एक बार किसी मुद्दे पर अदालत द्वारा निर्णय हो जाने के बाद, उसी मुद्दे पर दोबारा मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, चाहे वह पक्ष वही हो या अलग हों।
Created On :   20 May 2025 11:12 AM IST