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Nagpur News: जारी है सिकलसेल से लड़ाई , हाइड्रोक्सीयूरिया ओरल सस्पेंशन का नागपुर में होगा क्लिनिकल ट्रायल

- जिन क्षेत्रों में मरीज, वहां होगा ट्रायल
- कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई
Nagpur News अनुवांशिक बीमारी सिकलसेल एनीमिया के उपचार के मामले में एक बड़ा निर्णय लिया गया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एक निजी कंपनी को हाइड्रोक्सीयूरिया नामक दवा का ओरल सस्पेंशन 100 एमजी व 100 एमएल पर क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दी है। यह ट्रायल नागपुर समेत छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में होगा।
जिन क्षेत्रों में मरीज, वहां होगा ट्रायल : क्लिनिकल ट्रायल के लिए कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है। संबंधित कंपनी को कमसे कम 200 मरीजों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। जिन क्षेत्रों में मरीज पाए जाते है, वहां ट्रायल करना है। इसमें नागपुर को शामिल किया जाएगा। नागपुर समेत विदर्भ के कुछ क्षेत्र इस बीमारी से प्रभावित है। बताया गया कि राज्य में कुल सिकलसेल वाहक मरीजों की संख्या 2.10 लाख है। इनमें से 62 फीसदी यानी 1.32 लाख मरीज नागपुर विभाग में हैं। पिछले दिनों मेयो अस्पताल द्वारा की गई 59825 लोगों की स्क्रीनिंग में 4 फीसदी वाहक और 181 पीड़ित पाए गए थे। वहीं, मेडिकल द्वारा की गई 90908 लोगों की स्क्रीनिंग में 2980 वाहक व 209 पीड़ित पाए गए थे। मेयो, मेडिकल, डागा व एम्स में सिकलसेल मरीजों के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध है। डागा हॉस्पिटल में हर साल 10 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग होती है। इनमें 5 फीसदी में वाहक के लक्षण पाए जाते हैं।
कैप्सूल के रूप में बच्चों को दवा देना मुश्किल : सिकलसेल की दवा हाइड्रोक्सीयूरिया कैप्सूल के रुप में उपलब्ध है। यह 500 एमजी होता है। छोटे बच्चे यह कैप्सूल नहीं ले सकते। उन्हें कैप्सूल खोलकर भीतर की दवा उनकी आयु के हिसाब से देनी पड़ती है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष विंकी रुघवाणी ने बताया कि लंबे समय से हाइड्रोक्सीयूरिया का ओरल सस्पेंशन की मांग की जा रही थी। एक कंपनी का ओरल सस्पेंशन बाजार में उपलब्ध है। अब दूसरी कंपनी को भी क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी देने से बाजार में ओरल सस्पेंशन आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
Created On :   5 Aug 2025 5:01 PM IST