नागपुर: ट्रैफिक पार्क में उद्यान विभाग का गोपनीय कार्यालय

ट्रैफिक पार्क में उद्यान विभाग का गोपनीय कार्यालय
  • सात साल से स्थायी उद्यान अधीक्षक नहीं
  • आंतरिक जांच के चलते बना गुप्त कार्यालय
  • निजी कर्मचारी संभाल रहे काम, वेतन के भुगतान पर सवाल
  • मनपा की नियमावली में प्रावधान नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर, नीरज दुबे| मनपा के उद्यान विभाग के कार्यालय में इन दिनों चहल-पहल नहीं है। मनपा मुख्यालय की 6वीं मंजिल के कार्यालय में अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन धरमपेठ जोन के ट्रैफिक पार्क के भीतर छोटे से मिनी उद्यान विभाग कार्यालय की ठेकेदारों को पूरी जानकारी है। इस कार्यालय में निजी कर्मचारियों के माध्यम से उद्यानों की देखभाल सहित अन्य ठेका प्रक्रिया की फाइलों को तैयार किया जा रहा है। इतना ही नहीं, ठेका एजेंसियों के भुगतान के मामलों भी यहीं से निपटाए जा रहे हैं।

सात साल से स्थायी उद्यान अधीक्षक नहीं

मनपा में पिछले 7 साल से स्थायी उद्यान अधीक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। उद्यान निरीक्षक अमोल चौरपगार को प्रभार सौंपा गया है। शहर में मनपा के 130 उद्यान और नासुप्र के 50 उद्यानों की देखभाल व पौधरोपण की जिम्मेदारी इसी विभाग के पास है। प्रतिवर्ष करीब 45 करोड़ का बजट आवंटित होता है, लेकिन इस विभाग में अनियमितता की शिकायत और लापरवाही को लेकर प्रशासन कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी भी नहीं मांगा गया है।

कई दस्तावेज व फाइलें शिफ्ट

अमोल चौरपगार की कार्यप्रणाली के साथ ही जी-20 के कामों में लापरवाही, अवैध रूप से पेड़ों की कटाई सहित अनेक मामलों में मनपा प्रशासन ने एक माह पहले जांच आरंभ की है। इस जांच में खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों और फाइलों को मिनी कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया। हैरानी यह है कि, इस मामले में उपायुक्त रवींद्र भेलावे ने भी कोई पूछताछ करने की कोशिश तक नहीं की है। रोजाना दो सुरक्षाकर्मियों की कड़ी जांच के बाद इस कार्यालय में मनचाहा ठेकेदार पहुंच पाता है। कार्यालय में मनपा की फाइलों के साथ कम्प्यूटर, प्रिंटर, लैपटॉप समेत नियुक्त निजी महिला कर्मचारी भी मौजूद हैं।

साहब मेडिकल अवकाश पर

छत्रपति शिवाजी महाराज प्रशासकी. इमारत की 6वीं मंजिल पर उद्यान विभाग के कार्यालय में में प्रभारी उद्यान अधीक्षक अमोल चौरपगार की केबिन है, लेकिन पिछले सप्ताहभर से साहब नजर नहीं आ रहे हैं। कर्मचारियों से पूछताछ करने पर पता चलता है कि, साहब की तबीयत खराब हैं, वे अवकाश पर हैं। ऐसे में आम नागरिक आकर लौट रहे हैं, लेकिन ठेकेदारों और करीबियों को गुप्त कार्यालय की जानकारी होने से सीधे वहां पहुंचकर काम पूरा कर लिया जा रहा है।

आंतरिक जांच के चलते बना गुप्त कार्यालय

मनपा आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी को उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर कई मर्तबा शिकायत मिली हैं। जी-20 की बैठक के दौरान अनेक ठेकों में लापरवाही, उद्यानों की देखभाल के ठेके में रकम बढ़ोतरी, ठेका एजेंसियों को अनुभव प्रमाणपत्र देने की लापरवाही को लेकर जांच आरंभ की गई थी। ऐसे में इन कामों के दस्तावेजों और फाइलों को ठीक करने के लिए विशेषज्ञों की सहायता लेने का प्रयास शुरू किया गया। विशेषज्ञों की सहायता से फाइलों को दुरूस्त कर नए दस्तावेज तैयार करने के लिए नया कार्यालय गुप्त रूप से बनाया गया है। हैरानी यह है कि, आंतरिक जांच के बाद भी इस कार्यालय की आला अफसरों को कानोकान खबर तक नहीं है।

निजी कर्मचारी संभाल रहे काम, वेतन के भुगतान पर सवाल

इस गुप्त कार्यालय में पिछले सालभर से निजी तौर पर कर्मचारी काम कर रहे हैं। करीब 4 निजी कर्मचारियों की नियुक्त और वेतन भुगतान को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं। इन कर्मचारियों को ठेका एजेंसी के माध्यम से भी नियुक्त नहीं किया गया है, लेकिन मनपा उद्यान विभाग की फाइलों, ठेका प्रक्रिया के कार्यालयीन दस्तावेजों के साथ मुख्यालय के उद्यान विभाग कार्यालय में कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों में राहुल महाजन, प्रज्वल डफ समेत अन्य दो कर्मचारियों का समावेश है। इस गुप्त कार्यालय में नेहा देवगड़े और सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता पंडित ऊकेबांते काम संभाल रहे हैं। पंडित ऊकेबांते इस साल 31 मई को उद्यान विभाग से कनिष्ठ अभियंता के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि नेहा देवगड़े अब ठेका पद्धति से भी मनपा में नियुक्त नहीं है। पिछले साल तक नेहा देवगड़े ठेके पर उद्यान विभाग में सेवा दे रही थी, लेकिन ठेका एजेंसी बदलने पर विदर्भ इन्फोटेक ने नेहा को अपनी सेवा में नहीं लिया है।

मनपा की नियमावली में प्रावधान नहीं

महेश धामेचा, सहायक आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग के मुताबिक मनपा की नियमावली में प्रशासकीय इमारतों के अलावा कार्यालय बनाने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में कोई भी अधिकारी अलग से किसी अन्य स्थान पर कार्यालय बनाने की अनुमति देने का सवाल ही नहीं है।


Created On :   8 Nov 2023 7:31 PM IST

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