कोर्ट कचहरी: हिंदी यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति योग्य नहीं, कोर्ट में मिली चुनौती

हिंदी यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति योग्य नहीं, कोर्ट में मिली चुनौती
  • हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने दी जानकारी
  • 30 जनवरी को अगली सुनवाई
  • संबंधित मंत्रालय से आदेश वापस लेने का अनुराेध किया जाएगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति पद का अतिरिक्त भार आईआईएम नागपुर के संचालक डॉ. भीमराय मेत्री को सौंपा गया है। राष्ट्रपति द्वारा की गई कुलपति की इस नियुक्ति को बाॅम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है। मामले पर हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे ने कोर्ट को बताया कि हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति टिकने योग्य नहीं है, इसलिए संबंधित मंत्रालय से इस नियुक्ति का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया जाएगा।

नियुक्ति को चुनौती : हिंदी यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. लेला कारूण्यकारा ने यह याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार हिंदी यूनिवस के पूर्व कुलपति प्रा. रजनीश कुमार शुक्ल ने अपने पद से तत्काल इस्तीफा दिया था। राष्ट्रपति द्वारा प्रा. शुक्ल का इस्तीफा स्वीकार करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय कुलपति पद का अतिरिक्त भार डॉ. भीमराय मेत्री को सौंपा गया। इस नियुक्ति को डॉ. कारूण्यकारा ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कानून के तहत अगर कुलपति ने अपने पद से इस्तीफा दिया, तो प्र-कुलपति को कुलपति पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए, लेकिन प्रा. शुक्ल ने कुलपति पद से इस्तीफा दिया तब प्र-कुलपति के पद पर काेई नियुक्त नहीं था।

नोटिस जारी किया था : जब तक कुलपति पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया जाता, तब तक वहां वरिष्ठ प्रोफेसर को नियुक्त करना जरूरी है, इसलिए हिंदी विवि के कुलाध्यक्ष द्वारा की गई डॉ. मेत्री की नियुक्ति नियमों का उल्लंघन है। इस मामले में कोर्ट ने हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष के रूप में भारत के राष्ट्रपति को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदोस मिर्जा ने पैरवी की। कोर्ट ने इस मामले में अब 30 जनवरी को अगली सुनवाई रखी है। मामले को लेकर शिक्षा जगत में चर्चाओं का बाजार गर्म है।


Created On :   20 Jan 2024 8:40 AM GMT

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