परेशानी: ट्रेनों में लगने वाले एलएचबी कोच स्लीपर व जनलर की संख्या हो सकती है कम

ट्रेनों में लगने वाले एलएचबी कोच स्लीपर व जनलर की संख्या हो सकती है कम
  • सामान्य यात्रियों की बढ़ सकती है परेशानी
  • सामान्य यात्रियों के हित में कोच संरचना रखने की मांग
  • मध्य रेलवे की 37 जोड़ी गाड़ियों की कोच संरचना जल्द बदलेगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पटरियों पर तेजी से दौड़ने के लिए ट्रेनों के कोच में बदलाव किया जा रहा है। पहले से लगे आईएफसी कोच को बदल इसमें एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं। मध्य रेलवे में कुल 37 गाड़ियां हैं, जिसमें नागपुर की 6 गाड़ियां शामिल हैं, लेकिन एलएचबी कोच लगने से यात्रियों की दुविधा बढ़ सकती है, क्योंकि जनरल व स्लीपर श्रेणी के कोच को कम किया जानेवाला है। यात्री संगठनों की ओर से रेलवे से बदलाव का विरोध न करते हुए सामान्य यात्रियों के हित में कोच संरचना रखने की मांग की है।

जानकारी के अनुसार मध्य रेलवे की 37 जोड़ी गाड़ियों की कोच संरचना जल्द ही बदलने वाली है। सभी गाड़ियों के कोच नए आधुनिक तकनीक से सुसज्जित एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश कोच) में बदले जाएंगे। मगर यह बदलाव, गैरवातानुकूलित कोच में रेल यात्रा करने वाले यात्रियों की परेशानी बढ़ाने की आशंका है।कोच संरचना में मानकीकरण करने के रेल प्रशासन के प्रस्तावित निर्णय में,11403/04 कोल्हापुर नागपुर कोल्हापुर एक्सप्रेस, 12139/40 मुंबई नागपुर मुंबई सेवाग्राम एक्सप्रेस, 12135/36 पुणे-नागपुर- पुणे त्रिसाप्ताहिक एक्सप्रेस जैसी कई साधारण मेल/एक्सप्रेस गाड़ियां हैं, जिनमें महज 25, 50 किलोमीटर पर स्टोपेजेस है और कम दूरी के यात्री अक्सर इन गाड़ियों में, साधारण टिकट लेकर रेल यात्रा करते हैं। ऐसी बदली हुई स्थिति में जब इन गाड़ियों में गैरवातानुकूलित कोच में 2 साधारण और 2 स्लिपर कोच रह जाएंगे तो स्वाभाविक हैं, बचे हुए 10 वातानुकूलित कोच की ओर यात्रियों का हुजूम बढ़ेगा। इसके अलावा 12113/14 पुणे-नागपुर-पुणे त्रिसाप्ताहिक गरीबरथ की भी कोच संरचना बदल वह सर्वसाधारण मेल/एक्सप्रेस/सुपरफास्ट श्रेणी में आने वाली है।

होने वाले बदलावों पर जेडआरयूसीसी सदस्य ब्रजभूषण शुक्ला ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश के अनुसार सभी ट्रेनों में एलएचबी कोचेस लगाए जा रहे हैं। मौजूदा स्लीपर कोचेस की संख्या कम कर तृतीय वातानुकूलित कोचेस की संख्या बढ़ाई जा रही है। इससे मध्यम वर्गीय यात्रियों को बहुत ज्यादा परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। हम एलएचबी कोचेस का विरोध नहीं करते, परंतु उनकी रचना इस प्रकार की जाए कि आम यात्रियों को कष्ट न हो और रेलवे को नुकसान भी न हो। आज प्रत्येक ट्रेन में स्लीपर के 10 से 12 कोच होते हैं तथा तृतीय वातानुकूलित कोचेस की संख्या 5 की होती है। अगर आपको बदलाव करना ही है, तो स्लीपर के कम से कम 6 कोचेस प्रत्येक ट्रेन में होने ही चाहिए।


Created On :   11 Jan 2024 9:32 AM GMT

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