महत्ता: राजा परीक्षित ने मृत्यु का भय भुलाकर किया भागवत श्रवण

राजा परीक्षित ने मृत्यु का भय भुलाकर किया भागवत श्रवण
तक्षक नाग के डसने से हुई थी मृत्यु

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को जब यह पता चला कि अगले सात दिन बाद उसकी मृत्यु तक्षक नाग के डंस से होगी तब उन्होंने श्रीमद भागवत कथा व्यासपुत्र शुकदेव से श्रवण करने का निश्चय किया। यह उद्गार भागवत मर्मज्ञ डॉ. संजय कृष्ण सलील महाराज ने थाड़ेश्वरी राम मंदिर, तिलक पुतला गांधीसागर परिसर में महामंडलेश्वर माधवदास महाराज के सान्निध्य में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह में अपनी ओजस्वी वाणी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाते हुए शुकदेव के छह दिन बीत गए और उनकी मृत्यु में बस एक दिन शेष रह गया, लेकिन राजा का शोक और मृत्यु का भय कम नहीं हुआ। तब शुकदेव ने राजा को एक रहस्यमयी कथा सुनाई कि एक बीमार बहेलिये ने झोपड़ी में ही एक ओर मलमूत्र त्यागने का स्थान बना रखा था।

राजा को रात्रि में कहीं पर आश्रय न मिलने से उसने रातभर वहीं ठहरने का निश्चय किया। बहेलिये ने कहा कि राहगीर एक रात्रि ठहरकर दूसरे दिन झोपड़ी छोड़ना नहीं चाहते। राजा पहले ठिठका। राजा ने कहा कि वह ऐसा नहीं करेगा, परंतु दूसरे दिन वह झोपड़ी ठहर गया। तब राजा ने शुकदेव से पूछा कि वह कौन था। शुकदेव ने राजा से कहा कि वह तुम स्वयं हो। इस मलमूत्र की कोठरी में तुम्हारी आत्मा की अवधि पूरी हो गई। तुम्हें दूसरे लोक में जाना है, परंतु तुम झंझट फैला रहे हो। यह सुनकर राजा परीक्षित ने मृत्यु का भय भुलाते हुए मानसिक रूप से निर्वाण की तैयारी कर ली और समापन कथा का श्रवण पूरे एकाग्रतापूर्वक किया। व्यवस्थापक यशदास वैष्णव के अनुसार आयोजन की सफलतार्थ माया, शोभा, लता, मीना, नीता आदि प्रयासरत हैं। कथा का समय दोपहर 3 से 6 बजे तक रखा गया है।

Created On :   3 Jan 2024 8:24 AM GMT

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