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Seoni News: केवलारी तहसील में हुए 11 करोड़ से ज्यादा के राहत राशि घोटाले का मामला

- घोटाले के 16 आरोपियों का सुराग नहीं
- फरार आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की कार्रवाई ठण्डी पड़ती गई।
- वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट में एफआईआर दर्ज कराने का उल्लेख भी किया गया है
Seoni News: 279 मनगढ़ंत नाम वाले लोगों को मृत बताकर राहत राशि के नाम पर केवलारी तहसील में किए गए 11 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के घोटाले में शामिल 16 नामजद फरार आरोपियों का पुलिस सुराग नहीं लगा पाई है। लगभग डेढ़ साल से केवलारी पुलिस फरार आरोपियों की पतासाजी का राग अलाप रही है। घोटाले के सरगना केवलारी तहसील में पदस्थ रहे बाबू सचिन दहायत सहित 21 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की जांच व कार्रवाई ठण्डे बस्ते में चली गई है।
इस मामले के सामने आने के बाद 15 नवंबर 2022 को घोटाले की एफआईआर दर्ज कराई गई थी, तब केवलारी पुलिस ने जांच में काफी तेजी दिखाई थी। पुलिस ने एक के बाद एक गिरफ्तारियां कर सरगना बाबू सचिन सहित 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उसके बाद फरार आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की कार्रवाई ठण्डी पड़ती गई।
क्या है घोटाला
सर्पदंश, पानी में डूबने आदि से मृत्यु होने पर परिजनों को शासन द्वारा राहत राशि के नाम पर 4-4 लाख रुपए देने का प्रावधान है। केवलारी तहसील कार्यालय में राहत राशि के नाम पर 5 अगस्त 2019 से 20 नवंबर 2022 के बीच राहत राशि के नाम 279 मनगढ़ंत नामों से फर्जी मुआवजा प्रकरण तैयार कर 4-4 लाख रुपए की राशि जारी कराई गई। ऐसे प्रकरणों के माध्यम से 11 करोड़ 26 लाख रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया।
एक ही तहसील में इतनी बड़ी संख्या में राहत राशि के प्रकरण तैयार किए जाने से भोपाल में अफसरों के कान खड़े हुए और ऑडिट टीम को केवलारी भिजवाया गया, जिसके बाद यह घोटाला उजागर हुआ था। 15 नवंबर 2022 को केवलारी के तत्कालीन तहसीलदार हरीश लालवानी ने केवलारी थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने तेजी से जांच करते हुए 17 फरवरी 23 को 48 सौ पेज का चालान न्यायालय में पेश किया था और सरगना बाबू सहित एक के बाद एक 21 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
पकड़ से दूर ये आरोपी
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में जो आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, उनमें सरोज पति लक्ष्मण अवधिया, रूकमणी पति रामकुमार अवधिया निवासी पटेली वार्ड केवलारी, मनीष पिता रामनंदन बंदेवार निवासी केवलारी, चित्रा पिता रमाशंकर महोबिया निवासी ग्राम बोथिया, अटल सिंह पिता फत्तु राय निवासी समनापुर डोकररांजी, गगन पिता दिलीप वास्तुशिल्पी निवासी शुक्रवारी बाजार सिवनी, प्रशांत अवधिया निवासी बैहर, अनिल पिता गोकुल साहू निवासी छिंदवाड़ा चौक सिवनी, अक्षांश पिता राजेन्द्र चौहान निवासी छपारा, दीपक कुमार पिता बस्ताराम चौहान निवासी घंसौर, प्रिंस साहू निवासी भीमगढ़ रोड, दीनदयाल पिता बालकृष्ण साहू निवासी छपारा, नितिन पिता पूरनलाल सिहोसे निवासी लालमटिया मंगलीपेठ सिवनी, अनिल सनोडिया पिता सोहन सनोडिया निवासी मंगलीपेठ सिवनी, प्रीति पिता श्याम भांगरे निवासी मंगली पेठ सिवनी तथा सुजीत पिता सुरेन्द्र सिंह बिसेन निवासी रीवा शामिल बताए जा रहे हैं।
वित्त विभाग की जांच में 45 दोषी
इस घोटाले की वित्त विभाग द्वारा भी 7 सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराई गई है। जानकारी के अनुसार जांच में केवलारी में पदस्थ रहे तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार सहित 45 लोगों को दोषी बताया गया है। हालांकि, कोषालयीन सॉफ्टवेयर (आईएफएमआईएस मॉड्यूल्स) से जनरेटेड देयकों के प्रिंट के आधार पर की गई इस जांच की निष्पक्षता को लेकर शुरु से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट में एफआईआर दर्ज कराने का उल्लेख भी किया गया है, लेकिन एक एफआईआर पूर्व से ही दर्ज होने के कारण दूसरी एफआईआर कराने को लेकर अफसर भी स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कह पा रहे हैं। वित्त विभाग की जांच में जिन 45 लोगों को दोषी बताया गया है, उनमें घोटाले की केवलारी थाना में एफआईआर कराने वाले तत्कालीन तहसीलदार हरीश लालवानी सहित तत्कालीन एसडीएम अमित ब्रम्हरोलिया, तत्कालीन तहसीलदार गौरीशंकर शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार मोहम्मद सिराज, तत्कालीन नायब तहसीलदार शेख इमरान मंसूरी सहित वे शामिल बताए जा रहे हैं, जिनके खाते में राशि पहुंचाई गई।
Created On :   11 Sept 2025 1:56 PM IST