Shahdol News: हाथी प्रबंधन के लिए पांच माह से नहीं आई राशि, एलीफेंट-ह्यूमन कान्फ्लिक्ट के बीच आर्थिक संकट बड़ी बाधा

हाथी प्रबंधन के लिए पांच माह से नहीं आई राशि, एलीफेंट-ह्यूमन कान्फ्लिक्ट के बीच आर्थिक संकट बड़ी बाधा
  • हाथी प्रबंधन के लिए पांच माह से नहीं आई राशि
  • एलीफेंट-ह्यूमन कान्फ्लिक्ट के बीच आर्थिक संकट बड़ी बाधा

Shahdol News: शहडोल जिले के उत्तर वनमंडल अंतर्गत गोदावल रेंज में 19 मई को ग्राम बराछ, सनौसी और ढोढ़ा गांव में दो जंगली हाथियों के हमले से तीन ग्रामीणों की मौत के बाद यहां एलीफेंट-ह्यूमन कान्फ्लिक्ट रोकने में आर्थिक संकट भी बड़ी चुनौती है। उत्तर वनमंडल में हाथी प्रबंधन के लिए जनवरी माह से एक रूपया नहीं आया। यहां साल भर पहले 17 लाख रूपए आए थे। उसी से प्रशिक्षण, पेट्रोलिंग और दूसरे काम चलाए जा रहे हैं।

ध्यान देना इसलिए जरूरी

शहडोल संभाग के वनक्षेत्र को जंगली हाथी स्थाई रहवास बना रहे हैं। यहां का वातावरण और वनक्षेत्र उनको रास आ रहा है। संभाग में सालभर 80 से ज्यादा हाथियों का मूवमेंट बना रहता है। जाहिर है हाथियों का मूवमेंट उन इलाकों में भी होता है, जहां इंसानी आबादी है। ऐसे में बजट के अभाव में एलीफेंट-ह्यूमन कान्फ्लिक्ट को कम करने की दिशा में काम नहीं हुआ तो इसका सीधा नुकसान हाथियों के साथ ही इंसानों को होता है।

घटना के बाद प्रशिक्षण की कवायद

सनौसी में हाथियों के हमले से ग्रामीणों की मौत के बाद ग्रामीणों को प्रशिक्षण के कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बताया गया कि हाथी आए तो कैसे बचाव करें। ग्रामीणों को बताया कि हाथी अमूमन खाने के लिए इंसानों की दौड़ता है। ऐसे में अगर हाथ में कोई चीज है तो उसे फौरन हाथी की ओर फेंक दें। जिससे उसे लगे कि लोगों के पास हाथी के लिए कुछ भी नहीं है।

केशवाही के भूमकार में भालुओं का मूवमेंट

ब्यौहारी क्षेत्र में हाथियों के बाद अब केशवाही वन परिक्षेत्र में भालुओं की मूवमेंट से लोग डरे हुए हैं। भूमकार गांव में मादा भालू अपने दो शावको के साथ लगातार दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि इसके अलावा भी मोहरा पहाडिय़ों में दो दर्जन से अधिक भालूओं का बसेरा है। जैतपुर से दरशिला मार्ग स्थित भुमकार गांव के पास सडक़ किनारे भालू दिखा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार वह मादा भालू है, जो अपने दो शवकों के साथ पानी की तलाश में बस्ती की ओर आई थी। जानकारी के बाद वन विभाग की दो टीमें गांव के आसपास निगरानी में है। मुनादी कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वर्तमान में तेंदूपत्ता तोडऩे लोग जंगल जाते हैं, जिस पर जंगल में अकेले ना जाने व सतर्क रहने को कहा जा रहा है।

Created On :   23 May 2025 4:31 PM IST

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