आईएएस जी कृष्णैया हत्याकांड मामला: बाहुबली नेता आनंद मोहन की मुश्किलें बरकरार, हर 15 दिन में पुलिस थाने में लगाएंगे हाजिरी, SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

बाहुबली नेता आनंद मोहन की मुश्किलें बरकरार, हर 15 दिन में पुलिस थाने में लगाएंगे हाजिरी, SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
  • बाहुबली नेता आनंद मोहन की मुश्किलें बरकरार
  • हर 15 दिन में पुलिस थाने में लगाएंगे हाजिरी
  • SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की मुश्किलें एक बार बढ़ने लगी है। मोहन की रिहाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आनंद मोहन को हर 15 दिनों में पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी। साथ ही, वह स्थानीय पुलिस थाने में अपना पासपोर्ट जमा करवा दें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मोहन की रिहाई पर जवाब मांगा है।

अदालत ने इस पूरे मामले को लेकर एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को जवाब देने को कहा है। अदालत में केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को वकील अदालत पहुंचे थे। इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से आए वकील से कहा कि जवाब दाखिल करने का ये आखिरी मौका है। इस मामले की सुनवाई 27 फरवरी के दिन विस्तार से होगी।

रिहाई के खिलाफ याचिका

बता दें कि, दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अदालत में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आदेश रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को निचली अदालत से मौत की सजा मिली है। जिसे हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा में बदल दिया। इसके बाद जेल के नियमों बदलाव किए गए। फिर आनंद मोहन रिहा हो गए।

क्या है मामला?

आनंद मोहन पिछले करीब 15 साल से सहरसा जेल में बंद थे। उन्हें साल 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। इस सजा के तहत उन्हें कुछ साल और जेल में रहना था। लेकिन पिछले साल बिहार सरकार द्वारा जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन किया गया। सरकार ने सरकारी सेवकों की हत्या करने वालों की रिहाई नहीं होने वाला नियम जेल मैन्युल से हटा दिया। जिसके परिणामस्वरूप आनंद मोहन समय से पहले ही जेल से रिहा हो गए। उनके साथ 26 अन्य कैदियों को भी रिहा किया गया था। आनंद मोहन की रिहाई के बाद से सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है।

बता दें कि, अदालत ने आनंद मोहन को दोषी करार देते हुए उन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। फिर साल 2023 के अप्रैल महीने उनकी रिहाई हो गई। सरकार ने 14 साल जेल में बिताने को आधार मानकर आनंद मोहन को रिहा कर दिया था। जिसका विरोध दिवंगत आईपीएस जी कृष्णैया के परिवार ने किया।

Created On :   6 Feb 2024 6:38 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story