अगला वाइस प्रेसिडेंट कौन ?: देश की राजनीति में चर्चा, बिहार से अभी तक कोई नहीं बना उपराष्ट्रपति

देश की राजनीति में चर्चा, बिहार से अभी तक कोई नहीं बना उपराष्ट्रपति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे देने के बाद देश की राजनीति में चर्चा चल रही है कि अगला वाइस प्रेसिडेंट कौन होगा? सियासी हलकों में कई तरह की अटकलें चल रही है, वहीं कई नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे है। बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में नए उपराष्ट्रपति के लिए नामों पर मंथन शुरू हो गया है।

कई जानकारों का कहना है कि टीडीपी से उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है, क्योंकि एनडीए में शामिल टीडीपी को अभी तक बड़े पद से दूर रखा गया है। उपारष्ट्रपति पद भारतीय संविधान में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने है, भले ही एनडीए में शामिल जेडीयू कोटे से हरिवंश नारायण सिंह उपसभापति है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की पलटबाजी की आशंका से भयभीत भाजपा केंद्र की सत्ता में बने रहने के लिए टीडीपी को पद देकर इस डर को कम कर सकती है क्योंकि जेडीयू के एनडीए से जाने के बाद बीजेपी अन्य किसी राजनैतिक दल या फिर कई निर्दलीय सांसदों के साथ बहुमत में बनी रह सकती है।

वहीं एनडीए के अंदर टीडीपी अपना महत्त्व बढ़ाने के लिए भी इस पद पर अपना दावा ठोंक सकती है। हालांकि चुनाव आयोग की तैयारियों के बीच बीजेपी की कोशिश है कि इस पद का उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी को बनाने की जगह अपने उम्मीदवार का नाम तय कर उसके नाम पर सहयोगी दलों का मनाए। बीजेपी ने अबकी बार पूरी तरह से मन बना लिया है कि इस बार उपराष्ट्रपति की कुर्सी पार्टी बैकग्राउंड वाले नेता को सौंपनी है।

बीते कुछ समय से बीजेपी द्वारा मुख्य पदों पर नियुक्त किए कुछ नामों पर गौर की जाए तो साफ दिखाई देता है कि बीजेपी अपने कोर ग्रुप से जुड़े लोगों को ही मुख्य पदों पर प्राथमिकता दे रही है। इनमें दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता है, या राजस्थान के भजनलाल शर्मा या मध्यप्रदेश के मोहन यादव, तीनों ही अपने छात्र जीवन में एबीवीपी और संघ से जुड़े हुए नेता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार अबकी बार वरिष्ठ, अनुभवी, लेकिन मूल विचारधारा वाले व्यक्ति को ही उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बना सकती है। पार्टी में इस समय कई ऐसे नेता हैं जो इस समीकरण पर फिट बैठ सकते हैं।

इसमें सबसे टॉप पर मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम है, क्योंकि कुछ समय पहले सियासी गलियारों में उनकी बीजेपी अध्यक्ष बनने की अटकलों की खबरों ने खूब सुर्खियां बंटोरी थी। इंटरनेशनल पर्सनालिटी आरिफ मोहम्मद खान को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी मुस्लिम समुदाय में भी नया मैसेज देकर चौंका सकती है। यूपी चुनाव के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को बड़ी और अहम जिम्मेदारी मिल सकती हैं। सियासी गलियारों में बिहार से नाता रखने वाले कर्पूरी ठाकुर के बेटे केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर का नाम भी तैर रहा हैं। भले ही राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय राज्य बिहार को माना जाता है। बिहार के खाते में ही देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद देने का भी रिकॉर्ड है। लेकिन आज तक एक भी नेता बिहार से उपराष्ट्रपति की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है।

आपको बता दें दूसरे दलों से आए कुछ नेताओं ने हाल ही के समय में केंद्र सरकार और बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा की हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक और जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने आपत्तिजनक बयानबाजी कर केंद्र सरकार को असहज करने का काम किया था। मलिक कांग्रेस, जनता दल, लोक दल, समाजवादी पार्टी और भारतीय क्रांति दल में रह चुके थे। स्वामी ने भी कई बार अपनी बयानबाजी से सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की।

ऐसे में बीजेपी कोर विचारधारा से जुड़े लोगों के नामों पर ही फोकस कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की विदेश यात्रा से लौटने के बाद उनकी सहमति से उपराष्ट्रपति पद के लिए अंतिम नाम पर मुहर लग सकती है। चुनाव आयोग भी उपराष्ट्रपति पद के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने को कह चुका है।

सियासी बाजार में ये भी चर्चा चल रही है कि अहम पदों पर केंद्र सरकार अपने कोर कैडर यानि भाजपा और आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेता को ही तवज्जो दे सकती है। इसके पीछे की मुख्य वजह है कि राज्यसभा में कई अहम विधेयक पास होने में कोई रूकावट ना हो, जैसे वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक आगामी समय में देखने को मिल सकता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा और आरएसएस के भीतर इस बात पर चर्चा है कि अति महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति केवल मूल विचारधारा से जुड़े व्यक्तियों को ही दी जाए। क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से पार्टी को चालू संसद सत्र में ही असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। धनखड़ बीजेपी में शामिल होने से पहले कांग्रेस और जनता दल में रह चुके थे।

Created On :   24 July 2025 4:13 PM IST

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