मॉनसून सत्र: संसद के दोनों सदनों में सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस की योजना, पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर होगी चर्चा

- सीडीएस की स्वीकारोक्ति और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बयान
- चीन से टकराव और जम्मू-कश्मीर एलजी का बयान
- ट्रंप का दावा और अमेरिका-पाक रिश्तों पर सवाल
- भारतीय मीडिया का मनगढ़ंत नैरेटिव और सरकार की भूमिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को लोकसभा और मंगलवार को राज्यसभा में पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा होनी है। सदन में बहस के दौरन विपक्षी कांग्रेस सरकार को घेरने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। कांग्रेस ने सदन में सरकार को घेरने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी तमाम बातों को कांग्रेस ने आज रविवार को सामने रखा, जो अब तक चर्चा में छाई रही। कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी बड़ा मुद्दा बनाया है, जिसमें ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत पर व्यापार रोकने की धमकी देकर भारत -पाक सीजफायर करवाया।
लोकसभा में कल से पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की बहस शुरू होने जा रही है और राज्यसभा में यह बहस परसों होगी। ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोके जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने तुरंत दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, जिसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। फिर भी, देर आए…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 27, 2025
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि लोकसभा में कल से पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की बहस शुरू होने जा रही है और राज्यसभा में यह बहस परसों होगी। ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोके जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने तुरंत दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, जिसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। फिर भी, देर आए दुरुस्त आए।
आइए, इस बहस की पृष्ठभूमि में घटित महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें :
1. पहलगाम में आतंकी हमला 22 अप्रैल 2025 को हुआ। इस हमले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार आतंकियों को अब तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। बताया गया है कि ये आतंकी पहले भी पुंछ (दिसंबर 2023), गगनगीर और गुलमर्ग (अक्टूबर 2024) में हुए आतंकी हमलों में शामिल थे।
2. कांग्रेस की मांग पर 22 अप्रैल 2025 को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, लेकिन हमारी मांग के अनुसार इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री ने नहीं, बल्कि रक्षा मंत्री ने की। इस बैठक में खुफिया एजेंसियों की चूक पर सवाल उठाए गए।
3. 30 मई 2025 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के पहले दो दिनों में हुई रणनीतिक गलतियों पर महतवपूर्ण खुलासे किए । यह खुलासे सिंगापुर में किए गए।
4. 29 जून 2025 को जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास में तैनात एक रक्षा अधिकारी, ग्रुप कैप्टेन शिव कुमार, ने कहा किऑपरेशन सिंदूर के दौरान राजनीतिक फैसलों ने सैन्य अभियानों को बाधित किया। उन्होंने भारत के एयरक्राफ्ट की संभावित क्षति की ओर भी संकेत किया।
5. जुलाई 2025 को उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने वास्तव में चीन से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दोनों ही स्तरों पर मुकाबला किया। यह एक बिल्कुल नया परिदृश्य था।
6. 14 जुलाई 2025 को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि पहलगाम हमला निश्चित तौर पर सुरक्षा तंत्र की विफलता थी।
7. 10 मई से अब तक अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 26 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाया, भारत के साथ व्यापार समाप्त करने की धमकी दी, और यह भी कहा कि शायद पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए होंगे। उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को लंच पर बुलाया -जो पहले कभी नहीं हुआ था। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी अभियानों में “बेहतरीन साझेदार” बताया। और ठीक दो दिन पहले ही अमेरिका के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री से मुलाकात में पाकिस्तान की सराहना की ।
8. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा प्रधानमंत्री के मीडिया प्रबंधकों की शह पर की गई अतिशयोक्तिपूर्ण रिपोर्टिंग ने उस नैरेटिव को हास्यास्पद बना दिया, जिसे गढ़ने की कोशिश की जा रही थी। यह नैरेटिव देश के भीतर भले कुछ हद तक चला हो, लेकिन भारत से बाहर इसका कम ही प्रभाव हुआ।
अंत में ,यह याद दिलाना जरूरी है कि 30 जुलाई 1999 को, भारत-पाक युद्ध समाप्त होने के तीन दिन बाद वाजपेयी सरकार ने चार सदस्यीय कारगिल समीक्षा समिति गठित की थी। इस समिति अध्यक्षता के. सुब्रह्मण्यम ने की थी, जिनके पुत्र आज भारत के विदेश मंत्री हैं। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट "From Surprise to Reckoning" 15 दिसंबर 1999 को सौंपी। यह रिपोर्ट जरूरी संशोधनों के साथ 23 फरवरी 2000 को संसद में पेश की गई और उस पर चर्चा भी हुई थी । लेकिन तब अलग प्रधानमंत्री थे, सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भी अलग तरह की थी, और राजनीतिक माहौल भी बिल्कुल अलग था।
Created On :   27 July 2025 2:02 PM IST