भास्कर एक्सक्लूसिव: बीजेपी जो चाहती है, कांग्रेस वो पहले ही कर चुकी- क्या मप्र में कांग्रेस का 40 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ पाएगी बीजेपी?

बीजेपी जो चाहती है, कांग्रेस वो पहले ही कर चुकी- क्या मप्र में कांग्रेस का 40 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ पाएगी बीजेपी?
  • मध्य प्रदेश में कांग्रेस पहले ही जीत चुकी है सभी सीटें
  • कांग्रेस ने जीते थे एमपी के सभी 40 सीट
  • 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीते थे 404 सीटें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होने वाला है। बीजेपी ने इस चुनाव में '400 पार' सीटों का लक्ष्य रखा है। वहीं, पार्टी ने देश में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाने का भी लक्ष्य रखा है। साथ ही, पार्टी ने मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करने ऐलान किया है। बीजेपी के शीर्ष नेता मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों को जीतने का दावा कर रहे हैं। साथ ही, पार्टी ने राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में हम आज मध्य प्रदेश की सियासी इतिहास टटोलने की कोशिश करते हैं। हो सकता है बीजेपी मध्यप्रदेश की पूरी 29 सीटें जीत भी जाएं। लेकिन प्रदेश में ये क्लीन स्वीप का पहला रिकॉर्ड नहीं होगा। ये रिकॉर्ड कांग्रेस पहले ही दर्ज कर चुकी है। वो भी तब जब मध्यप्रदेश अविभाजित था और यहां 40 लोकसभा सीटें हुआ करती थीं।

कांग्रेस ने जीतीं सारी सीटें

मध्यप्रदेश में मचे क्लीन स्वीप के हल्ले के बीच साल 1984 के लोकसभा का इतिहास जान लेना बहुत जरूरी है। ये वो साल था जब कांग्रेस ने एमपी में क्लीन स्वीप किया था। मध्य प्रदेश की जनता ने इस चुनाव में कांग्रेस को राज्य की कुल 40 सीटें दी थीं। इस दौरान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक साथ हुआ करते थे। तब मध्य प्रदेश में कुल 40 लोकसभा सीटें हुआ करती थी। यह वही चुनाव है जिसमें कांग्रेस पार्टी को राज्य की सभी सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 29 में से 28 लोकसभा सीटें जीती थीं। वहीं, पार्टी ने छत्तीसगढ़ की कुल 11 सीटों में से 9 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में बीजेपी मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करने से चूक गई थी। इस बार बीजेपी के शीर्ष नेता पिछली बार हारी हुई एमपी की छिंदवाड़ा सीट पर भी डटे हुए हैं।

कैसे मिली कांग्रेस को 1984 में बड़ी जीत?

1984 का आम चुनाव देश के लिए कई मायनों में खास था। इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की 1980 में विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी को पायलट की नौकरी छोड़कर राजनीति में आना पड़ा। फिर राजीव गांधी अपने छोटे भाई संजय गांधी की खाली हुई अमेठी सीट से जून 1981 में उपचुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे।

राजनीति में कम सक्रिय रहने वाले राजीव गांधी को 1983 में कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। ये वही दौर था जब पंजाब में खालिस्तानी उग्रवाद बढ़ने लगा था। जिसके चलते इंदिरा गांधी ने पंजाब को सेना के हवाले कर दिया। बता दें कि, इस दौरान जरनैल सिंह भिंडरांवाला की अगुवाई में खालिस्तानी आतंकवादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर को आंतक का अड्डा बना रखा था। इसके चलते 1984 में 3 से 6 जून तक सेना ने मंदिर परिसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया। जिसमें खालिस्तानी आंतकवादी भिंडरांवाला की मौत हो गई। हालांकि, इस घटना से सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचा। जिसके चलते 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही निजी सिख सुरक्षा गार्डों ने गोलियों की बौछार कर उनकी हत्या कर दी।

बीजेपी ने रखा है 50 फीसदी वोटों का लक्ष्य

इसके बाद दो महीने के भीतर ही देश में लोकसभा चुनाव कराए गए। दिसंबर 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में देश में 542 में से केवल 515 सीटों पर ही चुनाव हुए थे। असम की 14 और पंजाब की 13 सीटों पर चुनाव 1 साल बाद सितंबर 1985 में हुए थे। इस चुनाव में 1980 में बनी पार्टी बीजेपी को केवल दो सीटों पर जीत मिली थीं। वहीं, कांग्रेस पार्टी और उनके सहयोगी दलों ने 515 में से 415 सीटों पर जीत मिली थी। जिसमें केवल कांग्रेस ने खुद अपने दम पर 404 सीटें जीती थीं। इस दौरान इतिहास में पहली बार कांग्रेस को 50 फीसदी के करीब वोट मिले थे। कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 49.1 फीसदी वोट मिले थे।

पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही बीजेपी ने 1984 के लोकसभा चुनाव में 224 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन पार्टी को केवल आंध्रप्रदेश और गुजरात में एक-एक सीट पर जीत मिली। बीजेपी के उम्मीदवार सी. जंगा रेड्डी ने आंध्र की हनमकोंडा सीट से पीवी नरसिंहराव को हराया था। वहीं, गुजरात की मेहसाणा सीट से एके पटेल को जीत मिली थी। इस दौरान बीजेपी के लगभग 50 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव में बीजेपी का वोट परसेंट देश में केवल 7.74 रहा था। बता दें कि, इस चुनाव में बीजेपी ने 50 फीसदी वोटों का लक्ष्य रखा है।

1984 का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती है बीजेपी

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस बार पीएम मोदी के नेतृत्व में कांग्रेस के कई सारे रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी में है। इसलिए पार्टी ने 50 फीसदी वोट और 400 प्लस सीट का लक्ष्य रखा है। कई राजनीतिक जानकार इसे 1984 के आम चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। जिसमें कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करने के साथ कई सारे रिकॉर्ड तोड़े थे। ऐसे में बीजेपी इस चुनाव में कई सारे रिकॉर्ड बनाने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। जिसमें मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करना भी शामिल है।

Created On :   12 April 2024 12:23 PM GMT

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