Amravati News: एआई क्रांति... संतरे के बगीचे में एक-एक पेड़ से मिल रहे 1500 फल

एआई क्रांति... संतरे के बगीचे में  एक-एक पेड़ से मिल रहे 1500 फल
  • देश में पहली बार किसी संतरा उत्पादक ने इतने व्यापक स्तर पर उपयोग किया
  • मिट्टी की सिस्टम से की जाती है जांच

Amravati News आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हर क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहा है। इसके माध्यम से काम करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। कृषि के क्षेत्र में भी एआई का उपयोग किसानों के लिए अधिक लाभ और कम लागत के साथ बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में सहायक साबित हो रहा है। इस तथ्य को अमरावती की परतवाड़ा तहसील के छोटे से गांव खरपी के संतरा उत्पादक किसान विजय बिजवे ने सिद्ध किया है। बिजवे ने एआई की मदद से खेती में क्रांतिकारी बदलाव किया है। उनके संतरा बाग में एक-एक पेड़ पर 1000 से 1500 फल लग रहे हंै। वह भी विपरीत परिस्थितियों में। खेती में यह प्रयोग न केवल विदर्भ के लिए बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल माना जा सकता है।

देश में पहला प्रयोग : इस तकनीक के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. भूषण गोसावी बताते हैं कि देश में पहली बार किसी संतरा उत्पादक ने इतने व्यापक स्तर पर एआई का उपयोग किया है। इस प्रयोग की सफलता को देखने के लिए अमरावती, अकोला, वाशिम और यवतमाल जैसे जिलों से किसान और कृषि विशेषज्ञ बिजवे के खेत पर पहुंच रहे हैं।

सैटेलाइट से निगरानी, सेंसर से जानकारी : बिजवे ने 8 एकड़ में संतरा लगाया है। इसका प्रबंधन अब पूरी तरह एआई आधारित सिस्टम द्वारा हो रहा है। खेत में लगे विशेष सेंसर मिट्टी की नमी, तापमान, आर्द्रता और सूर्यप्रकाश की तीव्रता की जानकारी लगातार रिकॉर्ड करते हैं। ये सेंसर सोलर पैनल से संचालित होते हैं और उपग्रह प्रणाली से जुड़कर खेत की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। एआई सिस्टम की सहायता से स्मार्ट इरिगेशन शेड्यूल तैयार किया गया है, जिससे पौधों को जरूरत के अनुसार पानी दिया जा रहा है। वहीं कीटनाशक और फफूंदनाशक के उपयोग में भी आधी कमी आई है। मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों की मात्रा भी सिस्टम के माध्यम से जानी जाती है, जिससे संतुलित खाद प्रबंधन संभव हो पाया है।

पिछले 15 वर्षों में कभी इतनी संतोषजनक पैदावार नहीं मिली : विजय : विजय बिजवे ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में कभी इतनी संतोषजनक पैदावार नहीं मिली। इस बार मेरे बेटे गौरव ने एआई तकनीक अपनाने का निर्णय लिया, परिणाम देखकर लगता है कि यह फैसला हमारी खेती के लिए वरदान साबित हुआ। केवल 60 हजार रुपए के खर्च में यह तकनीक स्थापित की गई है। अब हर सुबह मोबाइल स्क्रीन पर खेत का हाल देखकर घर बैठे निर्णय लिया जाता है। इससे न केवल समय और धन की बचत हो रही है, बल्कि उत्पादन भी कई गुना बढ़ा है।

हमने अपने पूरे आठ एकड़ क्षेत्र की गूगल से सैटेलाइट मैपिंग कराई है, ताकि हर कोने की निगरानी संभव हो सके। यह उन्नत तकनीक खेतों का गहन मूल्यांकन कर कीट, रोग और पोषण की कमी से जूझ रही फसलों की समय रहते पहचान करती है, जिससे किसान समय रहते आवश्यक कदम उठा सकते हैं। एआई का इस्तेमाल लाभकारी और विज्ञान-संगत बना रहा है। – गौरव विजय बिजवे, किसान

Created On :   11 Jun 2025 4:17 PM IST

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