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Chhindwara News: सिल्लेवानी घाटी में डेढ़ साल से ठप पड़ा काम, नए प्रपोजल की मंजूरी का हो रहा इंतजार

- सिल्लेवानी घाटी में डेढ़ साल से ठप पड़ा काम
- नए प्रपोजल की मंजूरी का हो रहा इंतजार
- वैज्ञानिकों की टीम की सलाह पर बना नया प्रपोजल
Chhindwara News: नेशनल हाइवे 547 पर सिल्लेवानी घाटी में भू-स्लखन रोकने किया जा रही स्वाइल नैलिंग का कार्य पिछड़े करीब डेढ़ साल से रुका हुआ है। दरअसल यहां जारी काम को सीआरआरआई (सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट) नई दिल्ली के वैज्ञानिकों की टीम ने निरीक्षण के बाद पर्याप्त नहीं पाया था। जिसके बाद वैज्ञानिकों की सलाह पर एनएचएआई की स्थानीय यूनिट ने नया प्रपोजल बनाकर हेडक्वार्टर दिल्ली भेजा। डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी हेडक्वार्टर दिल्ली से मंजूरी नहीं मिल पाई है। मई आधा गुजर चुका है, ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में मंजूरी मिल भी जाती है तो आगे बारिश का सीजन आड़े आ जाएगा। यानी सिल्लेवानी घाटी में भू-स्खलन को रोकने की कवायद और लेट हो सकती है।
नए प्रपोजल में क्या... स्वाइल नैलिंग, ग्राउटिंग व अन्य तकनीकी कार्य
सीआआरआई के वैज्ञानिकों की सलाह पर एनएचएआई ने स्वाइल नैलिंग (कीलों के सहारे जाल) बढ़ाने और ग्राउटिंग सहित अन्य तकनीकी कार्यों के लिए प्रपोजल हेड क्वार्र्टर भेजा है। जिसमें अतिरिक्त लागत की आवश्यकता बताई गई है। जिसके चलते पूर्व से जारी काम रोक दिया गया है।
अब तक ये कार्य हुए... एनएचएआई का दावा ८० फीसदी कार्य हो चुका
सिल्लेवानी घाटी पर स्वाइल नैलिंग और पिचिंग का काम करीब ८० फीसदी तक हो चुका है। अब सीआरआरआई की सुझाव पर आगे काम होना है। कहा जा रहा है कि पहाड़ी के नीचे का काम पूरा होने के बाद ही ऊपर सडक़ के सुधार का कार्य हो पाएगा। सलाह के बाद नए प्रपोजल के अनुसार नीचे के काम में अभी और समय लग सकता है।
वन वे ट्रेिफक... बारिश में बढ़ सकती है दिक्कतें
सिल्लेवानी घाटी में भू-स्खलन से सडक़ के करीब १०० मीटर से ज्यादा के हिस्से में साइड सोल्डर पूरी तरह से धंसा हुआ है। कुछ हिस्से में डामर की सडक़ भी धंसकर खाई में समाई हुई है। ऐसे १० मीटर चौड़ी सडक़ ५ मीटर की शेष रह गई है। एनएचएआई ने क्षतिग्रस्त हिस्से में बैरीकेड लगाकर वन वे कर दिया है। करीब तीन साल से यही स्थिति है। आने वाली बारिश में दिक्कतें और बढ़ सकती हैं।
लैंड स्लाइडिंग रोकने ५ साल से चल रही कवायद
{ सिल्लेवानी घाटी में वर्ष २०२० में हुए भूस्खलन के बाद एनएचएआई ने गैवियन वॉल का प्रयोग किया था। इसमें भू-स्खलन वाले स्थल पर बोल्डर टो वॉल के साथ ही जाल लगाया था, जो कि साल भर भी नहीं टिक सका था।
{ वर्ष २०२२ की बारिश बाद फिर भू-स्खलन की स्थिति बन गई। पहाड़ी के एक हिस्से के साथ १० मीटर चौड़ी सडक़ का आधा हिस्सा भी दरक गया था।
{ वर्ष २०२३ में एनएचएआई स्वाइल नैलिंग का नया प्रयोग कर रही है। बारिश के दौरान व बाद में होने वाली लैंड स्लाइडिंग रोकने के लिए घाटी पर कीलों के सहारे जाल बिछाया जा रहा है।
{ वर्ष २०२४ की शुरूआत में स्वाइल नैलिंग का कार्य देखने पहुंची सीआरआरआई नई दिल्ली के वैज्ञानिकों की टीम ने इसे नाकाफी माना। उनकी सलाह पर ही नया प्रपोजल हेडक्वार्टर भेजा गया था।
Created On :   19 May 2025 4:09 PM IST