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Jabalpur News: पेट्रोल पंपों का शातिराना खेल, चोरी होती है पता नहीं चलता

- अधिकारियों और पंप मालिकों का गठजोड़ डाल रहा हर जेब पर डाका
- एक लीटर में 10 से 20 एमएल तक का घालमेल, नापतौल, खाद्य विभाग की तरह मशीनें भी सेट
Jabalpur News: पेट्रोल पंपों में माॅडर्न डिजिटल हाई फ्लो फ्यूल मशीनों से पेट्रोल और डीजल की चोरी बड़े ही शातिराना तरीकों से की जा रही है। पेट्रोल पंपों पर चोरी के इस खेल में पंप मालिकों के साथ नापतौल, खाद्य विभाग के अधिकारी सीधे तौर पर जुड़े रहते हैं। हालत यहां तक हैं कि एक लीटर पेट्रोल कोई खरीद रहा है तो 10 से 20 एमएल तक पेट्रोल कम मिलता है।
पेट्रोल चोरी का खेल ऐसे होता है कि हर 12 माह में पेट्रोल पंपों की मशीनों की स्टैंपिंग होती हैं इसमें डिजिटल मशीन को सेट करते समय ही ऐसा जतन किया जाता है कि टैंक से एक लीटर में पेट्रोल देने में 10 से 20 एमएल तक कम घटता है और उपभोक्ता को मशीन में पूरा एक लीटर जाता हुआ दिखता है। गठजोड़ के इस खेल में सावधानी यह रखी जाती है कि पेट्रोल पंपों में यदि 8 मशीनों से पेट्रोल बांटा जा रहा है तो केवल 6 को नापतौल विभाग कम देने के लिए सेट करेगा।
2 मशीनों से फ्यूल पूरा जाए इसके लिए उसमें किसी तरह से छेड़छाड़ नहीं की जाती है। इस तरह नापतौल विभाग के अधिकारियों से मिलकर सीधे पेट्रोल की चोरी होती है। चोरी के कई तरह के तरीकों को अपनाने की बजाय अब गठजोड़ बनाकर फ्यूल चोरी को अंजाम दिया जा रहा है।
पंप के कर्मचारियों की चोरी अलग
पंप मालिक अधिकारियों से मिलकर उपभोक्ता को पेट्रोल-डीजल कम देता है तो पंप कर्मियों का खेल अलग होता है। इसमें मशीन में जीरो से ध्यान भटकाकर पंप कर्मी पेट्रोल चोरी करने की कोशिश करता है। इसमें बातों में उलझाकर पेट्रोल देने के प्रयास किये जाते हैं। इसके अलावा मीटर जंपिंग की कोशिश भी की जाती है।
यहां पर भी जनता की जेब काट रहे
जैसे किसी उपभोक्ता ने 5 लीटर पेट्रोल भरवाया तो 106 रुपए 34 पैसे की दर के हिसाब से कीमत हुई 531 रुपए .70 पैसे लेकिन ग्राहक से 532 रुपए ले लिए जाएंगे। दिन भर ऐसे सैकड़ों ग्राहक आते हैं जो कुछ पैसे अतिरिक्त हर बार देकर जाते हैं इसका समाधान यही है कि पेमेंट डिजिटल तरीकों से किया जाए। ऐसे ग्राहक को पंप कर्मी चाहते हैं कि पेमेंट कैश दे, ताकि ऊपर के पैसों की बचत हो सके।
सोचिए कुछ मशीनें पंप में हमेशा बंद क्यों रहती हैं
किसी भी पेट्रोल पंप में जाइए तो हमेशा उन्हीं मशीनों से पेट्राेल दिया जाता है जिनमें हमने कुछ दिन या एक दिन पहले ही पेट्रोल, डीजल भरवाया है। पंप में ऐसी दो या तीन मशीनें होती हैं जो हमेशा बंद रहती हैं। इन्हीं बंद मशीनों में पेट्रोल पूरी मात्रा में एक्यूरेट निकलता है। इन मशीनों को नुमाइश या डेमों के रूप में जांच के लिए रखा जाता है। जब भी कोई जांच दल आता है तो इन बंद मशीनों से पेट्रोल, डीजल निकालकर उसकी जांच कराई जाती है। इन मशीनों से किसी तरह से कम पेट्रोल नहीं निकलेगा, क्योंकि इनकी स्टैंपिंग मापदण्डों के अनुसार ओरिजिनल होती है।
पेट्रोल-डीजल भरवाते समय डेंसिटी भी चेक करें
पेट्रोल भरवाते समय चोरी के साथ मिलावट पर भी नजर रखने के लिए इसकी डेंसिटी का भी ख्याल रखना चाहिए। एक्सपर्ट के अनुसार ज्यादातर लोग पेट्रोल-डीजल की क्वालिटी, मिलावट को लेकर जागरूक नहीं होेते हैं। इसमें भी कई तरह से खेल होता है जिससे उपभोक्ता की जेब पर डाका डाला जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार पेट्रोल की डेंसिटी 700 से 750 किलोग्राम प्रति घन मीटर और डीजल की डेंसिटी 800 से 850 किलोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए, इस पर पेट्रोल भरवाते समय नजर रखें।
पेट्रोल पंप की जांच और निगरानी प्रशासन लगातार करता है। दो दिन पहले ही पूरे पेट्रोल पंपों की जांच को लेकर एक दल भी हमने गठित किया है जो सभी पहलुओं की जांच कर इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों के अंदर प्रशासन को देगा।
-दीपक सक्सेना, कलेक्टर
Created On :   23 July 2025 2:23 PM IST














