जज्बा हो तो ऐसा: बाईपास सर्जरी-चोटिल और शरीर लकवाग्रस्त, फिर भी मुंबई मैराथन में दौड़ने को तैयार

बाईपास सर्जरी-चोटिल और शरीर लकवाग्रस्त, फिर भी मुंबई मैराथन में दौड़ने को तैयार
  • बुलंद हौसलों से लोगों के लिए बने मिसाल
  • कुल 56 हजार धावक दोड़ेंगे 19वीं मुंबई मैराथन
  • घुटना चोटिल होने के बाद भी दौड़ने को तैयार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई मैराथन को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। 21 जनवरी को होनेवाले 19वें टाटा मुंबई मैराथन में 56 हजार से ज्यादा धावक दौड़नेवाले हैं। इन 56 हजार धावकों में कुछ ऐसे भी जांबाज धावक हैं, जिसमें से कुछ चोटिल हुए थे, कुछ की बाईपास सर्जरी हो चुकी है और दिव्यांग होने के बाद भी दौड़ने के लिए तैयार हैं। इनके हौसले अभी भी बुलंद हैं। ये अपने जोश और जज्बे से लोगों के लिए मिसाल हैं। इस रविवार को 19वीं बार मुंबई मैराथन का आयोजन होने जा रहा है। 56 हजार से ज्यादा लोगों ने इस बार मुंबई मैराथन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें कई श्रेणियों की दौड़ होती है। जिसमें विश्व के कई देशों से आए धावक हिस्सा लेते हैं।

हौसले के आगे अपंगता ने घुटने टेके

मुंबई मैराथन के धावकों में एक नाम है भावेश त्रिवेदी का। साल 2004 में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद गर्दन से नीचे का भाग लकवाग्रस्त हो गया था। उस समय डॉक्टरों ने सुधार का आशा छोड़ने की बात परिजनों से कही थी। भावेश बताते हैं कि तभी से डॉक्टरों को गलत साबित करने के लिए वे तब तक वर्क आउट करते थे, जब तक उनकी आंखों से आंसू नहीं निकलते थे। आखिरकार वे अपने बुलंद हौसले से डॉक्टरों को गलत साबित कर पाए। उन्होंने बताया कि मुंबई मैराथन में पहली बार 2016 में भाग लिया था। लेकिन कुछ शारीरिक जटिलताओं और सर्जरी के कारण ब्रेक लिया था। उन्होंने फिर से 2018 में 4 किमी की दौड़ में भाग लिया। वे टाटा मुंबई मैराथन की ड्रीम रन श्रेणी में भाग लेनेवाले पहले दिव्यांग एथलीट हैं। वे महाराष्ट्र की व्हीलचेयर रग्बी टीम के कप्तान भी हैं।

घुटना चोटिल होने के बाद भी दौड़ने को तैयार

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल संजय कुमार 61 वर्षीय धावक हैं, जिनके घुटने का लिगामेंट दो बार चोटिल हो चुका है। इस खेल प्रेमी ने सबसे पहले नेवी हाफ मैराथन में भाग लिया और फिर 2019, 2023 में हुई टाटा मुंबई मैराथन में हिस्सा लिया। संजय को हर साल मैराथन में हिस्सा लेने के लिए एक ही बात प्रेरित करती है, वह है अपने व्यक्तिगत रिकॉर्ड को तोड़ना।

बाईपास सर्जरी नहीं बनी बाधा

रतनचंद ओसवाल 81 वर्षीय मैराथन धावक हैं, जिनकी 2013 में बाईपास सर्जरी हुई थी। सर्जरी के बाद, वह अस्पताल द्वारा संचालित पुनर्वास जिम में शामिल हो गए, वहां के कोच वेंकटरमन ने उन्हें टाटा मुंबई मैराथन की 2014 ड्रीम रन श्रेणी में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

ओसवाल कहते हैं कि हर साल उनका लक्ष्य कम से कम 2 से 3 हाफ मैराथन में हिस्सा लेना है। अब हर सप्ताह कम से कम 16 से 21 किमी दौड़ लेते हैं। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने दौड़ना शुरू किया, उनकी दवाओं की संख्या आधी हो गई है।

Created On :   15 Jan 2024 12:27 PM GMT

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