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Mumbai News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने जब्त सोने के रिफंड विवाद में सीमा शुल्क विभाग को लगा झटका

- सीमा शुल्क विभाग द्वारा याचिकाकर्ता को जब्त सोने के 41 लाख की जगह केवल डेढ़ लाख किया गया रिफंड
- अदालत ने सीमा शुल्क विभाग के कस्टम्स ऑर्डर को किया रद्द
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने जब्त सोने के रिफंड विवाद को लेकर सीमा शुल्क विभाग को झटका लगा है। अदालत ने सीमा शुल्क विभाग के कस्टम्स ऑर्डर को रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता के जब्त सोने के 41 लाख रुपए की जगह केवल डेढ़ लाख रुपए का रिफंड किया गया था। अदालत ने मामले की सुनवाई नए सिरे से करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति बी.पी.कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पीठ के समक्ष शब्बीर अहमद कुरैशी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में जब्त सोने के रिफंड विवाद पर नए सिरे से सुनवाई का अनुरोध किया गया था। याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता के जब्त सोने को सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों द्वारा उसे बिना सूचना दिए बेच दिया गया। याचिकाकर्ता ने 41 लाख 47 हजार रुपए रिफंड का दावा किया था, लेकिन उसे केवल 1 लाख 50 हजार रुपए ही मंजूर किए गए। सीमा शुल्क न्यायाधिकरण द्वारा 20 मार्च 2024 को याचिकाकर्ता को 19 लाख 69 हजार रुपए रिफंड करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील प्रकाश शिंगरानी अपनी दलील में लेयला महमूदी बनाम अतिरिक्त सीमा शुल्क आयुक्त (2023) सहित पहले के अदालती फैसलों का हवला दिया, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट ने दो ईरानी नागरिकों लेयला महमूदी और मोजतबा घोलमी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सीमा शुल्क विभाग द्वारा बिना उचित सूचना के उनसे जब्त किए गए सोने के आभूषणों का एकतरफा निपटान उनके अधिकारों का उल्लंघन था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सीमा शुल्क विभाग के निर्देश का जवाब देने का मौका नहीं दिया गया।
याचिकाकर्ता ने सोने की बिक्री के संबंध में कोई नोटिस प्राप्त करने से इनकार किया। जबकि सीमा शुल्क ने दावा किया था कि इस तरह के नोटिस फरवरी 2019 और 2020 में जारी किए गए थे। उन नोटिसों के लिए कोई पावती या आधिकारिक आदेश नहीं पाए गए, जिससे सूचना की वैधता पर संदेह पैदा हुआ।
पीठ ने माना कि सीमा शुल्क प्राधिकरण महत्वपूर्ण तर्कों पर विचार करने में विफल रहा और प्रक्रियात्मक निष्पक्षता का पालन नहीं किया। 21 लाख 77 हजार रुपए का भुगतान पर नए सिरे से किया जाना चाहिए, जो पहले के हलफनामे से प्रभावित न हो। याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालत ने 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई रखी है।
Created On :   23 May 2025 8:33 PM IST