बॉम्बे हाई कोर्ट: गैस रिसाव की घटनाओं का लिया स्वतः संज्ञान, पुणे धमाका मामले में आरोपी को जमानत, यूट्यूब के खिलाफ याचिका, कन्नड़ अभिनेता के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं करने का निर्देश

गैस रिसाव की घटनाओं का लिया स्वतः संज्ञान, पुणे धमाका मामले में आरोपी को जमानत, यूट्यूब के खिलाफ याचिका, कन्नड़ अभिनेता के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं करने का निर्देश
  • चेंबूर के आरसीएफ और तारापुर एमआईडीसी में गैस रिसाव की घटनाओं का लिया स्वतः संज्ञान
  • आरोपी फारूक शौकत बागवान को 12 साल की हिरासत के बाद मिली जमानत
  • पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कथित स्टांप शुल्क चोरी को लेकर यूट्यूब के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
  • धोखाधड़ी का मामला- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा के खिलाफ मुंबई पुलिस को आरोपपत्र दाखिल नहीं करने का दिया निर्देश

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने चेंबूर स्थित राष्ट्रीय रासायनिक उर्वरक (आरसीएफ) संयंत्र और तारापुर एमआईडीसी में गैस रिसाव की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने कहा कि हम गैस रिसाव से संबंधित तीन समाचार लेखों का संज्ञान ले रहे हैं। अदालत ने राज्य सरकार को जारी नोटिस किया जाता है और विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों को आगे के निरीक्षण के लिए प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जाएगा। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने खतरनाक गैस रिसाव को उजागर करने वाली समाचार रिपोर्टों पर कार्यवाही शुरू की। पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा कि हम गैस रिसाव से संबंधित तीन समाचार लेखों का संज्ञान ले रहे हैं। आपको, राज्य सरकार को, नोटिस जारी किया जाता है। इन घटनाओं का ज़िक्र करते हुए पीठ ने एक हालिया रिपोर्ट का ज़िक्र किया जिसमें चेंबूर की घटना के अलावा तारापुर एमआईडीसी में गैस रिसाव के कारण चार लोगों की जान चली गई थी। सोमवार सुबह आरसीएफ संयंत्र के आसपास के निवासियों ने सांस लेने में तकलीफ, आंखों और त्वचा में जलन जैसी समस्याओं की शिकायत की। उन्होंने क्षेत्र में तेज़ रासायनिक गंध और घने धुंध का भी ज़िक्र किया, जिससे गैस रिसाव की बातें सामने आई।आरसीएफ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उत्सर्जन केवल जल वाष्प था और कोई रिसाव नहीं हुआ था।एक अन्य घटना में तारापुर एमआईडीसी स्थित आरती ड्रग्स लिमिटेड के पास सलवाड़ और शिवाजी नगर में एक कथित गैस रिसाव ने निवासियों को भयभीत कर दिया। उत्पादन के दौरान हाइड्रोक्लोरिक एसिड (एचसीएल) के कथित रिसाव से घना धुआं निकला, जिससे आंखों और गले में जलन की शिकायत हुई। इससे लोगों में दहशत फैल गई, जिससे कई स्थानीय लोगों को अपने घर छोकर दूसरे स्थानों पर शरण लिया है।

2012 के पुणे बम धमाके का मामला - बॉम्बे हाई कोर्ट से आरोपी फारूक शौकत बागवान को 12 साल की हिरासत के बाद मिली जमानत

उधर बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2012 के पुणे सीरियल बम धमाकों के आरोपी फारूक शौकत बागवान को 12 साल की हिरासत के बाद समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ज़मानत दे दी है। 39 वर्षीय बागवान ने मुकदमे के निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 12 साल से अधिक समय तक हिरासत में जेल में बिताया। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटील की पीठ ने कहा कि बागवान की भूमिका उस सह-अभियुक्त के समान थी, जिसे पहले ही ज़मानत मिल चुकी थी। पीठ ने कहा कि समानता का सिद्धांत पूरी तरह लागू होता है और इसलिए याचिकाकर्ता ज़मानत का हकदार है। पीठ ने यह भी कहा कि मुकदमे के जल्द निपटारे की संभावना दूर-दूर तक नज़र नहीं आती है। पीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। ज़मानत देते हुए पीठ ने कड़ी शर्तें लगाईं, जिनमें एक लाख रुपए का मुचलका भरना, एटीएस को मासिक रिपोर्टिंग करने और यात्रा पर प्रतिबंध शामिल हैं। अतिरिक्त सरकारी वकील विनोद चाटे ने बागवान कि जमानत का विरोध करतो हुए उसके इकबालिया बयानों का हवाला दिया और साज़िश रचने में अहम भूमिका का आरोप लगाया। बागवान का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मुबीन सोलकर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सह-अभियुक्त मुनीब इकबाल मेमन को हाई कोर्ट द्वारा 2024 में ही ज़मानत मिल चुकी है। इस मामले में लगभग 170 अभियोजन पक्ष के गवाहों में से केवल 27 से ही 12 वर्षों में पूछताछ की गई है। दिसंबर 2012 में गिरफ्तार किए गए बागवान पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) सहित कई कड़े धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।1 अगस्त 2012 को शाम 7:25 बजे से रात 11:30 बजे के बीच पुणे में कम तीव्रता वाले पांच विस्फोट हुए थे। इस विस्फोट में एक व्यक्ति घायल हो गया था और जंगली महाराज रोड पर एक साइकिल के कैरियर बास्केट में छठा बम मिलने के बाद उसे निष्क्रिय कर दिया गया था। शुरुआत में पुणे पुलिस मामला की जांच कर रह थी। बाद में जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को सौंप दिया गया था। एटीएस की जांच में सामने आया कि हमले कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी कतील सिद्दीकी की हिरासत में हुई मौत का बदला लेने के लिए किए गए थे, जिसकी उसी साल की शुरुआत में यरवडा जेल में हत्या कर दी गई थी। बागवान पर सिम कार्ड हासिल करने के लिए जाली दस्तावेज़ बनाने और विस्फोटों की योजना बनाने के लिए अभियुक्तों को अपनी दुकान में बैठक की जगह उपलब्ध कराने का आरोप था।

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कथित स्टांप शुल्क चोरी को लेकर यूट्यूब के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

उधर पूर्व आईपीएस अधिकारी और वकील वाई.पी.सिंह ने कथित स्टांप शुल्क चोरी को लेकर यूट्यूब के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अदालत ने स्टांप शुल्क चोरी को लेकर राज्य सरकार और गूगल एलएलसी को हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है। 29 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। याचिका में गूगल एलएलसी को यूट्यूब के कंटेंट क्रिएटर समझौतों के माध्यम से बड़े पैमाने पर स्टांप शुल्क चोरी का आरोप लगाया गया है। न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने राज्य सरकार और गूगल एलएलसी को समय देते हुए उन्हे जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें याचिकाकर्ता को 22 सितंबर तक प्रत्युत्तर देने की समय सीमा भी शामिल है। मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को रखी की गई है। वकील वाई.पी.सिंह की याचिका में गूगल एलएलसी द्वारा अपने वीडियो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब के माध्यम से बड़े पैमाने पर स्टांप शुल्क चोरी का आरोप लगाया गया है। सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर इस याचिका का विवरण साझा किया और इसे यूट्यूब के ख़िलाफ़ बिना कोई पैसा दिए कंटेंट क्रिएटर्स के साथ समझौते करने का मामला बताया। इस याचिका में कथित तौर पर दावा किया गया है कि यह प्लेटफ़ॉर्म चैनल मालिकों को अपनी सेवा की शर्तें मानने के लिए बाध्य करता है, जो प्लेटफ़ॉर्म को विज्ञापन दिखाकर कंटेंट से कमाई करने का अधिकार देती हैं। जबकि क्रिएटर्स को किसी भी भुगतान के अधिकार से स्पष्ट रूप से वंचित करती हैं। सिंह की दलील है कि ऐसे समझौते भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 25 के तहत 'बिना किसी प्रतिफल के अनुबंध माने जाते हैं, जिन्हें बॉम्बे स्टाम्प अधिनियम 1958 के तहत पंजीकृत होना चाहिए और स्टाम्प शुल्क देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्लेटफ़ॉर्म ने इन समझौतों को पंजीकृत नहीं किया है या आवश्यक शुल्क का भुगतान नहीं किया है, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही है। सिंह ने अतिरिक्त स्टाम्प नियंत्रक सहित राज्य के अधिकारियों पर बार-बार याद दिलाने के बावजूद निष्क्रियता का आरोप लगाया और इसे कर्तव्य की उपेक्षा बताया। याचिका में अधिकारियों को इन अनुबंधों के लिए गूगल एलएलसी पर स्टाम्प शुल्क लगाने और ऐसा न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। सिंह ने मामले का पूरा निपटारा होने तक अपने यूट्यूब अनुबंध पर स्टाम्प शुल्क लगाकर अंतरिम राहत का भी अनुरोध किया है। उन्होंने यूट्यूब के खिलाफ उन्हें कॉपीराइट पाइरेट कहने के लिए एक अलग दीवानी मानहानि का मुकदमा भी दायर किया है और साथ ही उनकी बौद्धिक संपदा से कथित अवैध मुनाफाखोरी को लेकर एक योजनाबद्ध व्यावसायिक मुकदमा भी दायर किया है

धोखाधड़ी का मामला- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा के खिलाफ मुंबई पुलिस को आरोपपत्र दाखिल नहीं करने का दिया निर्देश

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई पुलिस को कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा के खिलाफ एक आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल न करने का आदेश दिया। फिल्म निर्माता राघवेंद्र हेगड़े ने उनके खिलाफ कथित तौर पर 9 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराई है। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने एक आदेश पारित कर मुंबई पुलिस को अदालत की अनुमति के बिना कन्नड़ अभिनेता ध्रुव सरजा के मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं करने का निर्देश दिया है। हेगड़े की शिकायत पर सरजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हेगड़े ने आरोप लगाया है कि कन्नड़ अभिनेता ने उनसे सहयोग का अनुरोध किया था, जिस पर वह सहमत हो गए। उन्होंने शुरुआत में अभिनेता को 3 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। हेगड़े ने दावा किया कि उन्होंने 2020 से एफआईआर दर्ज होने तक विभिन्न संस्थाओं से उच्च ब्याज पर कर्ज लिया, जिससे कुल राशि 43 करोड़ रुपए हो गई। इतने खर्च के बाद सरजा ने फिल्म से हाथ खींच लिए और इस तरह उनके साथ धोखाधड़ी की है। मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन में सरजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सरजा ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें दलील दिया कि उन्होंने कभी किसी फिल्म पर काम करने के समझौते से हाथ नहीं खींचा और दावा किया कि हेगड़े उन्हें काम करने के लिए कोई भी व्यावहारिक पटकथा उपलब्ध कराने या लाने में विफल रहे। पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने सरजा को अपनी ईमानदारी दिखाने और हेगड़े द्वारा उन्हें दी गई 3 करोड़ रुपए की राशि जमा करने का निर्देश दिया।

Created On :   10 Sept 2025 8:40 PM IST

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