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सबसे बड़ा मुद्दा: किसानों के लिए कठिनाई का काल, बेमौसम बारिश की भी पड़ी मार
- अनचाही वर्षा की मार
- कभी अत्यधिक बारिश, कभी कम और कभी अनचाही बारिश
- किसान की परेशानी कम नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर | उपराजधानी की- कामठी, मौदा, पारशिवनी, रामटेक, सावनेर व हिंगणा तहसीलों में बेमौसम बारिश से 5480 हेक्टेयर क्षेत्र हानि की चपेट में आया। 335 गांवों के 6886 किसानों की धान, कपास व तुअर की फसल का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री व जिले के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कृषि मंत्री धनंजय मुंडे, मदद व पुनर्वसन मंत्री अनिल पाटील ने 7 दिसंबर को मौदा के तारसा और निमखेडा का दौरा कर फसल को हुए नुकसान का जायजा लिया। दौरे में सांसद कृपाल तुमाने, विधायक टेकचंद सावरकर, विधायक आशिष जैस्वाल, जिलाधीश डॉ. विपिन इटनकर, विभागीय कृषि सहसंचालक राजेंद्र साबले, विभागीय अधीक्षक कृषि अधिकारी मिलिंद शेंडे, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी रवींद्र मनोहरे, तहसीलदार धनंजय देशमुख, तहसील कृषि अधिकारी संदीप नाकाडे आदि शामिल थे।
जल्द पूरा होगा काम
रवींद्र मनोहरे, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक 52.55 फीसदी (2880) पंचनामे हो गए हैं। बाकी काम 3-4 दिनों में पूरा हो जाएगा। विभागीय आयुक्त के मार्फत सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। रु. 8,500 प्रति हेक्टेयर की दर से मदद दी जाएगी।
कभी अत्यधिक बारिश, कभी कम और कभी अनचाही बारिश - किसान की खुशहाली पर कई वज़हों से ग्रहण लग जाता है। जाते हुए नवंबर ने, महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश कराई और हर खेत से खरीफ फसलों के नुकसान की दुखद कहानियां हवा में तैरने लगीं। खरीफ के पीछे-पीछे आने वाली रबी की फसलें भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकतीं। उपराजधानी में शीतसत्र के लिए आए मेहमानों की नज़र से किसान और किसानी की यह स्थिति छुपी न होगी। महाराष्ट्र के हर जिले में खेती को हुई क्षति, प्रशासनिक आकलन आदि पर “दैनिक भास्कर” की यह समग्र रिपोर्ट प्रस्तुत है।
संदेह से भरी रिपोर्ट
वर्धा में बिनमौसम बारिश से जिले के सेलू तहसील अंतर्गत 1 हजार 896 किसान प्रभावित हुए हैं। 183 हेक्टेयर फसल नुकसान की रिपोर्ट जिला आपदा विभाग द्वारा बनाई गई। यह नुकसान 33 फीसदी से कम होने के चलते, मदद से वंचित रहने की नौबत सभी किसानों पर बन आई है।
प्रशासन की इस रिपोर्ट पर अब संदेह व्यक्त किया जा रहा है। इसमें मात्र सेलू तहसील में ही नुकसान दिखाया गया है, वो भी 33 फीसदी से कम। तीन दिन तक वर्धा, आर्वी, आष्टी, कारंजा घाडगे, सेलू, पुलगांव, सिंदी रेलवे, समुद्रपुर, हिंगणघाट, देवली सहित सभी मंडलों में आंधी-बारिश का प्रकोप रहा। राज्य सरकार की घोषणा, 33 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर ही, तीन हेक्टेयर तक मदद देने की गई है।
विधायक-सांसद के दौरे
सांसद रामदास तड़स, विधायक दादाराव केचे, विधायक डा पंकज भोयर ने खेतों में जाकर निरीक्षण किया तथा अधिकारियों को हानि-सर्वेक्षण के आदेश दिए।
भंडारा में भी प्रकृति की नाइंसाफी देखी गई। 27 से 29 नवम्बर के बीच और फिर रुक-रुक के हुई बेमौसम बारिश से हजारों किसानों का खरीफ व रबी की फसलों का नुकसान हो गया। कृषि विभाग के अनुसार, 7 दिसंबर तक कुल 20 हजार 821 किसान प्रभावित हैं। शासन से रु.14 करोड़ 59 लाख 93 हजार 195 निधि की मांग की गई है। साकोली व लाखांदुर जिले को छोड़कर शेष पांच तहसीलों में नुकसान हुआ है। धान, तुअर, चना, सब्जी, गेहूं को भी नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार 20 हजार 821 किसानों का 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। जिले के आठ हजार 607.93 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें खराब हुई हैं। सनद रहे, इसके पहले जुलाई-सितंबर माह में हुए नुकसान का मुआवजा ही किसानों को नहीं मिल पाया है।
पंचनामे जारी
संगीता माने, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक नुकसानग्रस्त क्षेत्र में जारी पंचनामे के अनुसार, मुआवजे के लिए आवश्यक निधि की जानकारी शासन को दी गई है। इसके पहले हुए नुकसान के लिए निधि मांगी पर अभी तक नहीं मिली है।
गोंदिया में बारिश ने मुंह से निवाला छीना। बदरीले मौसम और बिनबुलाई बारिश ने हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल को नुकसान तो पहुंचाया ही है, कटी फसलों को भी बर्बाद कर दिया है। किसानों को तत्काल मुआवजा मिलना चाहिए। शासन की ओर से पंचनामे का कार्य शुरू कर दिया गया है। पशुओं के लिए चारे के रूप में प्रयुक्त होने वाली धान की तनस भी क्षतिग्रस्त हो गई है। किसानों का कहना है कि जनप्रतिनिधि व सरकार के अधिकारी पंचनामे करते हैं लेकिन समय पर मुआवजा नहीं दिया जाता। इससे सरकार पर भरोसा कम हो रहा है।’
पंचनामे किए जा रहे हैं
हिंदूराव चव्हाण, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक नुकसान की अधिकृत जानकारी 14-15 दिसंबर तक दी जाएगी।
गड़चिरोली में भारी नुकसान से कृषि विभाग ने इंकार किया। अनचाही बारिश के कारण खेतों में रखी धान पूरी तरह भीग चुकी है। जिले भर में फसलों का नुकसान दिख रहा है लेकिन कृषि विभाग का कहना है कि- ‘जिले में नाममात्र 30 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों का ही नुकसान हुआ है। भामरागढ़ तहसील में 10 हेक्टेयर, आरमोरी में 20 हेक्टेयर क्षेत्र में ही नुकसान हुआ है और शेष 10 तहसीलों में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है।’ इस रिपोर्ट से किसान संकट में आ गए हैं। अब तक न किसी प्रशासनिक अधिकारी ने खेतों में पहुंच कर नुकसान का जायजा लिया है और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने किसानों का हाल जानने का प्रयास किया।
इस वर्ष का खरीफ सत्र, शुरुआती दौर में अतिवृष्टि का शिकार हुआ। किसानों पर दोबारा बुवाई का संकट आन पड़ा था। जैसे-तैसे स्थिति सुधर रही थी। लेकिन जब फसल लहलहा रही थी, ठीक उसी समय एक बार फिर बेमौसम बारिश ने आफत मचा दी। उस समय भी कृषि विभाग ने सर्वेक्षण किया लेकिन अब तक किसी पीड़ित किसान को, कोई वित्तीय मदद नहीं दी गई।
नियमानुसार दी जाएगी मदद
बसवराव मास्तोडी, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक आरमोरी और भामरागढ़ तहसील में ही नुकसान हुआ है और कहीं नहीं। संबंधित किसानों को नियमानुसार वित्तीय मदद दी जाएगी।
चंद्रपुर जिले में 13 हजार 373 हेक्टेयर में नुकसान हुआ है। सर्वाधिक नुकसान मूल तथा पोंभूर्णा तहसील में दर्ज किया गया। यहां धान, कपास, तुअर, मिर्च की फसल की बड़े पैमाने पर क्षति हुई। हालांकि कृषि विभाग द्वारा अब तक केवल 10 हजार हेक्टेयर का पंचनामा हाेने की बात बताई गई है। चिमूर तहसील के नेरी समीप सिरपुर, मोटेगांव के किसान पिछले 50 वर्षो से रेशम का उत्पादन करते हैं। वातावरण में बदलाव और जलवायु में नमी बढ़ने से रेशम खराब हो गई और किसानों को बड़ा घाटा हो गया।
पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने जिले में हुए नुकसान की जानकारी मांगी और अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, कृषि मंत्री धनंजय मुंडे, राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल को तत्काल पत्र लिख कर पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का आग्रह किया है।
पीड़ितों को मुआवजा मिलेगा
शंकर तोटावार, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक जिले में 13 हजार 373 हेक्टेयर खेतों के नुकसान में, अब तक 10 हजार हेक्टेयर का पंचनामा हुआ है। पंचनामा पूर्ण होने के बाद सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। उसके बाद ही किसानों को मुआवजा मिलेगा।
अकोला जिले की 7 तहसीलों के 832 ग्रामों में वर्षा का कहर टूटा। 68 हज़ार 861 हेक्टेयर क्षेत्र शिकार, 22 हज़ार 450 हेक्टेयर क्षेत्र का पंचनामा पूरा हो चुका है। किसानों ने अरहर, चना, गेहूं समेत अन्य फसलों की बुवाई की थी, सब नष्ट हो जाने की खबर है। सब्जियों के क्षतिग्रस्त होने से बाजार में इनके दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं।
जुलाई माह में हुई बेमौसम बारिश के कारण खरीफ मौसम में फसलें क्षतिग्रस्त हो गई थीं। जिलाधिकारी के आदेश पर कृषि विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जांच के ब्यौरे वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रखे। इस दौरान प्रदेश सरकार ने 64 हजार किसानों के लिए रु.164 करोड़ मंजूर किए। किसानों के खाते में राशि-हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है।
जल्द पूरा होगा कार्य
शंकर किर्वे, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी के मुताबिक अभी तक 35.2 प्रतिशत पंचनामा हो गया है, शेष भी जल्द पूरा होगा।
मराठवाड़ा में भी बेमौसम बारिश का कहर देखा गया। पांच दिन तूफान के साथ बेमौसमी बारिश से मराठवाड़ा की 88 हजार 585 हेक्टेयर खेती प्रभावित हुई है। छत्रपति संभाजीनगर जिले में सबसे ज्यादा (73 हजार 967) हेक्टेयर का नुकसान हुआ। सबसे ज्यादा बर्बादी कपास, ज्वार, तुवर, चना फसल को हुई है। 56 हजार 765 हेक्टेयर असिंचित फसल को नुकसान हुआ है। 19 हजार 942 हेक्टेयर सिंचित और 11 हजार 878 हेक्टेयर फलबागों का क्षेत्र है। जालना 13 हजार 49 हेक्टेयर, परभणी 692 हेक्टेयर, बीड़ 631 हेक्टेयर और लातूर जिले के 245 हेक्टेयर क्षेत्र को बेमौसमी बारिश का झटका लगा है।
नेताओं के दौरे
अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार व विधान परिषद के विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे ने बेमौसमी बारिश के बाद जिले में प्रभावित फसलों का मुअायना किया। दानवे ने प्रभावित प्रत्येक किसान को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपए सहायता करने की मांग राज्य सरकार से की है।
अमरावती में भी अन्नदाता के लिए मुश्किल घड़ी नजर आई। प्राथमिक अनुमान में करीब 27 हजार हेक्टेयर का नुकसान अमरावती जिले में बताया गया था जो अब बढ़ कर डेढ़ लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। करीब 40 से 50 फीसदी नुकसान का अनुमान कृषि विभाग ने जताया है। विभाग अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण किए गए हैं। सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने अंजनगांव सुर्जी तहसील का दौरा किया। अमरावती जिले में सबसे अधिक नुकसान कपास, तुअर, संतरे और चने को हुआ है।
दस दिन में हो जाएगा काम पूरा
राहुल सातपुते, जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक बेमौसम बारिश से फसल को हुए नुकसान के पंचनामे किए जा रहे हैं। अब तक 40 फीसदी से अधिक काम हो गया है, शेष 10 दिन में पूरा करने का प्रयास है।
Created On :   11 Dec 2023 4:31 PM IST