शिक्षा: शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए शनिवार, रविवार को लगता है फुटपाथ पर स्कूल

शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए शनिवार, रविवार को लगता है फुटपाथ पर स्कूल
  • यूथ फॉर सेवा फाउंडेशन शिक्षा पाने का जरिया बन रहा
  • 8 से 9 सेंटरों में शिक्षित हो रहे 450 बच्चे
  • मदद कर यूथ फॉर सेवा फाउंडेशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर । शिक्षा एक ऐसा ताकतवर हथियार है, जो अच्छा इंसान बनाता है, रोटी, कपड़ा और मकान खरीदने के लिए सक्षम बनाता है। कई लोग ऐसे हैं, जो पैसों की तंगी के चलते अपने बच्चों को शिक्षित नहीं कर पाते हैं। ऐसे ही शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए यूथ फॉर सेवा फाउंडेशन शिक्षा पाने का जरिया बन रहा है। फाउंडेशन द्वारा शनिवार और रविवार को फुटपाथ पर स्कूल लगाए जाते हैं। झोपड़पट्टी में रहने वाले, भीक्षा मांगने वाले और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का काम यह फाउंडेशन करता है। इसके शहर में 8-9 सेंटर हैं, जहां 450 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। इसमें सहयोग के लिए 40-45 वालंटियर हैं, जो बच्चों को पढ़ाते हैं और विभिन्न तरह की एक्टिविटी भी आयोजित करते हैं।

कभी हार नहीं मानी : प्रवीण कुथे एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं और यूथ फॉर सेवा के फाउंडर भी हैं। प्रवीण कहते है कि इस फाउंडेशन का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा प्रदान करना, अच्छी आदतें सीखाना और पढ़ाना है। मैं और जितने भी वालंटियर हैं सभी अपनी जॉब और व्यस्तता से समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम शाम को जब बच्चों को पढ़ाने जाते थे, वही समय उनके भीख मांगने का होता था, तो बच्चों के माता-पिता ने झगड़ा भी किया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। अब नतीजा यह है कि माता-पिता स्वयं बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं।

मन लगाकर पढ़ते हैं : बच्चे इतनी आसानी से पढ़ने नहीं आते। उन्हें हम खाने-पीने की चीजों का लालच देते हैं, तब जाकर वो मन लगाकर पढ़ते हैं। वालंटियर होने की वजह से इन सेंटर्स में बच्चों को संभालने में आसानी होती है। प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को प्रतिज्ञा, राष्ट्रगीत, किसी से भीख नहीं मांगना चाहिए, कोई कुछ दे, तो धन्यवाद कहना चाहिए और भी आदतें सिखाई जाती हैं। इसके अलावा विभिन्न स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इस शिविर के आयोजन में जुड़ी स्वास्थ्य संस्था बच्चों का मुफ्त में इलाज करती है। समय ऐसा है कि जहां पहले बच्चे 1 से 2 घंटा पढ़ते थे, अब उनमें से कई बच्चे स्कूल जाने लगे हैं और उनके स्कूल आने-जाने का खर्चा फाउंडेशन उठाता है। विजिटर्स द्वारा जो स्कूल सामग्री या डोनेशन मिलता है, उसी से बच्चों पर खर्च किया जाता है। - प्रवीण कुथे, फाउंडर, यूथ फॉर सेवा

शिक्षा से बेहतर दूसरा विकल्प नहीं : सीए की पढ़ाई करती हूं और पिछले 8-9 महीने से ‘यूथ फॉर सेवा फाउंडेशन' से जुड़ी हुई हूं। मैं फाउंडेशन का अकाउंट देखती हूं, साथ ही बच्चों के लिए एक्टिविटी भी आयोजित करती हूं। आरबीआई चौक पर फाउंडेशन द्वारा अभियान चलाया जा रहा था, तब मैंने इसकी होर्डिंग देखी थी और लगा कि समाजिक सेवा के लिए शिक्षा से बेहतर विकल्प कोई दूसरा नहीं है। बस तभी से बच्चों को पढ़ाती हूं और उनके साथ समय बिताकर उनसे भी कई चीजें सीखने को मिलती हैं। -इशिता मानकर, सीए छात्रा

जिंदगी बेहतर बनाने के लिए मंच देता है : मैंने एमसीए में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और 2020 से मैं फाउंडेशन के साथ जुड़ा हुआ हूं। फाउंडेशन से जुड़ने के बाद मुझे लगा कि सड़क की हकीकत क्या है, वो बच्चे क्या हैं, जिनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं, वो बच्चे क्या हैं, जिन्हें सिग्नल पर पैसे मांगने पड़ते हैं। हम इन बच्चों को अच्छा इंसान बनाने के लिए क्या कर सकते हैं। यूथ फॉर सेवा हम जैसे लोगों को शिक्षा से वंचित बच्चों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए मंच देता है। -पुनीत पाठक, आईटी सेक्टर में इंटर्न

Created On :   6 Feb 2024 9:02 AM GMT

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