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Nagpur News: जीआर अवैध, विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के लिए पदोन्नति का रास्ता साफ

- सरकार को कड़ी फटकार
- कोर्ट ने कहा-कर्मचारी भ्रम की स्थिति में फंस गए
Nagpur News विश्वविद्यालय में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए राज्य सरकार ने 2010 में शैक्षणिक योग्यता से संबंधित एक शासनादेश (जीआर) जारी किया था। हालांकि, यह जीआर कभी राजपत्र में प्रकाशित नहीं हुआ, जिसके कारण हाई कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर दिया। इस फैसले ने गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
नई शर्त से अधिकार प्रभावित : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कई गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों ने इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति मुकुलिका जवलकर और न्यायमूर्ति प्रवीण पाटील की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। याचिका के अनुसार, 2010 के बाद गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की पदोन्नति की राह बंद हो गई थी। गैर-कृषि विश्वविद्यालयों में गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए 1984 के स्टैंडर्ड कोड में स्पष्ट रूप से प्रावधान है, जिसमें वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर उच्च पदों पर पदोन्नति की उम्मीद थी। लेकिन 2010 के जीआर और बाद की नियमावलियों के बाद विश्वविद्यालय ने नई शर्त के रूप में स्नातक योग्यता लागू कर दी। इससे कई पुराने कर्मचारियों के अधिकार प्रभावित हुए।
कानूनी रूप से वैध नहीं : कुलगुरु ने भी बार-बार धारा 12(8) के तहत दिशा-निर्देश जारी कर पदोन्नति प्रक्रिया को रोक दिया। हालांकि, अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ये दिशा-निर्देश छह महीने के भीतर नियमावली या अधिनियम में परिवर्तित नहीं होने पर स्वतः रद्द हो जाते हैं। 2010 का जीआर अवैध घोषित करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह कभी भी आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं हुआ, इसलिए यह कानूनी रूप से वैध नहीं है। इसके आधार पर जारी किए गए सभी बाद के आदेश और दिशा-निर्देश भी अवैध हो जाते हैं।
एक समान नियमावली तैयार करने में सरकार विफल : कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। 2010 में जीआर जारी करने के बाद 15 वर्षों तक सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नियमावली (कॉमन स्टैच्युट्स) तैयार करने में राज्य सरकार विफल रही है। इससे विश्वविद्यालय और संबंधित कर्मचारी भ्रम की स्थिति में फंस गए हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि राज्य सरकार के कई जीआर एक-दूसरे से असंगत हैं। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर सूचना के अधिकार के आवेदनों से उच्च और तकनीकी शिक्षा निदेशालय से प्राप्त जानकारी को भी न्यायालय ने स्वीकार किया। इस जानकारी के अनुसार, स्टैंडर्ड कोड अभी भी गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों पर लागू है।
Created On :   28 Aug 2025 11:42 AM IST