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Nagpur News: बीमा अस्पताल में मरीज बेहाल - कह रहे हैं बाहर से दवा खरीदो और बिल लाओ

- नहीं मिल रही शुगर व बीपी की दवा कैल्शियम
- आयरन की भी किल्लत
Nagpur News. रितु वासनिक | कामगार वर्ग से जुड़े बीमा अस्पतालों में इन दिनों दवाइयों की भारी कमी देखने को मिल रही है। इस कारण मरीजों को मजबूरन बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। अस्पताल में आने वाले कई मरीजों ने बताया कि उन्हें जरूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं और उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च कर बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। मामला सोमवारी पेठ स्थित कामगार बीमा अस्पताल का है। इस अस्पताल में पिछले एक महीने से यह समस्या बनी हुई है और इसके समाधान के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
कौन-कौन सी दवाइयों की कमी?
मरीजों को अस्पताल में नि:शुल्क वैद्यकीय सेवा और दवाइयाँ दी जाती हैं, लेकिन मौजूदा हालात यह है कि कैल्शियम, आयरन, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जरूरी दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं। डॉक्टर मरीजों को पर्ची पर दवा लिखकर दे रहे हैं, जिसे मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है। हालांकि, अगर मरीज खरीदी गई दवाइयों का बिल अस्पताल में जमा कराते हैं, तो उन्हें एक महीने के भीतर उनके बैंक अकाउंट में पैसे वापस मिल जाते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी होने के कारण कई मरीज आर्थिक रूप से परेशान हो रहे हैं।
वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं नदारद
मरीजों की समस्याओं को हल करने के लिए अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं रहते हैं। जब भी किसी को अधिकारियों से मिलना होता है, तो वे अपनी जगह पर नहीं मिलते। नियमों के अनुसार, अधिकारियों को कम से कम 8 घंटे अस्पताल में उपस्थित रहना चाहिए, लेकिन वे मात्र 4-5 घंटे ही मौजूद रहते हैं। उनकी अनुपस्थिति के कारण मरीजों को रेफर करने या इमरजेंसी सेवाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों की स्थिति और बढ़ती समस्या
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का कहना है कि उन्हें कैल्शियम, बीपी और अन्य जरूरी दवाइयाँ अस्पताल में नहीं मिल रही हैं। वहीं, कुछ दवाइयाँ ऐसी भी हैं, जो केवल इसी अस्पताल में उपलब्ध होती हैं, लेकिन उनकी अनुपलब्धता से मरीजों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक महीने से अस्पताल में दवाइयों की कमी बनी हुई है और पूछने पर अस्पताल प्रशासन केवल यही जवाब देता है कि अगले महीने तक दवाइयाँ आ जाएंगी। हालांकि, अस्पताल में भर्ती मरीजों का कहना है कि उन्हें फिलहाल जो दवाइयाँ मिल रही हैं, वे पर्याप्त हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, करीब 25-30 प्रतिशत दवाइयाँ उपलब्ध नहीं हैं।
नागरिकों की मांग
स्थानीय नागरिकों और मरीजों का कहना है कि जल्द से जल्द दवाइयाँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए, खासकर वे दवाइयाँ जो केवल इस अस्पताल में मिलती हैं। मरीजों ने कहा कि वे कामगार लोग हैं और उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे महंगी दवाइयाँ बाहर से खरीद सकें।
व्यवस्था की जा रही है
वैशाली व्यवहारे, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के मुताबिक आमतौर पर दवाइयों के ऑर्डर तीन महीने के हिसाब से दिए जाते हैं और यह खेप मुंबई से आती है। लेकिन वर्तमान में मुंबई से दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो रही है, जिसके कारण मरीजों को दवाइयाँ उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही है। इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन जीएमसी या अन्य जगहों से दवाइयाँ मंगवाने की व्यवस्था कर रहा है। आयरन की टैबलेट उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को लिक्विड फॉर्म में आयरन दिया जा रहा है। जो दवाइयाँ अस्पताल में बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें मरीजों को बाहर से खरीदने की सलाह दी जाती है और बिल जमा करने पर उनकी प्रतिपूर्ति एक महीने के भीतर की जाती है।
Created On :   6 April 2025 7:05 PM IST