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Nagpur News: पुलिस पद भर्ती पर कोर्ट ने लगाई फटकार, सरकार से किया सवाल

- सभी चीज के लिए पैसा है, पर कानून-व्यवस्था के लिए क्यों नहीं?
- भ्रामक एवं गलत जानकारी पर भी नाराजगी जताई
Nagpur News नागपुर शहर और ग्रामीण में पुलिस की रिक्त पद भरने में हो रही देर पर बुधवार को हाई कोर्ट ने गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शपथ पत्र में दी गई भ्रामक एवं गलत जानकारी पर भी नाराजगी जताई। साथ ही, कोर्ट ने मौखिक सवाल करते हुए कहा कि, राज्य सरकार के पास हर चीज के लिए पैसा है, फिर कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर्याप्त पैसे क्यों नहीं है?
यह आदेश दिया था : शहर में गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर बाॅम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्वयं संज्ञान लेते हुए आपराधिक जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष सुनवाई हुई। शहर की यातायात की समस्या हल करने के लिए यातायात विभाग में पर्याप्त मनुष्यबल होना आवश्यक है। इस बात को ध्यान में लेते हुए कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से पूछा था कि क्या शहर पुलिस में अतिरिक्त पदों की जरूरत है। तदनुसार, पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर रिक्त पदों की जानकारी दी थी।
जवाब पर नाराजगी : इसके बाद, कोर्ट ने 27 नवंबर, 2024 को आदेश दिया था कि नागपुर शहर पुलिस आयुक्तालय के 447 और ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के 391 रिक्त पदों को चार सप्ताह में भरा जाए। साथ ही, अतिरिक्त पद सृजित करने के प्रस्ताव पर भी विचार करने को कहा गया था। लेकिन गृह विभाग ने 22 अगस्त 2023 के सरकारी निर्णय का हवाला देते हुए नए पुलिस थानों के लिए 146 पदों की आवश्यकता बताई। हालांकि, इन मानकों को तय करते समय वित्त विभाग की सहमति नहीं ली गई थी, जो कोर्ट में सामने आया। साथ ही, गृह विभाग ने पुलिस भर्ती के लिए सरकार के खजाने पर वित्तीय बोझ बढ़ने की बात कही थी, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।
तल्ख टिप्पणी : मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा, आप नए पुलिस थाने बनाते हैं, लेकिन उनके लिए जरूरी मनुष्यबल पुराने थानों से लेते हैं। क्या इतने कम मनुष्यबल से कानून और व्यवस्था कायम रहेगी? सरकार के पास हर चीज के लिए पैसा है, लेकिन कानून-व्यवस्था को बनाए रखने, पुलिस पद भर्ती के पैसे क्यों नहीं? इन कठोर शब्दों में कोर्ट ने गृह और वित्त विभाग को फटकार लगाई। न्यायालय मित्र के रूप में एड. राहिल मिर्झा ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ तथा मुख्य सरकारी वकील देवेंद्र चौहान और एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की।
नई नीति बनाने का आदेश : पिछली सुनवाई में कोर्ट की नाराजगी के बाद गृह विभाग के प्रधान सचिव (विशेष) अनूप कुमार सिंह और उपसचिव अरविंद शेटे ने भर्ती प्रक्रिया पर शपथ पत्र दाखिल किया था। लेकिन 22 अगस्त 2023 के निर्णय के अनुसार केवल नए पुलिस थानों के लिए अतिरिक्त पदों के मानक थे। इस नए और पुराने पुलिस थानों में पद भर्ती के लेकर भेदभावपूर्णता पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और पुलिस के अतिरिक्त पदों के लिए तीन महीने में नई नीति बनाने का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने नागपुर जिले सहित राज्य के रिक्त और अतिरिक्त पदों को भरने के लिए उठाए गए कदमों पर भी जवाब मांगा है।
Created On :   17 July 2025 12:55 PM IST