स्वच्छ सर्वेक्षण: 103 से गिरकर नेशनल रैकिंग 127 पर आई, प्रदेश स्तर पर 199 वां नंबर मिला

103 से गिरकर नेशनल रैकिंग 127 पर आई, प्रदेश स्तर पर 199 वां नंबर मिला
  • स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर इस बार सरकार ने शहरों की 5 अलग-अलग श्रेणियां तय कर दी हैं।
  • नेशनल व प्रदेश स्तर पर रैंकिंग में गिरावट से नगर पालिका परिषद की नाकामी आई सामने
  • रैकिंग में गिरावट के पीछे शहर में फिर बना लिए गए कचरा डंपिंग प्वाइंट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।

Seoni News: केन्द्र सरकार ने गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण का रिजल्ट जारी कर दिया। 50 हजार से 3 लाख तक की आबादी वाले शहरों की मीडियम सिटी वाली केटेगिरी में शामिल सिवनी की नेशनल रैंकिंग इस बार गिर गई है। पिछले साल सिवनी ने 103वां स्थान अर्जित किया था, लेकिन रैंकिंग गिरकर अब 127 पर पहुंच गई है। प्रदेश स्तर पर तो सिवनी का प्रदर्शन और भी बुरा रहा।

पिछले साल प्रदेश स्तर पर सिवनी ने 76वां स्थान प्राप्त किया था, लेकिन इस बार प्रदेश में सिवनी 199वे स्थान पर आया है। नेशनल के साथ ही प्रदेश स्तर पर रैंकिंग में आई भारी गिरावट ने नगर पालिका परिषद द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर किए गए प्रयासों की पोल खोल दी है। स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और निस्तारण समेत 10 मापदंडों और 54 इंडीकेटर्स पर शहरों को परखे जाने की परीक्षा में शहर के साफ-सफाई के लचर सिस्टम और स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर की गई खानापूर्ति ने शहर को पीछे ढकेल दिया है।

कागजों में बने ब्रांड एम्बेसडर

स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर नगर पालिका परिषद ने कितनी गंभीरता से प्रयास किए हैं, इसकी पोल ब्रांड एम्बेसडर की नियुक्ति के मामले में सामने आया है। इस बार ब्रांड एम्बेसडर के नामों को पीआईसी से स्वीकृति ही नहीं दिलाई गई। वहीं, यह उजागर हुआ है कि नगर पालिका द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन डाक्यूमेंट सबमिट करने का काम लेने वाले ने अपनी मर्जी से किन्हीं योगेश प्रजापति व गिरीश ठाकुर के नाम बतौर ब्रांड एम्बेसडर ऑन लाइन सबमिट कर दिए। ये दोनों कौन हैं, इसका जवाब नगर पालिका की स्वच्छ सर्वेक्षण की नोडल अधिकारी तक नहीं दे पाईं।

ट्रिचिंग ग्राउण्ड में बदहाली

नगर पालिका ने डोर टू डोर कलेक्शन व शहर से एकत्र कचरे के निष्पादन के लिए छिडिय़ा पलारी में ट्रिचिंग ग्राउण्ड का निर्माण कराया है। ट्रिचिंग ग्राउण्ड में सीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट, मटेरियल रिकवरी फैसेलिटी, कंपोस्टिंग पिट याने गीले कचरे खाद बनाए जाने का प्लांट बनाकर सिवनी ने वर्ष 2022 में 35वां स्थान प्राप्त हुआ था। लेकिन इसके बाद सीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट, मटेरियल रिकवरी फैसेलिटी, कंपोस्टिंग पिट शोपीस बनकर रह गए और रैंकिंग गिरती गई। वर्तमान में भी ट्रिचिंग ग्राउण्ड पूरी तरह से बदहाली का शिकार है। आलम यह है कि शहर से ट्रिचिंग ग्राउण्ड पहुंच रहे कचरे में आग सुलगती रहती है और शहर के कबाडिय़ों तक कबाड़ पहुंचाने वालों का जमघट लगा रहता है।

कार्यालय के पीछे ही कचरे का अंबार

रैकिंग में गिरावट के पीछे शहर में फिर बना लिए गए कचरा डंपिंग प्वाइंट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। शहर के 24 वार्ड की साफ-सफाई का जिम्मा संभालने वाले स्वास्थ्य विभाग की सफाई व्यवस्था का आलम यह है कि नगर पालिका कार्यालय के पीछे ही पूरे समय कचरे का अंबार लगा रहता है। ऐसी ही स्थिति मिशन स्कूल के पीछे की सडक़ पर, सिंधिया प्रतिमा चौक पर, अंबेडकर वार्ड स्थित तालाब किनारे, उत्कृष्ट स्कूल के सामने सहित अन्य स्थानों पर पूरे समय कचरे के ढेर लगे रहते हैं।

डोर टू डोर कलेक्शन सुधरा, बाकी ढर्रे पर

शहर में पिछले साल के मुकाबले डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में सुधार आया है। कचरा कलेक्शन के लिए गाडिय़ां पहुंच रही हैं। इन्हें लेकर आने वाली शिकायतें कम हो गई हैं। हालांकि कचरा निष्पादन व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ी है। सिटी ब्यूटीफिकेशन के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। सडक़ों के सौंदर्यीकरण का काम नगर पालिका भूल गई है। तालाबों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों के संरक्षण व संवर्धन के नाम पर जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बुधवारी तालाब के किनारे कचरे से बजबजा रहे हैं। अंबेडकर वार्ड स्थित तालाब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गया है। इसे कचराघर बना लिया गया है।

श्रेणियों में बदलाव को बता रहे कारण

स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर इस बार सरकार ने शहरों की 5 अलग-अलग श्रेणियां तय कर दी हैं। इनमें 20 हजार की आबादी वाले शहरों को वेरी स्मॉल सिटी श्रेणी में शामिल किया गया है। 20 हजार से 50 हजार तक की आबादी वाले शहर स्मॉल सिटी व 50 हजार से 3 लाख तक की आबादी वाले शहर मीडियम सिटी श्रेणी में शामिल किए गए हैं। इसके बाद 10 लाख तक की आबादी वाले शहर बिग सिटी व 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को मिलियन प्लस सिटी श्रेणी में शामिल किया गया है।

नगर पालिका के जिम्मेदार श्रेणियों में बदलाव को रैंकिंग में पिछडऩे का कारण बता रहे हैं। उनका कहना है कि पिछली बार तक सिवनी एक लाख तक की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में शामिल था, लेकिन इस बार मीडियम सिटी श्रेणी में शामिल किए जाने के कारण कॉम्पटीशन बढऩे से रैंकिंग में गिरावट आई है।

नगर पालिका कार्यालय के पास ही स्थित बुधवारी बाजार के नाले की बजबजाती गंदगी बारिश में ओवरफ्लो होकर मुख्य मार्ग पर आ जाती है। यहां बनने वाली स्थिति शहर की छबि को खराब करती है। यह समस्या सालों से बनी हुई है। लेकिन इसके बावजूद कोई सुधार नहीं किया जा रहा है।

राहत के ये मिले अंक

00 गार्वेज फ्री सिटी में सिवनी ने वन स्टार रैंकिंग हांसिल की है।

00 पिछली बार की तरह इस बार भी ओडीएफ प्लस प्लस मिला है।

00 डोर टू डोर कलेक्शन में पिछली बार 83 प्रतिशत अंक मिले थे, इस बार 100 प्रतिशत अंक

00 रहवासी, व्यवसायी व मार्केट केटेगिरी में कचरा संग्रहण पर मिले 100 प्रतिशत अंक

00 वेस्ट जनरेशन व प्रोसेसिंग में मिले 100 प्रतिशत अंक

00 रेडियेशन डंप साइड में मिले 100 प्रतिशत अंक

किस साल मिले कितने मिले

वर्ष कुल अंक प्राप्त अंक

2024 12500 8753

2023 9500 5984

2022 7500 5213

इनका कहना है-

राज्य शासन द्वारा मुझे लगभग दो माह पहले ही अध्यक्ष बनाया गया है। रैंकिंग में गिरावट के पीछे कांग्रेस की नगर सरकार को जिम्मेदार माना जा सकता है। अध्यक्ष बनने के बाद शहर की साफ-सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अगली बार अच्छी रैंकिंग मिले इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

- ज्ञानचंद सनोडिया, अध्यक्ष, नगर पालिका सिवनी

इस बार नेशनल स्तर पर सिवनी को 127वीं रैंकिंग मिली है। पिछली बार 103वां स्थान प्राप्त हुआ था। मेरी ज्वाइनिंग को ज्यादा समय नहीं हुआ है। शहर में साफ-सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रयास जारी हैं। यही कोशिश रहेगी कि अगली बार नेशनल व प्रदेश स्तर पर सिवनी की रैंकिंग में सुधार हो।

- विशाल मस्कोले, सीएमओ, नगर पालिका सिवनी

स्वास्थ्य विभाग का सभापति रहने के दौरान पूरे समय शहर की साफ-सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार प्रयास किए गए। मुख्य मार्ग, भीतरी इलाकों व नाला-नालियों की सफाई पर फोकस रहा। डोर टू डोर कलेक्शन की व्यवस्था में ट्रिपरों की संख्या बढ़ाकर सुधार लाया गया।

- राजिक अकील, पूर्व सभापति, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका सिवनी

Created On :   18 July 2025 2:51 PM IST

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