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Shahdol News: भास्कर खास- अब सिकलसेल की तरह थैलेसीमिया मरीजों की भी पोर्टल में दर्ज होगी जानकारी

- थैलेसीमिया दिवस पर विशेष : बीमार मरीजों के लिए अच्छी खबर बेहतर मॉनीटरिंग से उपचार में सहूलियत
- मरीजों का यह आंकड़ा 4 हजार लोगों की स्क्रीनिंग के बाद सामने आया है।
- किसी को थैलेसीमिया है तो उसका इलाज केवल ब्लड ट्रांस्फुशन में पैक्ड सेल ही चढ़ाना है।
Shahdol News: थैलेसीमिया मरीजों की अब सिकलसेल मरीजों की तरह ही पोर्टल में जानकारी दर्ज होगी। इसका बड़ा लाभ यह होगा कि मरीजों की जानकारी सबकी नजर में होगी और मॉनीटरिंग बेहतर होने से इलाज में और ज्यादा सहूलियत मिलेगी। अब तक थैलेसीमिया मरीजों की जानकारी ऑफलाइन ही दर्ज होने से उन्हे इलाज के दौरान ब्लड मिलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पोर्टल में जानकारी दर्ज करने के लिए विभागीय स्तर पर प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद जल्द ही जिलों में क्रियान्वयन प्रारंभ होगा।
शहडोल में 47 मेजर 118 माइनर मरीज- जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ के अनुसार थैलेसीमिया के शहडोल में 47 मेजर और 118 माइनर मरीज हैं। मेजर मरीजों को उनके शरीर में हीमोग्लोबीन स्तर के अनुसार एक माह में कम से कम 2 बार ब्लड की जरूरत पड़ती है। मरीजों का यह आंकड़ा 4 हजार लोगों की स्क्रीनिंग के बाद सामने आया है।
रक्त से ही बंधी होती है जीवन की डोर, इसलिए रक्तदान जरूरी
पैथोलॉजी प्रभारी से सेवानिवृत्त डॉ. सुधा नामदेव बताती हैं कि थैलेसीमिया एक तरह की अनुवांशिक यानी कि माता पिता के जीन्स के द्वारा बच्चों में आने वाली बीमारी है। इसकी पहचान 6-7 माह की उम्र से होने लगती है। यदि बच्चा सफेद दिखने लगे और टेस्ट में खून की कमी पता लगे तो जांच से इसकी पुष्टि होती है। थैलेसीमिया माइनर वह व्यक्ति होता है जिसमे इस बीमारी के लक्षण नहीं होते पर वह अपने बच्चे को इसका जीन संचार कर सकता है।
मेजर वह व्यक्ति होता है जिसमें इस बीमारी के पूरे लक्षण होते हैं। मेजर मरीज को अत्यधिक खून चढऩे के कारण इनके शरीर मे आयरन की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, जिससे ये आयरन शरीर के सभी अंगों में जमा होने लगता है। इससे लीवर, हार्ट, किडनी, तिल्ली, फेफड़े में नुकसान की आशंका बढ़ जाती है। इसका सरल उपचार है, सावधानी। लडक़े-लड़कियों की शादी के समय जन्म कुंडली मिलान के साथ साथ रक्तकुण्डली का भी मिलान कर इस बीमारी को अगली पीढ़ी में जाने से रोका जा सकता है।
किसी को थैलेसीमिया है तो उसका इलाज केवल ब्लड ट्रांस्फुशन में पैक्ड सेल ही चढ़ाना है। मरीजो को ब्लड इतना ज्यादा लगता है तो इन्हे ब्लड बैंक से ही बिना एक्सचेंज में ब्लड लिये लिए खून देने होता है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे मरीजों की मदद के लिए अन्य लोग ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करें।
Created On :   12 May 2025 7:20 PM IST