प्रचलित कथाएं, करवा चौथ पर क्यों की जाती है चांद की पूजा ? जानें...

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प्रचलित कथाएं, करवा चौथ पर क्यों की जाती है चांद की पूजा ? जानें...
प्रचलित कथाएं, करवा चौथ पर क्यों की जाती है चांद की पूजा ? जानें...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ आज मनाया जा रहा है। सुबह सरगी ग्रहण करने के बाद महिलाओं ने व्रत प्रारंभ कर दिया है। पति की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाले इस व्रत को लेकर अनेक मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी ही प्रचलित कथाएं अाैर चांद के महत्व को बारे में बताने जा रहे हैं...

द्रौपदी को दी सलाह 

कहा जाता है कि जब पांडव नील गिरि के जंगल में तपस्या कर रहे थे तब द्रौपदी उनके लिए बड़ी ही चिंतित थीं। द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से अपनी चिंता का कारण बताया और उनसे पांडवों की सुरक्षा और सकुशल वापसी का उपाय पूछा। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत अाैर चंद्रमा की पूजा का महत्व बताया और उन्हें इसे करने के लिए कहा। मान्यता है कि द्रौपदी के इस व्रत को धारण करने के बाद ही पांडव सुरक्षित वापस आ सके थे। 

वीरवति ने रखा था व्रत 

प्रचलित कथाओं में एक वीरवति की कथा भी है। जिसे पूजन के दौरान पढ़ा और सुना जाता है। कहा जाता है कि  वीरवति सात भाईयों की अकेली बहन थी। उसका विवाह भी सभी ने धूम-धाम से किया। वीरवति ने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा। सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गए। सभी ने मिलकर पीपल के पेड़ में एक अक्स बनाया जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है। वीरवति ने उसे चंद्रमा समझा और व्रत खोल दिया। इससे उसका व्रत खंडित हो गया और करवा माता कुपित हो गईं। जैसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखा उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है। वीरवति बहुत दुखी हुई और उसने माता से इसका कारण पूछा। जिसके बाद उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी। देवी ने उसे सब बताया। भाईयों ने उससे माफी मांगी इसके बाद देवी मां ने उसे फिर व्रत रखने कहा। कहा जाता है कि लंबे तप के बाद उसे माता ने वरदान दिया जिसके बाद वीरवति का पति पुनः जीवित हुआ। 

शिव-पार्वती 

मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत शिवजी के लिए रखा था। इसके बाद ही उन्होंने अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। 

चंद्रमा के हृदय में विष 

चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करते समय मनोवैज्ञानिक कारण बताए थे। उन्होंने कहा था कि चंद्रमा में जो काली छबि दिखाई देती है। वह दरअसल विष है जो कि उनका भाई है। समुद्र मंथन में चंद्रमा और विष दोनों निकले थे। जिस कारण चांद ने विष को अपने हृदय में स्थान दिया है। इसलिए चांद में दाग दिखाई देता है। यह चंद्रमा की विशेषता मानी गई है जिस कारण उसकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा प्रेम और सुंदरता का प्रतीक है। शिव ने चांद को अपनी जटाओं में स्थान दिया है। यदि पति-पत्नी किसी कारण से दूर हो जाते हैं तो चंद्रमा की विष से भरी हुई किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। यही कारण है कि कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चैथ के दिन महिलाएं चांद की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु के साथ सदैव उनके साथ का वरदान मांगती हैं। 

Created On :   8 Oct 2017 9:48 AM IST

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