बिहार चुनाव 2025: 'अपराधी बेखौफ होकर घर और अस्पताल में घुसकर हत्याएं कर रहे..', कानून व्यवस्था को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर बरसे तेजस्वी यादव

- बिहार में इस साल होना है विधानसभा चुनाव
- राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमलावर विपक्ष
- तेजस्वी यादव ने सत्ताधारी एनडीए गठबंधन पर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिनों का समय बाकी है। चुनाव के नजदीक आते ही सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। रविवार को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सियासी हमला बोला है। उन्होंने सीएम को सुझाव दिया कि राज्य को धर्म, जाति, 'डीके टैक्स' और चाटुकारिता से नहीं, बल्कि योग्यता, ईमानदारी और दक्षता से चलाइए। अगर यह सोच आज नहीं बदली, तो इतिहास आपको भाजपा के निर्देश पर चलने वाले एक असफल शासक के रूप में याद रखेगा।
तेजस्वी यादव ने कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर लिखा, "20 वर्षों की एनडीए सरकार और मुख्यमंत्री के मीडिया प्रबंधन के बल पर बनाई गई सुशासन की छवि का दिखावटी पर्दा अब पूर्णरूपेण उतर चुका है। बिहार के कोने-कोने में घटित आपराधिक घटनाओं और चारों ओर व्याप्त भ्रष्टाचार ने बिहार की सच्चाई आपके समक्ष रख दी है।"
उन्होंने आगे लिखा कि अपराधियों और भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़ अब बिहार की व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। जाति-धर्म और अघोषित 'डीके टैक्स अधिनियम' के अंतर्गत होने वाले ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग ने भ्रष्टाचार का एक स्थायी संस्थागत ढांचा बना दिया है। जो उसमें फिट बैठेगा, वही फ़ील्ड की पोस्टिंग पाएगा। गांव से लेकर सचिवालय तक कोई भी काम बिना घूस के नहीं होता। गरीब पेंशन के लिए दर-दर भटकता है, किसान मुआवजे के लिए चक्कर लगाता है, छात्रवृत्ति पाने के लिए विद्यार्थी गिड़गिड़ाते हैं, लेकिन इस भ्रष्ट एनडीए सरकार के हर दरवाजे पर "प्रीपेड टैक्स" यानी रिश्वत देनी पड़ती है।
आरजेडी नेता ने आगे लिखा, "एनडीए शासन में अफसरों की पोस्टिंग धर्म, जाति और डीके टैक्स के आधार पर होती है। योग्यता, दक्षता, परिणाम और ईमानदारी जैसे शब्द इस सरकार के प्रशासनिक शब्दकोश से गायब हो चुके हैं।"
तेजस्वी ने अपराधियों के हौसले बुलंद होने के आरोप लगाते हुए आगे कहा कि बिहार पुलिस की मारक क्षमता को इस कदर कुंद कर दिया है कि अपराधी बेखौफ होकर घर, अस्पताल, सड़क, कोर्ट और थाने तक में घुसकर निर्मम हत्याएं कर रहे हैं। थाना स्तर पर पोस्टिंग अब केवल वसूली के अधिकार की तरह बांटी जाती है। जिन अफसरों में असली पुलिसिंग की काबिलियत है, उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया है क्योंकि वे संविधान सम्मत कार्य करते हैं राजनीतिक बंदी के तौर पर नहीं।
Created On :   20 July 2025 11:28 PM IST












