सियासत की थालीनॉमिक्स: कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कई मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना

- सुब्रमण्यन के कार्यकाल समाप्ति को लेकर सरकार को घेरा
- IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक थे केवी सुब्रमण्यन
- एक साधारण वेज थाली की कीमत एक साल में 52% बढ़ी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने 24 अकबर रोड न्यू दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। सुप्रिया ने कई मद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा।
मोदी सरकार ने दो दिन पहले अचानक IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल समाप्त कर दिया है- जबकि उनके कार्यकाल में अभी भी 6 महीने बाक़ी थे। सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। ये वही केवी सुब्रमण्यन हैं, जो कोविड के दौरान -24% ग्रोथ के बावजूद V-शेप्ड रिकवरी की बात कर रहे थे। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया। दरअसल, ऐसा एक जबरदस्त घपलेबाजी के चलते हुआ है, क्योंकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि
• यूनियन बैंक ने प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और समर्पित चीयरलीडर, केवी सुब्रमण्यन द्वारा लिखी गई किताब India@100 की करीब 2 लाख प्रतियां ऑर्डर कीं।
• इन 2 लाख प्रतियों की कुल कीमत- 7.25 करोड़ रुपए से ज़्यादा थी और यही नहीं, 3.5 करोड़ रुपए तो एडवांस भी दे दिए गए। इनमें 1,89,450 प्रतियां पेपर बैक और 10,422 हार्ड कवर की प्रतियां शामिल थीं।
• इन किताबों को बैंक के रीजनल और जोनल ऑफिस से लेकर खाताधारकों, स्कूल और कॉलेजों में बांटा जाना था। बैंक के 18 जोनल ऑफिस हैं और हर जोनल ऑफिस को 10,525 प्रतियां दी जानी थीं।
• आधा पेमेंट करने के बाद, बैंक ने तमाम रीजनल दफ्तरों को कहा कि बाकी पेमेंट अतिरिक्त खर्च में दिखा दिया जाए।
सवाल है कि इनका भोंडा प्रचार क्यों किया गया, जिसका जवाब यह है कि इन्होंने सरकार की हर गलत नीति को सही बताने का काम किया और पहले की सरकारों की आर्थिक नीतियों पर जबरदस्ती की टिप्पणी की थी। ऐसा लगता है कि इस शर्मनाक खुलासे के कारण ही मोदी सरकार को मजबूरन केवी सुब्रमण्यन को उनके पद से हटाना पड़ा है।
इस दौरान सुप्रिया श्रीनेत ने कहा केवी सुब्रमण्यन , प्रधानमंत्री मोदी और BJP के जाने-माने भक्त हैं। प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए केवी सुब्रमण्यन ने साल 2019-20 के आर्थिक सर्वे में 'थालीनॉमिक्स' की चर्चा की थी। यह अलग बात है कि एक साधारण वेज थाली की कीमत सिर्फ एक साल में 52% बढ़ गई है। जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा था, तब सरकार, सरकारी बैंक द्वारा नरेंद्र मोदी को सही ठहराने के लिए 2 लाख किताबों की प्रतियां खरीद रही थीं। ऐसे में सरकार, सरकारी बैंक और वित्त मंत्रालय से हमारे कुछ सवाल हैं:-
1. क्या यह सच नहीं है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने केवी सुब्रमण्यन की किताब की 2 लाख प्रतियां खरीदीं, क्या बैंक ने 7 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करने के लिए अपने Board या वित्त मंत्रालय के Department of Financial Services से अनुमति ली थी?
2. BJP ने नरेंद्र मोदी की छवि सुधारने के लिए यह पैसा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नहीं दिया था। यह पैसा जनता का था तो इसका दुरुपयोग क्यों किया गया और क्या खाताधारक को इस बारे में कोई जानकारी दी गई थी?
3. क्या वित्त मंत्रालय ने इस बात की जांच की है कि यह conflict of interest कैसे हुआ?
4. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की MD और CEO सुश्री मणिमेखलाई, जिनका जून 2025 में एक्सटेंशन होना है, तो क्या उन्होंने अपने एक्सटेंशन की पैरवी करने के लिए अपरोक्ष रिश्वत दी, क्या ये सब उनकी जानकारी में हुआ?
5. क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी इस लेन-देन पर सफाई देंगी, PMO इसमें क्यों और किस हद तक शामिल था- इसका जवाब कौन देगा?
आपको बता दें कि 4 मई को All India Union Bank Employees’ Association ने भी बैंक की MD और CEO से पब्लिक के पैसे की इस फ़िज़ूलख़र्ची और बर्बादी की जांच की मांग की है।
Created On :   6 May 2025 7:30 PM IST