- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- अमरावती
- /
- चौंडी की तर्ज पर मेलघाट में भी...
Amravati News: चौंडी की तर्ज पर मेलघाट में भी मंत्रिमंडल की बैठक की दरकार

- आदिवासियों की समस्याओं का समाधान करने सरकार करे पहल
- फडणवीस सरकार से है उम्मीद
Amravati News मंगलवार को अहिल्या नगर के चौंडी में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की जन्म त्रिशताब्दी दिवस का औचित्य साधकर राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक लेकर धनगर समाज के उत्थान में 10 बड़े फैसले लिए। ठीक उसी तर्ज पर मेलघाट जैसे वर्षों से उपेक्षित आदिवासी अंचल में भी सरकार यहीं पहल करें। इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं का अंत करने मेलघाट में राज्य मंत्रिमंडल बैठक की दरकार है। यह पहल आज तक कोई सरकार नहीं कर सकी। फडणवीस सरकार से उम्मीद है।
विदर्भ के दूसरे बड़े संभागीय मुख्यालय वाले अमरावती जिले का आदिवासी बहुल क्षेत्र मेलघाट भी गहरी समस्याओं से जूझ रहा है। बिजली नहीं, सड़कें नहीं, निधि है तो मरम्मत की मंजूरी नहीं, रोजगार नहीं। इसके बावजूद यहां की जनता वोट देती है, लोकतंत्र में भरोसा रखती है, पर बदले में उसे सिर्फ वादों की झोली मिलती है। क्या सरकार का दिल मेलघाट के लिए पसीजेगा ?
वनविकास बनाम जनविकास : हर विकास योजना को ‘वन्य जीव सुरक्षा’ के नाम पर वन विभाग रोक देता है। सड़कों की मरम्मत, बिजली लाइन, स्कूल भवन सब फॉरेस्ट एनओसी के जाल में फंसे हैं। जब तक सरकार वन नीति और जननीति के बीच संतुलन नहीं बनाएगी, तब तक मेलघाट के हालात नहीं बदलेंगे।
अब नहीं, तो कब? : चौंडी की तर्ज पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक मेलघाट में ली जाती है तो सरकार की यह अनूठी पहल पूरे राज्य में संबल बन सकती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह दिखावे की योजनाओं से आगे बढ़कर मेलघाट की वास्तविकता की धरती पर उतरे। यहां मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर धारणी व चिखलदरा तहसील के सर्वांगीण विकास के साथ आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में फैसले ले।
बिजली के इंतजार में 24 गांव : आजादी के 75 साल बाद भी मेलघाट के रंगुबेली, धोकड़ा, खामदा, किनीखेड़ा, खोपमार, माखला, चुनखड़ी, बोराट्याखेड़ा, नवलगांव, बिच्छुखेड़ा, माड़ीझड़प, खड़ीमल, मारीता, कारंजखेड़, एकताई, सरीता, सुनीता, भोदू, लाखेवाड़ा, कुदी, चोपन, कुंड, सरवरखेडा,रायपुर जैसे 24 गांवों में बिजली नहीं पहुंची है। यह सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं, यह प्रशासनिक असंवेदनशीलता और नीति निर्धारण में भेदभाव का जीवंत उदाहरण है। पालक मंत्री बावनकुले भी इस मुद्दे पर घूमजाव कर चुके हैं।
Created On :   7 May 2025 3:17 PM IST