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Bhandara News: सहायता समूह को मिल नहीं रही निधि, विभिन्न मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट पर दी दस्तक

- महिलाओं ने उठाए सवाल
- जिलाधिकारी कार्यालय पर एक विशाल मोर्चा निकाला
Bhandara News निधि नहीं मिलने से महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत महिला आर्थिक विकास निगम और लोकसंचालित साधन केंद्रों की कर्मचारियों ने बुधवार 30 जुलाई को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भंडारा जिलाधिकारी कार्यालय पर एक विशाल मोर्चा निकाला। इस मोर्चे में जिले के विभिन्न तहसील से आयी महिला प्रतिनिधियों, सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों और स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
इस मार्च का नेतृत्व जिले के विभिन्न तहसीलों से आयी महिला आर्थिक विकास केंद्रों की प्रमुखों, सीआरपी प्रतिनिधियों और महिला आर्थिक विकास निगम की समन्वयक ने किया। मार्च के माध्यम से विभिन्न लंबित मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को एक ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन के अनुसार, महिला आर्थिक विकास निगम (माविम) और लोकसंचालित साधन केंद्रों को सरकार की महिला सशक्तिकरण नीति की रीढ़ माना जाता है। इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संगठित और उद्यमिता के लिए प्रेरित किया जाता है। इन केंद्रों में कार्यरत कर्मचारियों को समय पर और पर्याप्त मासिक मानधन, प्रशासनिक व्यय और आवश्यक वित्तीय सहायता नहीं मिलने के कारण उनके कार्य में बाधाएं आ रही हैं।
प्रदर्शनकारियों महिलाओं ने अपनी मांगे रखी। प्रत्येक लोक संसाधन केंद्र को प्रशासनिक व्यय हेतु कम से कम 25 लाख रुपये तत्काल स्वीकृत करने की मांग की गई है। संसाधन केंद्र के दैनिक संचालन हेतु आवश्यक प्रशासनिक व्यय का भार वर्तमान में स्थानीय समूहों पर पड़ता है यदि इन्हें शासन स्तर से निश्चित धनराशि प्राप्त हो, तो ये केंद्र अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं। सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों को नियमित रूप से 6 हजार रुपये मासिक मानधन देने, वर्तमान में विभिन्न जिलों में कार्यरत सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों को समय पर मानधन नहीं मिल रहा है।
इससे उनकी वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मध्यम स्तर के स्थापित समूहों को 30 हजार रुपये की निधि स्वीकृत की जाए, ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्योग शुरू करने वाली महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रारंभिक चरण में पूंजीगत सहायता की आवश्यकता होती है। निधि प्रदान करने से महिला उद्योगों के स्थायित्व में काफी मदद मिलेगी। निश्चित दरों पर बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए शासन स्तर पर सहयोग प्रदान किया जाए। अधिकांश समूहों ने व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है और उनकी व्यावसायिक योजना तैयार है, फिर भी बैंक ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयां आ रही हैं। सरकार से मध्यस्थता करने और बैंकों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने की मांग की गई।
Created On :   31 July 2025 12:53 PM IST