Gondia News: खेत में गैस पाइप लाइन बिछाई लेकिन किसानों को मुआवजा नहीं दिया

खेत में गैस पाइप लाइन बिछाई लेकिन किसानों को मुआवजा नहीं दिया
  • मुंबई-नागपुर से झारसुकड़ा तक लाइन का काम किया जा रहा
  • अपने ही खेत में वृक्ष तक नहीं लगा सकते

Gondia News जिले से गेल इंडिया लि. कंपनी की गैस पाइप लाइन गुजर रही है। इसके लिए युद्धस्तर पर काम भी शुरु है। लेकिन जिन किसानों के खेतों से यह पाइप लाइन जा रही है, उनमें से कुछ किसानों को मुआवजा ही नहीं दिया गया है। जिस जमीन से पाइप लाइन बिछाई गई, वह जमीन अनुपयोगी हो गई है। दूसरी ओर मांडवी, बेलाटी, कवलेवाड़ा आदि परिसर में गैस पाइप लाइन का काम पूरा हो चुका है। लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है। जिससे अनुपयोगी जमीन एवं अनुदान नहीं मिलने से किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बता दें कि तिरोड़ा तहसील के कवलेवाड़ा निवासी किसानों के खेतों से गेल इंडिया कंपनी के तहत मुंबई-नागपुर से झारसुकड़ा तक गैस पाइप लाइन का काम किया जा रहा है। इसके लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजे के रूप में 10 फीसदी राशि दी जाएगी। जो बाधित क्षेत्र की तुलना में काफी कम है।

गेल कंपनी ने 20 मीटर चौड़ी जमीन बाधित क्षेत्र के तौर पर उपयोग करने का अधिकार जबरन लिया है। ऐसे में किसान उस जमीन में जानवरों का तबेला, तालाब, कुंए का निर्माण नहीं कर सकते। किसान अपने ही खेत में वृक्ष नहीं लगा सकते। इसके लिए अगर प्रयास किया गया तो किसानों पर कार्रवाई हो सकती है। जिससे वह जमीन अनुपयोगी हो गई है।

गैस पाइप लाइन के काम से किसानों में आक्रोश व्याप्त है। कवलेवाड़ा निवासी किसान ने अपनी जमीन को उक्त कंपनी को देने से साफ इनकार कर दिया था। इस विषय में किसानों से बातचीत करने के लिए जिलाधिकारी तथा सक्षम प्राधिकारी गेल इंडिया व उनकी संपूर्ण टीम गांव में पहुंची थी। जिस पर किसानों ने जमीन का उचित मुआवजा देने एवं परिवार के एक व्यक्ति को शासकीय नौकरी देने की मांग की थी। लेकिन इस मांग की ओर अनदेखी की गई। आज भी कई किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।

परिवार का जीवनयापन कैसे करें : गेल इंडिया कंपनी की ओर से गैस पाइप लाइन का काम किया गया। कंपनी की जटिल शर्तों से किसान परेशान हैं। जिससे गांव-गांव में इस पाइप लाइन का किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। किसान अपने ही खेत में उद्योग व्यवसाय नहीं कर सकते। जिससे परिवार का जीवनयापन कैसे करें? यह सवाल निर्माण हो गया है। - संतोष ठाकरे, किसान, कवलेवाड़ा


Created On :   19 July 2025 4:54 PM IST

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