दिशानिर्देश: नागपुर विभाग की नजूल जमीन को लेकर सकारात्मक फैसला जल्द किया जाएगा- फडणवीस

नागपुर विभाग की नजूल जमीन को लेकर सकारात्मक फैसला जल्द किया जाएगा- फडणवीस
  • टैंकर मंजूर करने प्रांताधिकारी को मिलेगा अधिकार
  • जलापूर्ति व स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटील ने दिए निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में जलसंकट की स्थिति को देखते हुए राज्य के जलापूर्ति व स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटील ने टैंकर मंजूर का अधिकार प्रांताधिकारी को देने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल टैंकर मंजूर करने का अधिकार संबंधित जिलाधिकारी के पास होता है। मंगलवार को मंत्रालय में पाटील ने राज्य में जलसंकट की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की। इस बैठक में पाटील ने कहा कि टैंकर शुरू करने का अधिकारी प्रांताधिकारी को प्रदान किया जाए। जिलाधिकारी और प्रांताधिकारी स्थानीय परिस्थिति के अनुसार गांवों में पीने के पानी के लिए टैंकर शुरू करने का फैसला करें। उन्होंने कहा कि गर्मी शुरू हो रही है। इसके मद्देनजर जलसंकट से निपटने के लिए सूक्ष्म प्रारूप बनाएं। फिलहाल कितने जिलों में टैंकर शुरू और कितने जिलों में टैंकरों की आवश्यकता है। इसका विस्तार से प्रारूप तैयार करें।

नागपुर विभाग की नजूल जमीन को लेकर सकारात्मक फैसला करेंगे- देवेंद्र फडणवीस

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि नागपुर और अमरावती विभाग में किराए पर दी गई नजूल जमीन को लेकर सकारात्मक फैसला लिया जाएगा। मंगलवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में नागपुर और अमरावती विभाग की नजूल जमीन को लेकर बैठक हुई। बैठक में राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील, भाजपा विधायक प्रवीण दटके समेत संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद थे। फडणवीस ने कहा कि नजूल जमीन के मुद्दे पर नागपुर के विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक अध्ययन समिति गठित की गई थी। इस समिति के रिपोर्ट की सिफारिशों को मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाएगा।

इसके बाद सरकार समिति की सिफारिशों के आधार पर नजूल जमीन के संबंध में सकारात्मक फैसला करेगी। फडणवीस ने कहा कि नागपुर और अमरावती विभाग में नजूल जमीन के किराए पट्टे का नवीनीकरण करने, नजूल किराया पट्टे का हस्तांतरण करने, नीलामी द्वारा अथवा अन्य प्रकार से किराए पर दी गई नजूल जमीन फ्री होल्ड करने समेत अन्य मुद्दों को लेकर उचित फैसला लिया जाएगा।

स्वयंचलित वाहन जांच केंद्र स्थापित करने 60 दिनों में मिलेगी मंजूरी

प्रदेश में स्वयंचलित वाहन जांच केंद्रों को स्थापित करने के लिए पंजीयन प्राधिकारी को प्राथमिक पंजीयन प्रमाणपत्र 30 दिनों में जारी करना होगा। इससे बाद 60 दिनों के भीतर स्थायी पंजीयन प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। राज्य सरकार ने स्वयंचलित वाहन जांच केंद्रों को मंजूरी के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। मंगलवार को राज्य के परिवहन विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इसके मुताबिक स्वयंचलित वाहन जांच केंद्र स्थापित करने के लिए आवेदनकर्ता को पंजीयन प्राधिकरण के पास शुल्क सहित आवेदन करना होगा। पंजीयन प्राधिकरण को आवेदन मिलने के बाद दस्तावेजों की जांच करके 30 दिनों में प्राथमिक पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करना पड़ेगा। इसके बाद आवेदनकर्ता को स्वयंचलित वाहन जांच केंद्र प्रत्यक्ष रूप से शुरू होने से पहले राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से प्री कमीशनिंग ऑडिट करना पड़ेगा। जिसके बाद पंजीयन प्राधिकारी आवेदन के 60 दिन के भीतर प्रमाणपत्र जारी करेंगे। यदि पंजीयन प्राधिकारी पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करने से इंकार करते हैं तो उन्हें आवेदनकर्ता को सुनवाई का मौका देना पड़ेगा। प्राथमिक पंजीयन प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि सरकार तय करेगी। लेकिन पंजीयन प्रमाणपत्र शुरुआत में 10 सालों और उसके बाद नवीनीकरण प्रत्येक 5 सालों में करना होगा। स्वयंचलित वाहन जांच केंद्र के मालिक राज्य सरकार अथवा निजी कंपनी या फिर स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसवीपी) हो सकती है। लेकिन वाहन उत्पादक, सेवा केंद्र, वाहन वितरक, वाहन मरम्मत करने वाले, वाहन बिक्री करने वाले स्वयंचलित वाहन जांच केंद्र के मालिक नहीं बन सकेंगे।



Created On :   7 Feb 2024 1:22 PM GMT

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