Nagpur News: नागपुर शहर का हाल - बेहाल , चेंबर खुले पड़े , सड़कें हुई खराब

नागपुर शहर का हाल - बेहाल , चेंबर खुले पड़े , सड़कें हुई खराब
  • न्यायालय मित्र ने शहर का सच रखा सामने, खोली पोल
  • 160 तस्वीरों में दिखाया आईना
  • मनपा का दावा किया खारिज

Nagpur News हाई कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका के तहत शहर में सीवरेज और ड्रेनेज लाइनों पर लगे चेंबरों के ढक्कन टूटे और खुले होने का दावा मनपा ने खारिज किया था। मनपा ने कोर्ट को बताया था कि उनके ‘माय नागपुर’ ऐप पर अब तक 350 शिकायतें आई हैं, जिनमें से 338 का समाधान हो चुका है और 12 पर काम चल रहा है। लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय मित्र ने इस दावे को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि शहर की कई सड़कें अभी भी खराब हालत में हैं। चेंबर खुले पड़े हैं और गड्ढे इतने गहरे हो गए हैं कि वे जानलेवा साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही न्यायालय मित्र ने दस जोन और अन्य स्थानों के खुले चेंबरों की स्थिति को दर्शाने वाले करीब 160 फोटोग्राफ भी हाई कोर्ट में प्रस्तुत किए।

खबर पर संज्ञान : शहर में सीवरेज और ड्रेनेज लाइनों पर लगे 10 हजार से अधिक चेंबरों के ढक्कन टूटे हुए या पूरी तरह खुले होने की चौंकाने वाली जानकारी एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के माध्यम से सामने आई थी। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने यह जनहित याचिका दायर करने का आदेश दिया था। बारिश के मौसम में घुटनों तक भरे पानी में ये चेंबर दिखाई नहीं देते, जिससे नागरिकों और जानवरों के लिए हर समय जानलेवा खतरा बना रहता है। कुछ मामलों में लोगों की जान भी गई है, लेकिन मनपा के पास ऐसी दुर्घटनाओं के लिए मुआवजा देने की नीति या प्रावधान नहीं है। इसलिए एक जनहित याचिका के माध्यम से मनपा द्वारा ऐसी नीति बनाने की भी मांग की गई है।

न्यायालयीन मित्र नियुक्त : हाई कोर्ट ने खुले और टूटे चेंबरों से उत्पन्न दुर्घटना के जोखिम को जन सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय माना। इसके चलते कोर्ट ने इस मामले में एड. शिल्पा गिरटकर को एमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किया था। पिछली सुनवाई में मनपा ने स्पष्ट किया था कि 10 हजार ढक्कन टूटने की बात सही नहीं है, बल्कि यह नए ढक्कनों का आंकड़ा है। इसलिए हाई कोर्ट ने मनपा के इस दावे की सत्यता जांचने के लिए न्यायालयीन मित्र को फोटोग्राफ सहित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।

एक सप्ताह में मांगा जवाब : मामले पर न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता आशा भगत की ओर से न्यायालय मित्र ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर उक्त जानकारी दी। साथ ही, मनपा प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह सड़कों की मरम्मत में लापरवाही बरत रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने शपथ पत्र रिकार्ड पर लेते हुए इस पर मनपा को एक सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

एक साल से मरम्मत नहीं : शपथ पत्र में यह भी कहा गया कि, शहर की सड़कों की हालत बहुत खराब हो गई है, जहां सड़कों के बीच और फुटपाथों पर बड़े गड्ढे हैं। लगभग एक साल बीत चुका है, लेकिन सड़कों की मरम्मत नहीं हुई। इससे शहरवासियों को भारी असुविधा हो रही है। अक्सर ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है और कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुछ जानलेवा भी हैं। गड्ढे सड़क सुरक्षा को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से मोटरसाइकिल चालकों के लिए, जो अचानक गड्ढे में फंसने पर गंभीर चोट या मौत के शिकार हो सकते हैं। तेज गति से गड्ढों से टकराने पर वाहन संतुलन खो देते हैं, जिससे जान लेवा दुर्घटनाएं होती हैं।


Created On :   11 Sept 2025 11:59 AM IST

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