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Nagpur News: उप संचालक को वेतन रोकने का अधिकार नहीं : हाई कोर्ट

Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक अहम फैसला दिया है। फैसले में कहा कि यदि किसी शिक्षक की नियुक्ति को शिक्षा अधिकारी ने मंजूरी दी है और वह स्वीकृति अभी भी वैध है, तो उप संचालक (शिक्षा) को उस शिक्षक का वेतन रोकने या शालार्थ आईडी में नाम जोड़ने से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता शिक्षक दीपक तुरकर का नाम तत्काल शालार्थ आईडी में जोड़ा जाए और उन्हें 1 अक्टूबर 2020 से 100 प्रतिशत अनुदान के अंतर्गत नियमित वेतन दिया जाए।
शामिल करने से इनकार : मामला स्व. राधाबाई डोर्लीकर शिक्षण संस्था और उसके अंतर्गत आने वाले रवि माध्यमिक विद्यालय, कलमना से संबंधित है। संस्था ने तुरकर की नियुक्ति 2014 में ‘शिक्षण सेवक’ के रूप में की थी। बाद में 2020 में उन्हें अनुदानित पद पर स्थानांतरित किया गया था। शिक्षा अधिकारी ने उनकी नियुक्ति और तबादले को स्वीकृति भी दी थी, लेकिन उप संचालक, शिक्षा ने जून 2024 में उनका नाम शालार्थ आईडी में शामिल करने से इनकार कर दिया था। कहा था कि उन्होंने टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) परीक्षा कट-ऑफ 31 मार्च 2019 से पहले पास नहीं की।
लंबित वेतन जारी करें : न्यायमूर्ति एम. एस. जवलकर और न्यायमूर्ति राज वाकोडे की पीठ ने कहा कि जब शिक्षा अधिकारी द्वारा नियुक्ति और स्थानांतरण वैध रूप से मंजूर किए जा चुके हैं, तो उप संचालक को वेतन जारी करने से रोकने का अधिकार नहीं है। अदालत ने विभाग को आदेश दिया कि तुरकर का नाम तुरंत शालार्थ आईडी में शामिल कर उनका लंबित वेतन जारी किया जाए।
टीईटी पास करने की समय सीमा में राहत हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 के फैसले (अंजुमन इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य) का हवाला दिया, जिसमें इन-सर्विस शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा पास करने की समय सीमा दो वर्ष के लिए बढ़ाई गई है। चूंकि तुरकर पहले ही टीईटी पास कर चुके हैं, इसलिए उन्हें भी इस निर्णय का लाभ मिलना चाहिए।
Created On :   11 Oct 2025 2:28 PM IST